Jharkhand: चाईबासा के सारंडा जंगल में नक्सली आईईडी ब्लास्ट! सीआरपीएफ हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद, दो घायल
झारखंड के चाईबासा में नक्सलियों द्वारा किए गए आईईडी ब्लास्ट में सीआरपीएफ के हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हो गए। दो अन्य घायल जवानों का राउरकेला में इलाज जारी है। सारंडा जंगल में नक्सल विरोधी अभियान तेज।

चाईबासा। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के घने सारंडा जंगल में शुक्रवार शाम हुए आईईडी ब्लास्ट में सीआरपीएफ के हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हो गए। यह विस्फोट नक्सलियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले का परिणाम था।
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सूत्रों के अनुसार, घटना जराईकेला थाना क्षेत्र के समठा इलाके में हुई, जहां सुरक्षाबल नक्सल विरोधी अभियान पर निकले थे। अभियान के दौरान रास्ते में छिपाकर रखे गए आईईडी में विस्फोट हुआ, जिसमें सीआरपीएफ 60वीं बटालियन के तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गये थे।घायलों में इंस्पेक्टर कौशल कुमार मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर (जीडी) रामकृष्ण गगराई, और हेड कॉन्स्टेबल (जीडी) महेंद्र लश्कर शामिल थे। तीनों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन शनिवार सुबह इलाज के दौरान महेंद्र लश्कर ने वीरगति प्राप्त की।
शहीद महेंद्र लश्कर असम के निवासी थे। वहीं, इंस्पेक्टर मिश्रा और एएसआई रामकृष्ण गगराई का इलाज राउरकेला के अपोलो अस्पताल में जारी है। बताया गया है कि दोनों की स्थिति अब खतरे से बाहर है। एएसआई गगराई खरसावां के विधायक दशरथ गगराई के भाई हैं। सीआरपीएफ अफसरों ने बताया कि घायल जवानों को बेहतर उपचार दिया जा रहा है, वहीं शहीद महेंद्र लश्कर के निधन से पूरे बल में शोक की लहर है। अधिकारियों ने कहा कि जवान का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और माओवादियों के खिलाफ अभियान और तेज किया जायेगा।
लगातार बढ़ रही हैं आईईडी घटनाएं
सारंडा क्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में नक्सलियों द्वारा किये गये आईईडी ब्लास्ट की घटनाएं चिंताजनक रूप से बढ़ी हैं।
22 मार्च 2025: सीआरपीएफ सब-इंस्पेक्टर सुनील कुमार मंडल आईईडी धमाके में घायल हुए थे, बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
12 अप्रैल 2025: झारखंड जगुआर के एक कांस्टेबल की विस्फोट में मौत हुई थी।
8 अगस्त 2025: सीआरपीएफ 209वीं कोबरा बटालियन के दो जवान घायल हुए थे।
अब तक मार्च से लेकर अक्टूबर 2025 तक कुल तीन जवान शहीद और नौ घायल हो चुके हैं।
वन्यजीव भी नहीं बचे सुरक्षित
सुरक्षा बलों के अलावा, इन विस्फोटों का असर वन्यजीवों पर भी पड़ रहा है। हाल ही में सारंडा क्षेत्र में तीन हाथी आईईडी धमाके की चपेट में आए, जिनमें दो की मौत हो गई जबकि एक की हालत गंभीर बताई जा रही है। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि नक्सली हिंसा सिर्फ इंसानों ही नहीं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के लिए भी घातक है।
सुरक्षा बलों का जवाबी अभियान जारी
घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है और सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे हैं और जांच शुरू कर दी गई है।सुरक्षा एजेंसियां इस हमले को माओवादियों की हताशा मान रही हैं, क्योंकि हाल के महीनों में सुरक्षाबलों ने कई इलाकों में माओवादियों की पकड़ कमजोर की है।