झारखंड: CM हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियां और माइनिंग लीज मामला, अगली सुनवाई अब पांच जुलाई को

झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश और अनगडा में माइनिंग लीज आवंटन मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल और महाधिवक्ता ने अपना-अपना पक्ष रखा। कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखने के लिए और समय की मांग। हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई, 2022 निर्धारित की है।

झारखंड: CM हेमंत  सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियां और माइनिंग लीज मामला, अगली सुनवाई अब पांच जुलाई को

रांची। झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश और अनगडा में माइनिंग लीज आवंटन मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल और महाधिवक्ता ने अपना-अपना पक्ष रखा। कपिल सिब्बल ने अपना पक्ष रखने के लिए और समय की मांग। हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई, 2022 निर्धारित की है।

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शपथ पत्र में प्रार्थी के आरोपों को बताया गलत
इससे पूर्व झारखंड हाईकोर्ट में शेल कंपनियों में निवेश मामले में राज्य सरकार ने शपथ पत्र दायर करते हुए हेमंत सोरेन की सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनायीं। वहीं, प्रार्थी शिवशंकर शर्मा के सारे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि प्रार्थी की ओर से मनगढ़ंत आरोप लगाये गये हैं। 
कोर्ट ने कहा-चुनाव आयोग शीर्ष अदालत से बड़ा नहीं
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एस एन प्रसाद की बेंच मे सुनवाई हुई. दोनों की मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा हैं। प्रार्थी के एडवोकेट राजीव कुमार है। सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार का पक्ष रख रहीं एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा ने सुनवाई टालने की मंशा से कोर्ट में कहा कि यह मामला चुनाव आयोग में  उठ चुका है। इस पर चीफ ने टिप्पणी की कि चुनाव आयोग शीर्ष अदालत से बड़ा नहीं है।

प्रार्थी शिवशंकर की ओर से एडवोकेट राजीव कुमार ने शेल कंपनी की जानकारी देते हुए सीएम हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन, अभिषेक पिंटू, पंकज मिश्रा व रवि केजरीवाल की कंपनियों की जानकारी मुहैया कराई। सुनवाई में राजीव कुमार अपने सभी हलफनामे को बारी-बारी पढ़ा।राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी भी शामिल हैं।  
हाई कोर्ट ने पूछा: पंकज मिश्रा व पिंटू कौन...
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाधिवक्ता राजीव रंजन से पूछा कि आखिर पंकज मिश्रा और अभिषेक प्रसाद पिंटू कौन है, जिनका नामबार-बार आ रहा है। इस पर उनकी ओर से कहा गया कि अभिषेक कुमार उर्फ पिंटू सीएम के प्रेस एडवाइजर हैं, जबकि पंकज मिश्रा हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि हैं। प्रार्थी की ओर से हर बार उनका नाम अपनी याचिका में इस्तेमाल किया गया है। इस पर प्रार्थी के एडवोकेट ने कहा कि पंकज मिश्रा पर एसआइ रूपा तिर्की की मर्डर करने का आरोप लगा है। हाई कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है।
हर रोज इलिगल माइनिंग की बात आ रही है सामने
गवर्नमेंट की ओर कहा गया कि स्टेट में इलिगल माइनिंग के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कईयों के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की गयी है। इस पर रोक भी है। कोर्ट ने कहा कि हर रोज इलिगल माइनिंग की बात सामने आती है। कुछ दिन पहले ही क्रशर को ध्वस्त करने की खबर अखबारों में आई थी। एफआइआर भले ही दर्ज हो रही है, लेकिन इस पर कोई रोक नहीं नजर आता है। ऐसे में प्रार्थी के आरोपों से प्रथम दृष्टया इन्कार नहीं कि या जा सकता है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रार्थी ने बिना किसी दस्तावेज के आधार पर आरोप लगाये हैं। उनकी ओर से सीएम पर आरोप लगा कर मामले को स्कैंडलाइज किया जा रहा है। जहां तक रांची डीसी औरमाइनिंग डिपार्टमेंट के अफसर बाल किशुन मुंडा की बात है तो मुंडा को भ्रष्टाचार के मामले में  सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।
प्रार्थी को रांची डीसी पर धमकी दी
कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी को रांची डीसी ने फोन पर धमकी दी है। इसकी रिकार्डिंग कोर्ट में पेश की गई है।एडवोकेट कपिल सिब्बल की ओर से इस आरोप से इन्कार करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि रांची डीस को गांधी साबित नहीं किया जाए। उनके  खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है।
जमीन पर कब्जे की बात गलत 
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से रांची में कई जगहों पर जमीन पर जबरदस्ती कब्जा किये जाने की बात कही गई। इसके लिए उनकी ओर से मेडिका के पास जमीन फर्जी तरीके से कब्जे के आरोप को निराधार बताया गया। कहा गया कि इससे संबंधित मामले अभी कोर्ट में लंबित है। कपिल सिब्बल की ओर से इस मामले में मंगलवार को बहस पूरी होने की बात कही गई। 
अमित अग्रवाल का आइए सुनने से इन्कार
बिजनसमैन अमित अग्रवाल की ओर से कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिलकर उनका पक्ष सुनने की गुहार लगाई गई। कोर्ट  ने उनके आइए याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट मूल याचिका पर पहले सुनवाई पूरी करना चाहता है। ऐसे में अभी किसी भी निजी प्रति वादी का पक्ष नहीं सुना जायेगा। उनकी ओर से याचिका की प्रति और शपथ पत्र देने का निर्देश देने की मांग की गई। कोर्ट ने कोई आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट  ने कहा कि मूल याचिका में सुनवाई पूरी होने के बाद अगर जरूरत पड़ी तो निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि शेल कंपनियों में अमित अग्रवाल की कंपनी का भी नाम दिया गया है।

इलिगल माइनिंग से पैसा उगाही कर सेळ कंपनियों में निवेश
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को भी फायदा पहुंचाया गया है। प्रार्थी के एडवोकेट राजीव कुमार ओर से कहा गया कि सीएम हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, प्रेस एडवाइजर अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू, हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, बिजनसमैन अमित अग्रवाल, रवि केजरीवाल व सुरेश नागेर का नाम लेते हुए बताया कि कि ये सभी लोग इलिगल माइनिंग से पैसा उगाही कर शेल कंपनियों में निवेश करते हैं। उसके जरिए देश के अन्य भागों में संपत्ति खरीदते हैं।

सुरेश नागरे का संबंध अबू आजमी के बेटे से
प्रार्थी की ओर से सुरेश नागरे का संबंध बसंत सोरेन से बताते हए कहा गया कि इलिगल बालू माइनिंग व स्टोन चिप्स कारोबार का किंगपिन है। सुरेश नागरे का संबंध मुंबई के अबू आजमी के बेटे से है। इस बात की ज्यादा संभावना है कि इनके तार अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हो सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि बगैर सुबूत आप ऐसा कैसे कह सकते हैं।

दायर की गयी है दो जनहित याचिका
प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीएम हेमंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश का आरोप लगाया है। मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। प्रार्थी की ओर से दूसरी जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन को अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन में माइनिंग लीज आवंटन मामले में कार्रवाई करने की मांग की गयी है। प्रार्थी ने लीज आवंटन को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-9ए का उल्लंघन बताया।

सरकार ने सुनवाई टालने की की थी मांग 
इसके पहले बीते शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से  सुनवाई टालने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इससे इन्कार कर दिया था और सुनवाई जारी रखने का फैसला लिया। राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अमृतांश वत्स पर हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जब वकालतनामा फाइल नहीं किया गया है तो अधिवक्ता किस स्तर पर मामले की वकालत कर रहे है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणई की थी कि सरकार की ओर से कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई देरी की जा रही है।

कोर्ट ने माना था मेंटेंएबल है याचिका 
पिछली सुनवाई मे हाईकोर्ट ने दोनों याचिका को मेंटेंएबल बताते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था। सीएम हेमंत सोरेन की और से अधिवक्ता कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं। इसके पहले मामला सुप्रीम कोर्ट गया था। जहां कोर्ट ने सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रेफर किया था। लेकिन पूर्व मे हुई सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने फिर से मामले में सुप्रीम कोर्ट मे एस एलपी दायर की है।

माइनिंग लीज से जुड़ा मामला 
याचिका झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।