Jharkhand: धनबाद जिले में आठ-10 माह में बदल जाते हैं थानेदार !

झारखंड के आधा दर्जन जिलों में थानेदार अपना औसतन कार्यकाल कौन कहे एक साल भी पूरा नहीं कर पाते हैं। किसी ने किसी कारणवस थानेदारों को चंद माह में ही छुट्टी हो जा रही है। धनबाद जिले में 8 से10 माह में ही थानेदार बदल दिये जाते हैं।धनबाद, बाघमारा व सिंदरी अनुमंडल के लगभग आधा दर्जन थानेदार को एक- दो दिनों हटाने की तैयारी है। धनबाद ही नहीं स्टेट के आधा दर्जन जिलों में थानेदारों की समय से पहले ट्रांसफर कर दी रही है।  

Jharkhand: धनबाद जिले में आठ-10 माह में बदल जाते हैं थानेदार !
कई थानों में नौ माह में हो गये तीन -तीन थानेदार।
  • धनबाद, समेत कई थानेदारों की होगी छुट्टी
  • जिले के हर थानेदार का एक पांव कब्रगाह में
  • कोयला राजधानी से रांची तक मरमरिंग

धनबाद। झारखंड के आधा दर्जन जिलों में थानेदार अपना औसतन कार्यकाल कौन कहे एक साल भी पूरा नहीं कर पाते हैं। किसी ने किसी कारणवस थानेदारों को चंद माह में ही छुट्टी हो जा रही है। धनबाद जिले में 8 से10 माह में ही थानेदार बदल दिये जाते हैं। धनबाद, बाघमारा व सिंदरी अनुमंडल के लगभग आधा दर्जन थानेदार को एक- दो दिनों हटाने की तैयारी है। धनबाद ही नहीं स्टेट के आधा दर्जन जिलों में थानेदारों की समय से पहले ट्रांसफर कर दी जा रही है।  
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चार दिन बाद ही सर्किल इंस्पेक्टर से बन गये थानेदार
धनबाद में तो एक सप्ताह में भी थानेदार व इंस्पेक्टरों को इधर से उधर किये जाने का रिकार्ड बना है। घनुडीह ओपी प्रभारी रहे तपन पाणिग्रही को एक माह ही अंदर ही बदलकर राजगंज थाना की कमान सौंप दी गयी थी। आठ माह के अंदर ही तपन पाणिग्रही को थानेदारी से पदच्युत कर दिया गया। झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे अक्षय राम आठ नौ माह में निरसा सर्किल इंस्पेक्टर की कुर्सी से पुलिस लाइन लौट गये। अक्षय राम ही जगह निरसा सर्किल इंस्पेक्टर बनाये गये चर्चित पुलिस इंस्पेक्टर मो रूस्तम को एक सप्ताह के अंदर ही बदलकर गोविंदपुर थाना प्रभारी बना दिया गया। लोकसभा चुनाव से पहले जनवरी माह में जिला में बदलकर आये पुलिस इंस्पेक्टर रविकांत को गोविंदपुर थानेदारी मिली थी। नौ माह में ही उनकी थानेदारी छीन गयी। उन्हें निरसा सर्किल इंस्पेक्टर बना दिया गया। 
10 माह भी नहीं रहा दर्जन भर थानेदारों का कार्यकाल
जोड़ापोखर सर्किल इंस्पेक्टर, केंदुआडीह, बाघमारा, बरोरा, जोगता, तेतुलमारी, मधुबन, पूर्वी टुंडी थानेदार, भूली व भांटडीह ओपी प्रभारी समेत आदि थानेदार आठ से नौ माह में ही क्लोज कर लिये गये। हालांकि संबंधित थानेदारों के खिलाफ गंभीर आरोप लगे थे। जांच के बाद संबंधित थानेदारों को हटाया गया। इनमें से एक दो वैसे अफसर भी हैं जिन्हें चंद माह में ही फिर से बेहतर थानों की कुर्सी मिल गयी। इनमें मधुबन थाना से क्लोज किये गये सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश को बरोरा थाना प्रभारी की कुर्सी मिल गयी। धनबाद, जोगता व तेतुलमारी थाने को नौ माह में तीन- तीन प्रभारी मिल गये हैं। बैंक मोड़ थानेदार को छह माह में बदलकर केंदुआडीह भेज दिया गया। नौ माह  में ही गौशाला व एमपीएल ओपी प्रभारी व बेहतर थाना व ओपी की कमान दी गयी है। चर्चा के अनुसार छात्र नेता सा मारपीट के आरोप में हटे एक दारोगा अब जीटी रोड में जगह मिल सकती है। 
पुलिस कप्तान के पास होते हैं थानेदारों को हटाने के पर्याप्त कारण
वैसे तो थानेदारों को लाइन क्लोज करना व हटाने के लिए पुलिस कप्तान का पास ठोस कारण रहता है। पुलिस कप्तान द्वारा लॉ एंड ऑर्डर, विभागीय कार्य में लापरवाही समेत अन्य गड़बड़ी के मामले में तत्काल थानेदारों को लाइन क्लोज कर दिया जाता है। खाली जगह पर दूसरे अफसरों को कुर्सी सौंप दी जाती है। आरोप है कि एसपी व डीएसपी से संबंधित थानेदारों के खिलाफ रिपोर्ट मंगवा रिपोर्ट के आधार पर थानेदारों को हटा कर दूसरे को अफसर को पोस्टिंग कर दी जाती है। पुलिस कप्तान को आधार कर विभागीय कार्यों में लापरवाही समेत किसी तरह के आरोपों पर थानेदार के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन अब अमूमन ऐसा नहीं होता है। 
इंस्पेक्टर- दारोगा लिख कर दे देते हैं नहीं करनी है थानेदारी
धनबाद में आजकल तो गजब हो रहा है। इंस्पेक्टर व दारोगा अब पुलिस कप्तान को लिख कर देते हैं है मैं अस्वस्थ हूं। पारिवारिक समस्या या निजी कारण है इस कारण थानेदारी से मुक्त कर दिया जाए। पुलिस महकमें में चर्चा है कि जिले के आधा दर्जन इंस्पेक्टर व दारोगा ऐसे परेशानी से ग्रसित हैं। संबंधित अफसरों ने लिखित देकर कुर्सी छोड़ दी है। धनबाद में थानेदारी मिलना भगवान के दर्शन के समान है। धनबाद में निरसा, कतरास, गोविंदपुर, राजगंज, बरोरा, बाघमारा थाना, मैथन, कालूबथान व भांटडीह ओपी टॉप पर हैं। यहां की कुर्सी मिलनी बड़ी मुश्किल है।
पुलिस महकमा में समय से पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर काफी मरमरिंग है। थानेदारों की पोस्टिंग, उनके विरुद्ध कार्रवाई और अकारण उनपर गाज गिराने के मामले भी चौपालों में चर्चा का विषय बनने लगा है। तरह-तरह की बातें कही जा रही है। कुछ मामले में को सरकार, पुलिस हेडक्वार्टर तक ले जाने की तैयारी है। जरुरत पड़ने पर हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की जा सकती है। समय से पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग की बात धनबाद जिला ही नहीं स्टेट के कई जिलों में यह समस्या है। आरोप है कि झारखंड पुलिस एसोसिएशन भी इस मामले में गंभीर नहीं दिख रहा है। ऐसोसिएशन के कई पदाधिकारी जिलों में जगह लेकर पोस्टिंग में हैं।