Jharkhand: हजारीबाग वन भूमि घोटला मामले में भी आरोपी बने IAS विनय चौबे, अब तीन मामलों में फंसे अफसर

IAS विनय चौबे पर हजारीबाग में एक और घोटाले का आरोप, ACB ने वन भूमि घोटाले में कांड संख्या 11/2025 दर्ज की। अब तीन मामलों में फंसे अफसर – शराब, खासमहल और वन भूमि स्कैम।

Jharkhand: हजारीबाग वन भूमि घोटला मामले में भी आरोपी बने IAS विनय चौबे, अब तीन मामलों में फंसे अफसर
विनय चौबे (फाइल फोटो)।

रांची। जेल में बंद झारखंड कैडर के IAS अफसर विनय चौबे की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। चर्चित शराब घोटाला और हजारीबाग खासमहल (सेवायत) भूमि घोटाला के बाद अब उन्हें एक और मामले में आरोपी बनाया गया है।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने हजारीबाग वन भूमि घोटाला में कांड संख्या 11/2025 दर्ज कर विनय चौबे को अभियुक्त बनाया है।

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अब वन भूमि घोटाले में भी नाम

ACB ने रांची स्थित अपनी शाखा में प्राथमिक जांच (Preliminary Inquiry) के बाद इस मामले में FIR दर्ज की है। इसमें IAS विनय चौबे, उनके करीबी विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह, हजारीबाग विधायक प्रदीप प्रसाद, तत्कालीन सीओ शैलेश कुमार, और ब्रोकर विजय सिंह समेत 73 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है। ACB ने कोर्ट में विनय चौबे की रिमांड के लिए आवेदन दिया है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हो सकती है। जांच एजेंसी का कहना है कि इस घोटाले के सबूतों और गवाहों के बयान से यह स्पष्ट है कि डीसी रहते विनय चौबे की संलिप्तता पायी गयी है।

 कौन-सी भूमि है विवादित?

मामला हजारीबाग सदर अंचल थाना संख्या 252 की भूमि से जुड़ा है। इस भूमि का खाता नंबर 95 (प्लॉट संख्या 1055, 1060, 848 - कुल 28 डिसमिल) एवं खाता नंबर 73 (प्लॉट संख्या 812 - 72 डिसमिल) है। यह भूमि बभनवे मौजा, हल्का संख्या 11 में स्थित है, जिसपर फिलहाल “नेक्सजेन” का शोरूम संचालित है। ACB के मुताबिक यह भूमि वन भूमि श्रेणी में आती है, फिर भी डीसी कार्यालय और बिचौलियों की मिलीभगत से इसे निजी स्वामित्व में दर्ज करवा लिया गया, जो भ्रष्टाचार अधिनियम और राजस्व नियमों का सीधा उल्लंघन है।

मुख्य आरोप

ACB ने कहा है कि इस भूमि को विनय सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर म्यूटेशन कराने में तत्कालीन डीसी विनय चौबे की भूमिका निर्णायक रही। वहीं ब्रोकर विजय सिंह और सीओ शैलेश कुमार ने म्यूटेशन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराने में मदद की। इस केस के प्रमुख अभियुक्त विनय सिंह को ACB ने सितंबर में गिरफ्तार किया, जबकि शैलेश कुमार और विजय सिंह को पिछले महीने पकड़ा गया।
एजेंसी अब स्निग्धा सिंह की तलाश में है।

 ACB की चार्जशीट में दूसरा मामला भी खुला

हजारीबाग के खासमहल (सेवायत) भूमि घोटाला से जुड़े ACB कांड संख्या 9/2025 में एजेंसी ने हाल ही में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें भी IAS विनय चौबे और उनके करीबी विनय सिंह समेत कई नाम शामिल हैं। चार्जशीट के मुताबिक, यह घोटाला 2.75 एकड़ सेवायत ट्रस्ट की भूमि से जुड़ा है, जिसे 1948 में ट्रस्ट को लीज पर दिया गया था। 1978 में लीज समाप्त हो गई थी और 2008 तक नवीनीकरण चलता रहा। आरोप है कि 2008-10 के बीच प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी घोषित कर 23 निजी लोगों को आवंटित कर दिया गया। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि तत्कालीन डीसी विनय चौबे ने लीज नवीनीकरण के दस्तावेज से “सेवायत” शब्द हटवाया, जिससे यह सरकारी भूमि प्रतीत हो और अवैध आवंटन संभव हो सके।

अब तीन मामलों में फंसे IAS विनय चौबे

शराब घोटाला मामला – अवैध खरीद और भ्रष्टाचार से जुड़ा।

खासमहल भूमि घोटाला (ACB कांड संख्या 9/2025) – सेवायत ट्रस्ट की भूमि के अवैध आवंटन का आरोप।

वन भूमि घोटाला (ACB कांड संख्या 11/2025) – बभनवे मौजा की भूमि के अवैध हस्तांतरण का मामला।

इन तीनों मामलों में ACB ने मजबूत सबूतों के साथ आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।

 ACB की अगली कार्रवाई

सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी जल्द ही कोर्ट से विनय चौबे की रिमांड हासिल कर उनसे वन भूमि घोटाले में पूछताछ कर सकती है। ACB ने कहा है कि कई राजस्व अभिलेखों और गवाहों के बयान से यह साबित हुआ है कि पूरी प्रक्रिया में प्रशासनिक शक्ति का दुरुपयोग किया गया।

हजारीबाग जिला में सेवायत भूमि घोटाला से जुड़े मामले चार्जशीट दायर

हजारीबाग जिला में सेवायत भूमि घोटाला से जुड़े मामले में ACB ने अपनी जांच के बाद आरोपितों के ऊपर चार्जशीट दाखिल कर दी है। ACB ने सैकड़ों पन्नों की चार्जशीट में इस पूरे घोटाले में शामिल लोगों और उनके सहयोगियों की जानकारी दी है।ही चार्जशीट में कई अहम खुलासे भी किये गये हैं।  कोर्ट के समक्ष कई सबूत भी पेश किये गये हैं। चार्जशीट में IAS विनय चौबे उनके करीबी विनय सिंह समेत अन्य लोगों का नाम शामिल है।

 ACB ने चार्जशीट में कहा है कि यह घोटाला हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से संबंधित है, जिसे 1948 में 30 वर्षों के लिए एक ट्रस्ट 'सेवायत' को लीज पर दिया गया था। लीज 1978 में समाप्त हो गई थी। 2008 तक इसका नवीनीकरण किया गया। आरोप है कि 2008 से 2010 के बीच एक सुनियोजित प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से आवंटित कर दिया गया। इस षड्यंत्र के केंद्र में तत्कालीन डीसी हजारीबाग विनय कुमार चौबे थे। उन पर आरोप है कि उन्होंने खासमहल पदाधिकारी के साथ मिलकर लीज नवीनीकरण के लिए दिये गये आवेदन से "सेवायत" शब्द जानबूझकर हटवाया ताकि ट्रस्ट की भूमि को सरकारी दिखाया जा सके और उसका अवैध हस्तांतरण संभव हो सके। इस मामले में भी विनय चौबे समेत अन्य पर मामला दर्ज हुआ है। इस संबंध में ACB ने कांड संख्या 9/2025 दर्ज की है।