जज उत्तम आनंद मर्डर केस: झारखंड हाईकोर्ट ने कहा बाबुओं की तरह काम रही है CBI,डायरेक्टर को हाज़िर होने का निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर मामले में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सीबीआई के द्वारा पेश की गई प्रगति रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा बिना मर्डर के कारण और उद्देश्य का पता किए चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट मामले की निगरानी कर रही है तो बिना उसकी अनुमति के कैसे लोअर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
- सीबीआइ जी चार्जशीट पर जतायी नाराजगी
रांची। झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को धनबाद के जज उत्तम आनंद मर्डर मामले में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने सीबीआई के द्वारा पेश की गई प्रगति रिपोर्ट पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा बिना मर्डर के कारण और उद्देश्य का पता किए चार्जशीट दाखिल कर दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट मामले की निगरानी कर रही है तो बिना उसकी अनुमति के कैसे लोअर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
झारखंड: रांची में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का होगा निर्माण, 11 मिनिस्टर्स के लिए बनेगा बंगला, कैबिनेट ने 17 प्रोपोजल को दी मंजूरी
कोर्ट को अंधेरे में रखते हुए स्टेरियोटाइप चार्जशीट दाखिल की गई
कोर्ट ने कहा कि जब चार्जशीट में मर्डर के मोटिव के बारे में नहीं बताया गया है तो जांच पूरी करते हुए चार्जशीट कैसे दाखिल कर दी गई। कि कोर्ट को अंधेरे में रखते हुए स्टेरियोटाइप चार्जशीट दाखिल की गई है।चार्जशीट में अंकित मर्डर की धारा 302 का कोई प्रमाण नहीं। कोर्ट ने सीबीआई की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सचिवालय के बाबुओं की तरह सीबीआई काम कर रही है। हाईकोर्ट ने सीबीआई के डायरेक्टर को समन भेजते हुए अगली सुनवाई के दौरान 29 अक्तूबर को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।अगली सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से हाजिरी लगाने का निर्देश दिया गया है।
सीबीआई ने पूरे केस को समाप्त कर दिया
कोर्ट ने कहा चार्जशीट से पता चलता है कि सीबीआइ आरोपितों को लोअर कोर्ट में एक्सीडेंट साबित करने का मौका दे रही है। कोर्ट ने कहा शुरू से ही सीबीआई स्टीरियोटाइप रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर रही है। कोर्ट को अंधेरे में रख रही है। कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि निगरानी का क्या मतलब होता है क्या सीबीआई इसे सिर्फ खानापूर्ति समझ रही है। क्योंकि कोर्ट इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रही है इस घटना ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराया था। जुडिशल अफसरों का मनोबल गिरा है। लेकिन कोर्ट इनका मनोबल बढ़ाने के लिए इस मामले में शामिल सभी आरोपितों को सख्त सजा दिलाने के बारे में सोच रही थी। लेकिन सीबीआई की अब तक जांच से पता चल रहा है कि उन्होंने पूरे केस को समाप्त कर दिया है।
कोर्ट ने सवाल उठाया कि चार्जशीट भी जांच रिपोर्ट में नहीं दी गई है। कोर्टने कहा कि कोर्ट ने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि यह मामला कहीं मिस्ट्री मर्डर ना बन जाए। लेकिन अब लग रहा है कि यह मामला मिस्ट्री ऑन एक्सप्लेन की ओर बढ़ रहा है। सीबीआइ की अब तक की जांच से कोर्ट बहुत दुखी है।
कोर्ट ने कहा था अगले छह माह में में एफएसएल को पूरी तरह से करें अपग्रेड
स्टेट गवर्नमेंट ने अगले थह माह में एफएसएल को पूरी तरह से अपग्रेड करने की बात करते हुए प्रति शपथ पत्र दायर किया था। इसमें कहा गया था कि 6 महीने में फंड रिलीज किया जायेगा। इसमें भी कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी। जेपीएससी और जेएसएससी पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कुंभकरण की तरह ना बने, तीन महीने में पूरी खाली पद भरे, अन्यथा कठोर आदेश जारी किया जायेगा।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद घर से सुबह लगभग 5:00 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। रणधीर वर्मा चौक के समीप ऑटो ने जज को धक्का मार दिया। वह बेहोश होकर गिर गये। घायल जज को SNMMCH ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घर वापस नहीं आने पर पत्नी कीर्ति सिन्हा ने रजिस्ट्रार को फोन कर इसकी सूचना दी। रजिस्ट्रार ने मामले की सूचना एसएसपी धनबाद को दी, इसके बाद पुलिस महकमा जज को ढूंढने में लग गया था। इसके बाद उनके एक्सीडेंट होने का पता। पहले इसे सामान्य सड़क हादसा माना गया लेकिन सीसीटीवी फुटेज में एक ऑटो को जानबूझकर धक्का मारते दिखने पर सनसनी फैल गई। मामले में सुप्रीम कोर्टव हाई कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया। पुलिस ने गिरिडीह से ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथ बैठे राहुल वर्मा को अरेस्ट कर लिया।
फ्लैश बैक
जज उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए निकले थे। वॉक के दौरान ऑटो ने धक्का मार दिया जिससे उनकी मौत हो गयी। घटना के बाद एक सीसीटीवी वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें स्पष्ट दिखा रहा है कि एक ऑटो में बैठे लोग किनारे की तरफ जाकर उत्तम आनंद को धक्का मारा। इसके बाद ऑटो सीधा कर आगे की ओर से निकल गये। मामले में जज की वाइफ के कंपेलन पर धनबाद पुलिस स्टेशन ऑटो ड्राइवर के खिलाफ मर्डर की एफआईआर दर्ज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया
मामले में सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया। मामले में झारखंड पुलिस और स्टेट गवर्नमेंट गंभीर हुई। एडीजी (ऑपरेशन) संजय आनंद लाठकर के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गयी थी। एसआईटी को अब तक की जांच में सुनियोजित मर्डर से जुड़ा कोई एवीडेंस नहीं मिला था। पुलिस मामले में ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा व उसके सहयोगी राहुल वर्मा को अरेस्ट कर जेल भेजा गया। जज को धक्का मारने वाला ऑ़टो भी बरामद कर लिया गया है। झारखंड सरकार ने 30 जुलाई को मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद सीबीआई नई दिल्ली स्पेशल क्राइम ब्रांच-1 ने चार अगस्त को केस को टेकओवर कर पांच अगस्त से जांच शुरू कर दिया है।
आरोपियों की हो चुकी है नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग
सीबीआई ने ऑटो ड्राइवर लखन वर्मा और उसके साथी राहुल वर्मा को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। छह अगस्त के कोर्ट के आदेश के बाद सात अगस्त को सीबीआई दोनो आरोपितों को रिमांड पर ले गई थी। दोनों की साइ डिटेक्टर समेत अन्य जांच करायी जा चुकी है। 11 अगस्त को दोनों को वापस जेल भेज दिया गया था। सीबीआई की स्पेशल सेल ने नौ अगस्त को कोर्ट से दोनों आरोपीयों से सच्चाई पता करने के लिए नार्को टेस्ट,ब्रेन मैपिंग टेस्ट सहित चार अन्य टेस्ट कराने की अनुमति ली थी। नौ एवं10 अगस्त को सिंफर के गेस्ट हाऊस सत्कार में राहुल और लखन का लाई डिटेक्टर टेस्ट ,ब्रेन इलेक्ट्रिकल आक्सीलेशन व अन्य टेस्ट किया गया था। टेस्ट में मिली जानकारी के बाद सीबीआई की टीम फॉरेंसिक एक्सपर्ट के साथ घटनास्थल पर आई थी। सीबीआई धनबाद रेलवे स्टेशन से घटनास्थल तक पहुंचने के तमाम रास्तों में लगे सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला था। परंतु अब तक सीबीआई मामले की गुत्थी नहीं सुलझा सकी है। सीबीआइ घटनास्थाल पर तीन बार क्राइम सीन रिक्रियेट की है। सीबीआई दोनों आरोपियों की अहमदाबाद में नार्कों टेस्ट व ब्रेन मैपिंग करायी है।
जज को जानबूझकर धक्का मारा लेकिन अब तक साजिश का नहीं चला पता
सीबीआइ अभी तक सीबीआई टक्कर मारने के पीछे की मंशा नहीं भांप पाई है। लखन और राहुल सीबीआई से भी बार-बार यही कह रहे हैं कि नशे में धुत्त रहने के कारण ऑटो रोड किनारे दौड़ रहे व्यक्ति की तरफ मुड़ गया, जिससे उन्हें टक्कर लग गई। हालांकि सीबीआई दोनों के बयान को अंतिम सत्य नहीं मान रहे हैं। सीबीआइ परिस्थितिजन्य और वैज्ञानिक साक्ष्यों से टीम घटना के तह तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। दोनों के मोबाइल सीडीआर, घटनास्थल से मिले कॉल डंप, फोरेंसिक जांच के परिणाम के अलावा चिह्नित लोगों से लगातार हो रही पूछताछ के जरिए मामले में नये एंगल की तलाश हो रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ चाार्जशीट दाखिल की कर चुकी है। हाईकोर्ट सीबीआई जांच की मोनेटरिंग कर रही है। प्रत्येक सप्ताह सीबीआइ जांच की प्रगति रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करती है। सीबीआइ की अब तक की जांच से हाई कोर्ट असंतुष्ट है। सीबीआई की ओर से हाई कोर्ट में बतायी गयी है कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया था। हालांकि इसके पीछे साजिश का अभी तक पता नहीं चल सका है।