महा्राष्ट्र: जन्म से मुस्लिम नहीं थे एक्स NCB अफसर समीर वानखेड़े, कास्ट सर्टिफिकेट मामले में मिली क्लीन चिट
एक्स एनसीबी अफसर समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं बल्कि एससी समुदाय से हैं। महारष्ट्र गवर्नमेंट की जाति पैनल ने वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है।
मुंबई। एक्स एनसीबी अफसर समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं बल्कि एससी समुदाय से हैं। महारष्ट्र गवर्नमेंट की जाति पैनल ने वानखेड़े को क्लीन चिट दे दी है।
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”महार जाति से हैं समीर वानखेड़े
आदेश के अनुसार IRS अफसर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं थे। यह साबित हो गया कि वह महार जाति से हैं, जो अनुसूचित जाति (एससी) है। समिति ने वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र को भी बरकरार रखा है। पैनल ने 91 पन्नों के एक आदेश में दोनों पक्षों से सबमिशन को हटा दिया था। इसके बाद कहा था कि वानखेड़े जन्म से मुस्लिम नहीं थे। समिति ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि समीर वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया था और मुस्लिम धर्म को अपनाया था।आदेश में आगे कहा गया है कि समीर वानखेड़े और उनके पिता महार-37 अनुसूचित जाति से हैं जिसे हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त है। समिति ने माना कि महाराष्ट्र के एक्स कैबिनेट मिनिस्टर और एनसीपी लीडर नवाब मलिक और मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले जैसे अन्य शिकायतकर्ता अपनी शिकायत और दावों को साबित करने में सक्षम नहीं हुए।
उल्लेखनीय कि उक्त लोगों समीर वानखेड़े के जाति प्रमाण पत्र के बारे में शिकायत की थी।यह मुद्दा पिछले साल तब उठा था जब वानखेड़े मुंबई में नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो के प्रमुख थे। वानखेड़े ने आरोप लगाया कि मलिक ने उस समय एक कैबिनेट मंत्री के रूप में जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा केवल इसलिए उठाया था क्योंकि उनकी टीम ने मलिक के दामाद समीर खान को ड्रग मामले में अरेस्ट किया था। खान 2021 की पहली छमाही में जेल में थे। रिहाई के बाद मलिक ने ये आरोप लगाना शुरू कर दिए।
मलिक और अन्य ने आरोप लगाया था कि वानखेड़े के पिता ज्ञानेश्वर वानखेड़े ने हिंदू धर्म त्याग दिया था।अपनी शादी करने के लिए मुस्लिम बन गये थे। उनकी पत्नी जन्म से मुस्लिम थी। आरोपों के अनुसार, वानखेड़े मुस्लिम पैदा हुए थे। उन्होंने उस धर्म में निहित रीति-रिवाजों से एक मुस्लिम महिला से शादी भी की थी। हालांकि, जब जाति जांच ने शिकायतकर्ताओं को प्राप्त करने पर वानखेड़े को नोटिस जारी किया तो उनके वकील दिवाकर राय सहित वानखेड़े की कानूनी टीम ने विस्तार से आरोपों का जवाब दिया था।जाति जांच समिति की अध्यक्षता अनीता मेश्राम (वानखेड़े) ने की थी और सलीमा तडवी सदस्य थीं और सुनीता मेट सदस्य सचिव थीं। आदेश पर निराशा व्यक्त करते हुए कमले के लिए पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने कहा, "समीर वानखेड़े की जाति को मेरे द्वारा पहले ही हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। हमें जाति जांच समिति से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं थी। लेकिन हाई कोर्ट में विश्वास है।
वानखेड़े की जाति का मुद्दा महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने उठाया था। मनोज संसारे, अशोक कांबले और संजय कांबले ने वानखेड़े के खिलाफ आवेदन दायर किए थे। मुंबई जिला जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने शिकायतों की जांच कर शुक्रवार को एक आदेश पारित किया। आदेश में कहा गया कि यह साबित नहीं हुआ कि वानखेड़े और उनके पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने हिंदू धर्म को त्याग दिया और विधिवत इस्लाम में परिवर्तित हो गए।
नवाब मलिक को लगा झटका
आदेश में कहा गया कि यह साबित होता है कि वानखेड़े और उनके ससुर महार-37 अनुसूचित जाति के हैं। नवाब मलिक और अन्य द्वारा वानखेड़े के जातिगत दावे और जाति प्रमाण पत्र के धर्म के संबंध में दायर शिकायतों की पुष्टि नहीं की जाती है। इसके बाद शिकायत में तथ्यों की कमी के कारण शिकायतों को खारिज किया जा रहा है। वानखेड़े अक्टूबर, 2021 के एनसीबी द्वारा मुंबई के एक क्रूज पर छापे के बाद सुर्खियों में आए थे, इसके बाद एजेंसी ने बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और 19 अन्य को अरेस्ट किया था। कुछ नशीले पदार्थों को भी जब्त करने का दावा किया था। एनसीबी ने बाद में आर्यन खान को क्लीन चिट दे दी थी।