मुंबई: मनसुख हिरेन मर्डर केस:सचिन वाझे को सिम कार्ड्स देने वाला NIA कस्टडी में, वाझे की एक और महंगी SUV जब्त
इंड्रशलिस्ट मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली जिलेटिन लदी संदिग्ध कार से जुड़े मनसुख हिरेन के मर्डर केस में एनआईए ने अहमदाबाद से एक कोल कारोबारी किशोर ठक्कर को कस्टडी में लिया है। नहीं NIA ने सचिन वाझे की एक और महंगी SUV वोल्वो जब्त किया है।
- होम मिनिस्टर अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज कैलाश चांदीवाल करेंगे
मुंबई। इंड्रशलिस्ट मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली जिलेटिन लदी संदिग्ध कार से जुड़े मनसुख हिरेन के मर्डर केस में एनआईए ने अहमदाबाद से एक कोल कारोबारी किशोर ठक्कर को कस्टडी में लिया है। नहीं NIA ने सचिन वाझे की एक और महंगी SUV वोल्वो जब्त किया है।
एनआइ ने कारोबारी ठक्कर को पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया है। एनआईए के सोर्सेज के अनुसार ठक्कर ने ही नरेश गोर को सिम कार्ड्स मुहैया कराये थे, जिसे NIA ने मनसुख हिरेन मर्डर केस में बतौर आरोपी अरेस्ट किया है। इसके बाद गोर ने उन सिम कार्ड्स को कॉन्स्टेबल विनयाक शिंदे व एक्स असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे को दिया था। उस वक्त विनायक शिंदे गैंगस्टर लखन भैया के एनकाउंटर के केस में पेरोल पर आया था। एनआईए ने इस मामले में सस्पेंडेड पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को मुख्य आरोपी माना है। एनआईए पहले मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली संदिग्ध कार के मामले की ही जांच कर रही थी। लेकिन अब वह मनसुख हिरेन की मर्डर केस की भी जांच कर रही है। संदिग्ध कार मिलने के केस में एनआईए ने 13 मार्च को मुंबई पुलिस के सचिन वाझे को अरेस्ट किया था। अब एनआईए मनसुख मर्डर केस में भी सचिन वाझे को ही मास्टरमाइंड के तौर पर देख रही है।
मनसुख की मौत के बाद उसकी वाइफ की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में सचिन वाझे पर संदेह होने की बात कही थी। इसी केस में महाराष्ट्र एटीएस ने 21 मार्च को कॉन्स्टेबल विनयाक शिंदे और नरेश गोर को अरेस्ट किया था। गोर पर सचिन वाझे को सिम कार्ड्स मुहैया कराने का आरोप है, जबकि विनायक शिंदे पर वाझे के ही कहने पर मनसुख हिरेन का मर्डर करने का आरोप है। शिंदे और नरेश गोर के बाद बीते सप्ताह ही एटीएस ने किशोर ठक्कर को इस केस में कस्टडी में लिया था और एक गवाह बनया था।
ठक्कर ने किया स्वीकार, दोस्ती में दिये थे गोर को सिम कार्ड्स
पूछताछ में ठक्कर ने माना है कि उसके गोर के साथ संबंध थे। उसने दोस्ती के नाते गोर को सिम कार्ड मुहैया कराये थे, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि इनका इस्तेमाल किसी गंभीर अपराध में हुआ है। ठक्कर को इस पूरे मामले में गवाह बनाया गया है। अब एनआईए ने उसे बयान लेने के लिए कस्ट़ी में लिया है।
सचिन वाझे की एक और महंगी SUVवोल्वो जब्त
NIA ने सचिन वाझे के नाम से रजिस्टर्ड एक महंगी कार नवी मुंबई से जब्त की। जांच टीम पिछले कई दिनों से एक मित्सुबिशी आउटलैंडर एसयूवी (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) की तलाश कर रही थी। इस बीच, एनआईए ने एटीएस ठाणे से एक वोल्वो कार को भी अपने कब्जे में लेकर मुंबई लाया गया। बताया जा रहा है इस कार का इस्तेमाल मनसुख हिरेन की मर्डर में हुआ था।अफसरों ने बताया कि सूचना मिलने पर NIA अफसरों की एक टीम नवी मुंबई के कामोठ इलाके के सेक्टर- 7 में एक हाउसिंग सोसाइटी के बाहर खड़ी एक एसयूवी बरामद की। कार की नंबर प्लेट से प्रदर्शित होता है कि यह एपीआई सचिन वाझे के नाम रजिस्टर्ड है।एनआईए को संदेह है कि एसयूवी को एक पुलिस अफसर लेकर आये होंगे, जो वाझे के सहकर्मी हैं। इससे पहले, एनआईए ने आठ महंगी कारें जब्त की हैं, जिनका वाझे ने कथित तौर पर इस्तेमाल किया था।
होम मिनिस्टर अनिल देशमुख पर लगे आरोपों की जांच बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज कैलाश चांदीवाल करेंगे
मुंबई पुलिस के एक्स कमिश्नर परमबीर सिंह के सनसनीखेज आरोपों की जांच के लिए महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने एक सदस्यीय जांच कमिटी का गठन कर दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज कैलाश चांदीवाल को यह जांच सौंपी गई है। उन्हें जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने का समय दिया गया है।जांच कमिटी इस बात की जांच करेगी कि क्या परमबीर सिंह ने 20 मार्च को लिखी चिट्ठी में कोई सबूत दिया है जिससे यह साबित होता हो कि गृहमंत्री अनिल देशमुख या उनके ऑफिस के किसी अफसरने कोई अपराध या गड़बड़ी की। क्या एसीपी संजय पाटिल, एपीआई सचिन वाझे के संदेशों का हवाला देते हुए परमबीर सिंह की ओर से लगाये गये आरोपों में कोई सच्चाई है और क्या एंटी करप्शन ब्यूरो या किसी अन्य एजेंसी से इसकी जांच कराने की आवश्यकता है। जांच कमिटी को यदि जरूरत महसूस हो तो अन्य सिफारिशें भी दे सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली कार और इसके मालिक मनसुख हिरेन मर्डर केस में एपीआइ सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद मुंबई पुलिस कमिश्नर पोस्ट से परमबीर सिंह को हटा दिया गया था। इसके बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि होम मिनिस्टर अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली का टारगेट दिया था। वसूली का तरीका भी बताया था।