नई दिल्ली: जस्टिस यूयू ललित होंगे नये CJI, चीफ जस्टिस की  नाम की सिफारिश

चीफ जस्टिस  एनवी रमणा ने नये सीजेआई के लिए जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश की है। इंडिया के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सीनीयर जस्टिस  न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश किया है। सीनियॉरिटी के हिसाब से जस्टिस उदय उमेश ललित रमण के बाद हैं।

नई दिल्ली: जस्टिस यूयू ललित होंगे नये CJI, चीफ जस्टिस की  नाम की सिफारिश

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस  एनवी रमणा ने नये सीजेआई के लिए जस्टिस यूयू ललित के नाम की सिफारिश की है। इंडिया के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर सीनीयर जस्टिस  न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश किया है। सीनियॉरिटी के हिसाब से जस्टिस उदय उमेश ललित रमण के बाद हैं।

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इंडिया अगले सीजेआई बनने की कतार में शामिल सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सीनीयर जज न्यायमूर्ति यू. यू. ललित मुसलमानों में ‘तीन तलाक' की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। वह ऐसे दूसरे प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की बेंच में प्रमोशन किया गया।  उनसे पहले जस्टिस एस. एम. सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की बेंच में सीधे प्रमोट होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे।
सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे
जस्टिस ललित मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी. रमण के रिटायर होने के एक दिन बाद 27 अगस्त को इंडिया के 49वें सीजेआई बनने के लिए लिस्ट में हैं। जस्टिस ललित को 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस नियुक्त किया गया था। तब वह जाने-माने एडवोकेट थे। जस्टिस ललित तब से सुप्रीम कोर्ट के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं। पांच जस्टिस की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से ‘तीन तलाक' को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। उन तीन जस्टिस में न्यायमूर्ति ललित भी थे। जस्टिस यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई हाइ कोर्ट के ‘‘त्वचा से त्वचा के संपर्क'' संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था।

यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस ललित की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है। नौ नवंबर, 1957 को जन्मे जस्टिस ललित ने जून 1983 में एक एडवोकेट के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था। दिसंबर 1985 तक बम्बई हाई कोर्ट में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे। अप्रैल 2004 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक सीनीयर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया। टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें सीबीआई का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। 
बॉम्बे हाई कोर्ट से शुरू की जस्टिस ललित ने प्रैक्टिस
जस्टिस ललित का जन्म नौ नवंबर, 1957 को हुआ है। उन्होंने साल 1983 में एक वकील के रूप में करियर शुरू किया और दिसंबर, 1985 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की। बाद में वे दिल्ली में आ गये। जस्टिस ललित को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2004 में एक सीनीयर एडवोकेट के रूप में नामित किया था।

2जी मामलों की भी सुनवाई कर चुके हैं
बार से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की सिफारिश किए जाने से पहले, ललित सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में 2जी मामलों में सुनवाई कर चुके हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। इस साल आठ नवंबर को रिटायर होने से पहले CJI के रूप में उनका कार्यकाल तीन महीने से कम का होगा।जस्टिस  ललित आठ नवंबर, 2022 को रिटायर होंगे।सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस एनवी रमण का 16 महीनों का कार्यकाल 26 अगस्त को पूरा हो रहा है। जस्टिस रमण एस ए बोबडे के बाद 24 अप्रैल 2021 को देश के 48वें चीफ जस्टिस बने थे।