नई दिल्ली: पारस गुट ने सूरजभान को एलजेपी का नेशनल वर्किंग प्रसिडेंट बनाया, चिराग ने पांच एमपी को पार्टी से निकला
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अब सुलग की गुंजाइश खत्म हो गयी है। पार्टी अब पूरी तरह से दो खेमें बंटती दिख रही है। एलजेपी संसदीय दल के नये नेता पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान को नेशनल प्रसिडेंट से हटा दिया है। सूरजभान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। वहीं चिराग पासवान ने चचा पारस समेत पांचों बागी एमपी को पार्टी से निकाल दिया है।
- पार्टी में सुलह की गुंजाइश खत्म
नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अब सुलग की गुंजाइश खत्म हो गयी है। पार्टी अब पूरी तरह से दो खेमें बंटती दिख रही है। एलजेपी संसदीय दल के नये नेता पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान को नेशनल प्रसिडेंट से हटा दिया है। सूरजभान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। वहीं चिराग पासवान ने चचा पारस समेत पांचों बागी एमपी को पार्टी से निकाल दिया है।
पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की आपात बैठक दिल्ली में अपने आवास पर बुलायी। चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटा दिया। पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सूरज सिंह उर्फ सूरज भान सिंह को लोजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व चुनाव प्रभारी की जिम्मेवारी दी। हालंकि इस फैसले के तत्काल बाद चिराग पासवान ने देर शाम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वर्चुअल बैठक की और बागी पांचों एमपी पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, प्रिंस राज और चंदन सिंह) को पार्टी से निकाल दिया।
पार्टी मां के सामन, धोखा देना ठीक नहीं: चिराग
बैठक के बाद चिराग ने एक ट्वीट कर कहा कि पार्टी मां समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट के साथ 29 मार्च को चाचा पारस को लिखा एक पुराना पत्र भी टैग किया। इसमें रामविलास पासवान के निधन बाद पारस के बदले तेवर की चर्चा है।चिराग के करीबी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने बैठक में लिये गये फैसले के बारे में मीडिया को बागी सांसदों को लोजपा से निकाले जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बागी सांसदों की पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी खत्म कर दी गई है। बैठक में सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के नेतृत्व में अगले साल यूपी, गोवा, उत्तराखंड व पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव लडऩे की भी फैसला लिया गया।
एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत पर हुई चिराग के खिलाफ कार्रवाई : पारस
पशुपति कुमार पारस ने बताया कि लोजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में सर्वसम्मति से चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला लिया गया। यह फैसला इसीलिए लिया गया कि पार्टी के संविधान के तहत 'एक व्यक्ति, एक पद' का प्रविधान सभी के लिए है। इसीलिए संविधान के आलोक में चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सूरज भान सिंह ही चुनाव अधिकारी रहेंगे। बैठक मंठ सूरज भान सिंह को अधिकृत किया गया कि पांच दिनों के अंदर राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संपन्न कराएं। पारस ने बताया कि बुधवार को पटना राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी करेंगे।
रामविलास के पुराना साथी रहे हैं सूरजभान
लंबे समय से चुनावी राजनीति से बाहर सूरजभान लोजपा के पुराने साथी हैं। हालांकि वे पार्टी के लिए रणनीति बनाने में हमेशा अहम भूमिका अदा करते रहे हैं। उनकी गिनती बिहार के बाहुबली नेताओं में की जाती है। पटना जिले के मोकामा दियारा में 5 मार्च 1965 कोसूरभान का जन्म हुआ। एक समय इलाके में उनकी दहशत होती थी। बाद में वे मुख्य धारा की राजनीति में आ गये। वे एमएलए व एमपी भी रह चुके हैं। वे राम विलास के महत्वपूर्ण सहयोगियों में एक रहे हैं। वे फिलहाल लोजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। अब बागी गुट ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष और चुनाव अधिकारी बनाया है।
एक बार पारस ने चिराग से कहा था- आज से तुम्हारा चाचा मर गया
कहा जाता है कि पशुपति कुमार पारस उस दिन से ही घुटन में जी रहे थे, जब उनके दावे को दरकिनार कर चिराग पासवान को पहले संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष और बाद में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। चिराग को 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद संसदीय दल के नेता का पद भी दे दिया गया। यह पार्टी में रामविलास पासवान का अंतिम पद था। वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़े। राज्यसभा में गए। पारस और चिराग के बीच तल्खी 2015 से शुरू हुई थी। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद से सामने भी आने लगी थी। लेकिन, बड़े भाई रामविलास पासवान का लिहाज कर पारस चुपचाप रहे। वे कहते थे-हम कुछ बोलेंगे तो भैया को बुरा लगेगा। भैया बीमार हैं।
जब चिराग ने गुस्से में पारस से कहा था,तुम मेरा खून नहीं हो सकते
बताया जाता है कि पारस ने चिराग की इच्छा के विरूद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की प्रशंसा कर दी थी। चिराग की मां रीना पासवान ने पारस को फोन कर अपने आवास पर बुलाया। पहले से बैठे चिराग पारस पर चीख पड़े-तुम मेरा खून नहीं हो सकते हो। वहां चिराग के सहयोगी सौरभ पांडेय भी मौजूद थे। पारस गुस्से से कांप रहे थे। उन्होंने जवाब दिया-आज से यह चाचा तुम्हारे लिए मर गया। इतना कह कर पारस घर से निकल गये। पारस ने रीना पासवान से टेलीफोन पर हुई अगली बातचीत में इस बात पर अफसोस किया कि वह चिराग को डांट सकती थीं। थप्पड़ लगा सकती थीं। उन्होंने ऐसा नहीं किया।
जब चिराग ने पारस को विधासभा की दो सीट पर नहीं लड़ने दिया
पारस व चिराग के बीच तकरार 2015 के विधानसभा चुनाव के समय ही चरम पर पहुंच गया था। पारस अलौली के अलावा वैशाली जिले के राजापाकर सुरक्षित सीट से भी चुनाव लडऩा चाहते थे। उन्हें अलौली से चुनाव हारने की आशंका थी। चिराग संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बन गये थे। उन्होंने साफ कहा-पारस किसी एक सीट से ही चुनाव लड़ सकते हैं। पारस की आशंका सही साबित हुई, वे अलौली से चुनाव हार गये थे। इसके तीन साल बाद नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद में भेजा। अपने कैबिनेट में भी रखा। 2019 में पारस लोकसभा में चले गये। 2020 में रामविलास पासवान का निधन हो गया।