नई दिल्ली: राहुल गांधी बोले कांग्रेस में होते तो ज्योतिरादित्य सिंधिया बन सकते थे सीएम, BJP में बन गये बैकबेंचर
राहुल गांधी का ज्योतिरादित्य सिंधिया लेकर दर्द छलका है। राहुल गांधी ने कहा कि सिंधिया कांग्रेस में निर्णायक भूमिका में थे, आज वे यहां होते तो सीएम बन सकते थे। लेकिन भाजपा में पिछली सीट पर बैठे हुए हैं।
नई दिल्ली। अखिल भारतीय युवक कांग्रेस की नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे राहुल गांधी का ज्योतिरादित्य सिंधिया लेकर दर्द छलका है। राहुल गांधी ने कहा कि सिंधिया कांग्रेस में निर्णायक भूमिका में थे,आज वे यहां होते तो सीएम बन सकते थे। लेकिन भाजपा में पिछली सीट पर बैठे हुए हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी में उन्हें पिछली सीट पर जगह मिल रही है और कांग्रेस में जब थे, तो वह हमारे साथ बैठते थे और निर्णायक भूमिका में होते थे। सिंधिया जी जब मेरे पास आये थे तो मैंने उन्हें बोला था कि मेहनत कीजिए आने वाले समय में आप सीएम होंगे। लेकिन उन्होंने दूसरा रूट चुना।राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस समंदर है, सबके लिए दरवाजे खुला है और किसी को आने से पार्टी में कोई नहीं रोकेगा और जो कांग्रेस के विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखते हैं, उन्हें जाने से भी कोई नहीं रोकेगा। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि लिखकर ले लीजिए, वह वहां पर कभी भी सीएम नहीं बन सकते। उसके लिए उन्हें यहीं वापस आना होगा। कार्यक्रम में राहुल गांधी ने पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं से आरएसएस की विचारधारा से लड़ने और किसी से नहीं डरने की बात की।
उन्हें वापस आना ही होगा- राहुल गांधी
बताया जाता है कि मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा इसे लिख लें, वह बीजेपी में कभी सीएम नहीं बनेंगे। उन्हें यहां वापस आना होगा। उन्होंने युवा पार्टी के कार्यकर्ताओं को आरएसएस की विचारधारा से लड़ने और किसी से भी नहीं डरने की हिदायत दी। पांचों राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने यूथ कांग्रेस की नेशनल एग्जीक्यूटिव मीटिंग को संबोधित किया।
यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी ने ट्विटर पर कहा कि इंडियन यूथ कांग्रेस पार्टी हेडक्वार्टर में नेशनल एग्जीक्यूटिव की बैठक का आयोजन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों को संभाला
बीते कुछ महीनों से सिंधिया कांग्रेस पार्टी में अपने स्थान को लेकर अहसज और असंतुष्ट थे। वर्ष 2019 की नौ मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदस्यता ग्रहण की थी। सिंधिया की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी और क़रीब 18 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी में रहे। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी के कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला।
सिधिंया के बीजेपी में जाने से एमपी में गिर गयी थी कांग्रेस गवर्नमेंट
सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने के पीछे वजह बताते हुए कहा था कि कमल नाथ सरकार की तरफ से किसानों और युवाओं को किये वादे पूरा न करना भी है। उस समय कहा गया था कि कांग्रेस के अपने चुनावी घोषणा पत्र में किये गये वादों को पूरा नहीं करने से सिंधिया काफी निराश थे। मप्र विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि राज्य में सरकार बनने के 10 दिनों के अंदर सभी किसानों के कर्ज माफ किए जाएंगे और बेरोजगार युवाओं को भत्ता मिलेगा। लेकिन कमलनाथ सरकार में ऐसा हुआ नहीं। इससे नाराज होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया दो दर्जन एमएलए के साथ पार्टी छोड़ दी थी। कांग्रेस से एमएलए के अलग होने से सरकार अल्पमत में आ गई थी। कुछ ही दिनों में कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एमपी में सरकार बनाई।