नई दिल्ली: आप जनता के जज रहे... चीफ जस्टिस एनवी रमना की विदाई में रो पड़े सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल का शुक्रवार को आखिरी दिन है। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की गयी। उनकी विदाई पर आयोजित कार्यक्रम में कई जज और वकील उन्हें विदा करते हुए भावुक नजर आए। सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे इस दौरान बेहद भावुक हो गये। उनकी आंखों में आंसू आ गये। 

नई दिल्ली: आप जनता के जज रहे... चीफ जस्टिस एनवी रमना की विदाई में रो पड़े सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे
  • कार्यकाल के अंतिम दिन एन.वी. रमना ने मांगी माफी, पेंडिंग मामलों को बताया बड़ी चुनौती

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल का शुक्रवार को आखिरी दिन है। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की गयी। उनकी विदाई पर आयोजित कार्यक्रम में कई जज और वकील उन्हें विदा करते हुए भावुक नजर आए। सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे इस दौरान बेहद भावुक हो गये। उनकी आंखों में आंसू आ गये। 

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दुष्यंत दवे ने कहा कि चीफ जस्टिस एनवी रमना ने अपने काम को पूरी दृढता और इच्छाशक्ति के साथ अंजाम दिया। उन्हें नागरिकों के जज के तौर पर याद किया जायेगा। दवे ने एन वी रमणा को अलविदा कहते हुए कहा कि उन्होंने न्यायपालिका कार्यपालिका और संसद के बीच नियंत्रण और संतुलन बनाए रखा।सीनीयर एडवोकेट कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि रमणा को अशांत माहौल में भी संतुलन बनाए रखने के लिए याद किया जायेगा। सेरेमोनियल बेंच में विदाई देते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा आपके रिटायरमेंट से हम एक बुद्धिजीवी और एक उत्कृष्ट जस्टिस को खो रहे हैं।

सेरेमोनियल बेंच की लाइव स्ट्रीमिंग 
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना शुक्रवार को रिटायर हो ये अपने कार्यकाल के आखिरी दो दिनों में उन्होंने कई अहम मामलों की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी CJI की सेरेमोनियल बेंच की लाइव स्ट्रीमिंग हुई। जिसे सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर वेबकास्ट किया गया। उन्होंने सुबह 10:30 बजे नए चीफ जस्टिस बनने वाले यूयू ललित और जस्टिस हिमा कोहली के साथ बेंच शेयर की और एक मामले की सुनवाई की।

कार्यकाल के अंतिम दिन एन.वी. रमना ने मांगी माफी, पेंडिंग मामलों को बताया बड़ी चुनौती

वहीं  चीफ जस्टिस एनवी रमना के कार्यकाल के अंतिम दिन  शुक्रवार को समारोह बेंच को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लंबित मामलों को एक बड़ी चुनौती बताया। इसके साथ ही उन्होंने और मामलों की सूची और मामलों की सुनवाई के कार्यक्रम के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर खेद व्यक्त किया। एनवी रमना ने अपने कार्यकाल की आखिरी समारोह बेंच में सभी से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि आई एम सॉरी, सोलह महीनों में सिर्फ पचास दिन ही प्रभावी और पूर्णकालिक सुनवाई कर पाया हूं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया, लेकिन उन्होंने पूरी कोशिश की, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।‌

वहीं औपचारिक बेंच ने कहा, 'संबंधित लोगों ने मॉड्यूल विकसित करने का प्रयास किया, हालांकि सुरक्षा मुद्दों और अनुकूलता के कारण, बहुत प्रगति नहीं हुई थी, और इस मुद्दे को हल करने के लिए आधुनिक तकनीक को तैनात करने की आवश्यकता है।जस्टिस रमना ने कहा, 'आम हम सभी आम आदमी को त्वरित और किफायती न्याय देने की प्रक्रिया में चर्चा और संवाद के साथ आगे बढ़ें।' उन्होंने कहा कि वह देश के संस्थान‌ के विकास में योगदान देने वाले पहले या आखिरी नहीं होंगे। न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्था हमेशा के लिए बनी हुई है।‌ इसके साथ ही उन्होंने संस्था की विश्वसनीयता की रक्षा करने पर जोर दिया।

 न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग

जस्रटिसमना ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग थीं। इस बात पर जोर दिया कि जब तक बार सहयोग नहीं करता, तब तक आवश्यक बदलाव लाना मुश्किल होगा, और कहा कि भारतीय न्यायपालिका समय के साथ विकसित हुई है और इसे परिभाषित या न्याय नहीं किया जा सकता है। एक ही आदेश या निर्णय से उन्होंने कहा, 'हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि पेंडेंसी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मामलों को सूचीबद्ध करने और पोस्ट करने के मुद्दे उन क्षेत्रों में से एक हैं जिन पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं दे सका। मुझे इसके लिए खेद है।'अपने पहले विदाई भाषण का समापन न्यायमूर्ति रमना ने कहा, 'मैं अपने सभी सहयोगियों और बार के सभी सदस्यों को उनके सक्रिय समर्थन और सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं निश्चित रूप से आप सभी को याद करूंगा।'

एनवी रमना को कोर्ट के कामकाज में बड़े सुधारों के लिए भी याद किया जायेगा
एनवी रमना को कोर्ट के कामकाज में बड़े सुधारों के लिए भी याद किया जायेग। उन्होंने अपने एक साल चार महीने के कार्यकाल में जजों की वैकेंसी को भरने का काम किया। उनके दौर में जिला अदालतों और हाई कोर्ट्स में जजों की संख्या में भी इजाफा किया। उन्होंने जज-टू-पॉपुलेश रेश्यो की बात की और कहा कि इसी तरीके से केस लोड को कम किया जा सकता है। चीफ जस्टिस के अपने कार्यकाल के दौरान एनवी रमना ने 225 न्यायिक अफसरों और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की सिफारिश की। एनवी रमना के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 11 जजों की नियुक्ति की गई, जिनमें महिला जज बीवी नागरत्ना भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि वह 2027 में देश की पहली महिला चीफ जस्टिस होंगी। एनवी रमना के कार्यकाल में 15 हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस भी नियुक्त हुए हैं। एनवी रमना को उनकी मुखरता के लिए भी जाना जायेगा। पिछले दिनों उन्होंने मुकदमों की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी सवाल उठाते हुए कहा था कि कई बार संदर्भ से हटकर खबरें दी जाती हैं। यही नहीं उनके एक बयान की काफी चर्चित हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं नेता बनना चाहता था, लेकिन न्यायिक क्षेत्र में आ गया। 

आखिरी दो दिन में इन मामलों की सुनवाई

कर्नाटक कोल माइनिंग- कर्नाटक के बेल्लारी, चित्रदुर्ग और तुमकुरु जिलों में खनन फर्मों के लिए आयरन ओर की माइनिंग लिमिट बढ़ाई।
मुफ्त चुनावी घोषणाएं- फ्रीबीज मामले को तीन जजों की बेंच को रेफर किया।
गोरखपुर दंगा केस- 2007 के हेट स्पीच केस में सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
दिवालिया कानून- सीमा शुल्क अधिनियम पर दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) लागू होगी। सीमा शुल्क प्राधिकरण केवल शुल्क और लेवी की मात्रा निर्धारित कर सकता है लेकिन वसूली की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है।
पेगासस- कमेटी को 5 फोन में मालवेयर मिला, लेकिन वह पेगासस था, ये स्पष्ट नहीं। कमेटी ने कहा सरकार ने मदद नहीं की। अगली सुनवाई सितंबर के आखिरी हफ्ते में होगी।
बिलकिस बानो- गुजरात सरकार को नोटिस दिया है, 11 दोषियों को पार्टी बनाने के लिए कहा है। अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद सितंबर में होगी।
पीएमएलए- रिव्यू पिटीशन पर केंद्र सरकार को नोटिस दिया है। साथ ही कहा यह कानून बहुत अहम है, और सिर्फ 2 पहलू दोबारा विचार लायक हैं। एक ECIR (ED की तरफ से दर्ज FIR) की रिपोर्ट आरोपी को न देने का प्रावधान और दूसरा खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने का प्रावधान।
PM मोदी सिक्योरिटी ब्रीच- PM मोदी की सिक्योरिटी ब्रीच केस की जांच के बनी कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फिरोजपुर में SSP कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी निभाने में फेल रहे।
रजिस्ट्री की प्रोसेस से थे नाराज, विदाई भाषण में भी बोले
एनवी रमना कोर्ट की 16 बेंच में सुनवाई के लिए मास्टर ऑफ रोस्टर केस डिस्ट्रीब्यूट करते रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों मुकदमों की लिस्टिंग को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के आगे बेबस नजर आये थे। विगत 17 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्टेड एक केस को रजिस्ट्री ने हटा लिया था। सीजेआइ रमना बेहद नाराज हो गये थे। उन्होंने कहा था कि वे इस मुद्दे पर 26 अगस्त को अपने विदाई भाषण में बोलेंगे।हालांकि उन्होंने विदाई भाषण के दौरान इतना कहा कि पेंडेंसी का मुद्दा सबसे बड़ी चुनौती है और मैं मानता हूं कि लिस्टिंग एक ऐसा एरिया है जहां मैं ज्यादा ध्यान नहीं दे सका। इसके लिए मुझे खेद है। सिस्टम में सुधार करने का एकमात्र तरीका है आधुनिक तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को तैनात करना। लेकिन कमर्शियल ऑर्गनाइजेशन के उलट हम मार्केट से इन्हें नहीं खरीद सकते।रमना ने यह भी कहा था कि ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर सवाल उठाना चाहते हैं, लेकिन वे पद छोड़ने से पहले बोलना नहीं चाहते थे।

यूयू ललित होंगे अगले CJI
CJI रमना के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस यूयू ललित देश के 49वें CJI होंगे। जस्टिस ललित 27 अगस्त को CJI के रूप में शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस ललित महज 74 दिनों के लिए ही CJI बनेंगे, क्योंकि आठ नवंबर को वे रिटायर हो जायेंगे। जस्टिस ललित 'तीन तलाक' की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं।

24 अप्रैल 2021 को ली थी शपथ
CJI रमन ने पिछले साल 24 अप्रैल को देश के 48 वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी। वह 16 महीने से अधिक के कार्यकाल के बाद रिटायर हो गये।  रमणा ने न्यायाधीश बोबडे की जगह ली थी, जो 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर हुए थे। सुप्रीम कोर्ट के चफ जस्टिस के रूप में जस्टिस रमणा ने अपने कार्यकाल में कई अहम मामलों की सुनवाई की और उनके फैसले लिए।