दिल्ली हाईकोर्ट से चिराग पासवान को झटका, पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता बनाने के खिलाफ अरजी खारिज
चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से चिराग पासवान को तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का नेता बनाने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली। चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से चिराग पासवान को तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी का नेता बनाने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है।
चिराग ने एलजेपी अपना दावा दावा जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के फैसले को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने की मांग की थी।जस्टिस रेखा पल्ली ने सुनवाई के दौरान याचिका को आधारहीन बताते हुए कहा कि इसमें कोई दम नजर नहीं आ रहा है। कोर्ट इस मामले में याचिकाकर्ता एमपी चिराग पासवान पर जुर्माना लगाना चाहती थी लेकिन बाद में उनके वकील के आग्रह पर ऐसा नहीं किया। चिराग हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी। इस परिपत्र में चिराग के चाचा पारस का नाम लोकसभा में एलजेपी के नेता के तौर पर दर्शाया गया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका का कोई आधार नहीं है। मामला लोकसभा स्पीकर के पास पेंडिंग है इसलिए आदेश देने की जरूरत नहीं है।
लोजपा की कार्यकारिणी के 75 में से 66 सदस्य साथ होने का दावा
चिराग पासवान ने याचिका में कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों और शीर्ष नेतृत्व को धेाखा देने की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते पशुपति कुमार पारस को पार्टी से निकाला जा चुका है। इस वजह से वे लोजपा के सदस्य नहीं हैं। चिराग ने यह भी कहा था कि लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 75 में से 66 सदस्य हमारे साथ हैं। इस बाबत सभी ने एफिडेविट भी दिया है। लोकसभा अध्यक्ष के वकील ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई का कोई आधार नहीं है। चिराग के वकील ने स्पीकर की इस बात का कोई विरोध नहीं किया। वहीं, पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था, उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे। बाद में पार्टी के लीडर चुने गये थे। इसके बाद कोर्ट ने चिराग के वकील को कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहां नहीं आना चाहिए था।
LJP में 13-14 जून की रात हुआ था तख्तापलट
LJP में 13 जून की शाम से कलह शुरू हुई और 14 जून को चिराग पासवान को छोड़ बाकी पांचों एमपी ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। इसमें हाजीपुर एमपीपशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया गया। इसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दे दी गई। लोकसभा सचिवालय से 14 जून की शाम तक उन्हें मान्यता भी मिल गई थी। इसके बाद चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पांचों बागी एमपी को LJP से हटाने की अनुशंसा कर दी। फिर 17 जून को पटना में पारस गुट की बैठक में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया।