सेंट्रल गवर्नमेंट की स्वदेश दर्शन योजना से जुड़े बिहार के तीन टाउन, रामायण सर्किट में अयोध्या की तरह सीतामढ़ी भी दिखेगी

सेंट्रल गवर्नमेंट की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत बिहार के तीन टाउन सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को सलेक्ट किया गया है। इन तीनों टाउन में केंद्रीय योजना के तहत मिलने वाली राशि से Tourist Places का विकास होगा। मिनिस्टर नारायण प्रसाद ने यह जानकारी दी है।

सेंट्रल गवर्नमेंट की स्वदेश दर्शन योजना से जुड़े बिहार के तीन टाउन, रामायण सर्किट में अयोध्या की तरह सीतामढ़ी भी दिखेगी

पटना। सेंट्रल गवर्नमेंट की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत बिहार के तीन टाउन सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को सलेक्ट किया गया है। इन तीनों टाउन में केंद्रीय योजना के तहत मिलने वाली राशि से Tourist Places का विकास होगा। मिनिस्टर नारायण प्रसाद ने यह जानकारी दी है।

उल्लेखनीय है कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने वर्ष 2015 में स्वदेश दर्शन योजना लांच की थी। इस योजना के तहत रामायण व सूफी समेत 15 सर्किंट  और 75 से अधिक योजनाओं को मंजूरी दी गई है। 
रामायण सर्किंट में बिहार के तीन टाउन
योजना में रामायण सर्किंट के अंतर्गत उत्तरप्रदेश, बिहार समेत नौ राज्यों में 15 स्थानों की पहचान की गई है। इसमें स्वदेश दर्शन योजना के तहत बिहार के सीतामढ़ी, बक्सर और दरभंगा को शामिल किया गया है। इन तीनों ही शहरों का रामायण काल से जुड़ाव माना जाता है। इनमें दरभंगा के गौतम कुंड, बक्सर के नदवा, भभहर, बड़का, नुआंव व चरित्र वन आदि को इसमें शामिल किए जाने की योजना है। सीतामढ़ी और दरभंगा की जहां माता सीता की धरती के रूप में मान्यता है। वहीं बक्सर के विश्वामित्र आश्रम होने और ताड़का वध से जुड़े होने की बात कही जाती है।
अयोध्या की तरह सीतामढ़ी का महत्व
माता सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी को रामायण सर्किट में शामिल किये जाने से पर्यटन को गति मिलेगी।रोजगार भी बढ़ेगा। यहां के पुनौरा धाम, हलेश्वर स्थान और पंथपाकड़ को वर्ष 2018 में रामायण सर्किट में शामिल किया गया था। सीतामढ़ी का महत्व अयोध्या के बराबर माना जाता है। श्रीराम की भूमि अयोध्या से जनकपुर जाने वाले पर्यटक और श्रद्धालु पुनौरा धाम जरूर जाते हैं।

योजना के तहत होने वाले काम
चुने गये सर्किट के आधार पर पर्यटन केंद्र में आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा।
थीम के अनुसार ही पर्यटन केंद्रों की साज-सज्जा, पर्यटकों को सुविधाएं दी जायेगी।
चुने गये पर्यटन केंद्रों की स्थानीय कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, भोजन आदि को बढ़ावा दिया जायेगा।
पर्यटन केंद्रों के आसपास के लोगों को रोजगार से जोड़कर उन्हेंर जागरूक किया जायेगा।