Shaheen Bagh Protest Case पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- रोड रोककर प्रदर्शन करना गलत, पुलिस एक्शन के लिए स्वतंत्र
साउथ दिल्ली के शाहीन बाग में CAA और NRC के विरोध में चले विरोध-प्रदर्शन के दौरान रोड पर अतिक्रमण कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि विरोध प्रदर्शन एक सीमा तक हों, अनिश्चितकाल तक नहीं।
नई दिल्ली। साउथ दिल्ली के शाहीन बाग में CAA और NRC के विरोध में चले विरोध-प्रदर्शन के दौरान रोड पर अतिक्रमण कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि विरोध प्रदर्शन एक सीमा तक हों, अनिश्चितकाल तक नहीं। धरना-प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक स्थलों को नहीं घेरा जाए। इसी के साथ दिल्ली पुलिस को शाहीन बाग इलाके को खाली कराने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने बड़े और फैसले में कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना किसी भी लिहाज से सही नहीं है। इससे आम जनता के अधिकारों का हनन होता है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी प्रदर्शनकारी समूह या व्यक्ति सिर्फ विरोध प्रदर्शनों के बहाने सार्वजनिक स्थानों पर अवरोध पैदा नहीं कर सकता है। सार्वजनिक स्थल को रोक नहीं सकता है।
उल्लेखनीय है कि CAA और NRC के खिलाफ तकरीबन 100 दिनों तक प्रदर्शनकारी शाहीन बाग में मेन रोड पर कब्जा कर धरने पर बैठे थे। इस धरने के खिलाफ एडवोकेट अमित साहनी और दिल्ली बीजेपी के एक्स एमएलए नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के दौरान शुरू हुए लॉकडाउन शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों की भीड़ को हटा दिया गया था। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं को उम्मीद है कि कोर्ट भविष्य में सड़क रोक कर प्रदर्शन किये जाने पर लगाम के लिए कुछ निर्देश दे सकता है।अप्रैल महीने में साउथ दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर से CAA और NRC के विरोध में चल रहे प्रदर्शन को सुरक्षा बलों ने हटा दिया था। इस दौरान पुलिस ने वहां लगे टेंट को भी लेकर हटा दिया गया था। इसके बाद शाहीन बाग इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दी गई था। फिर धीरे-धीरे यहां पर हालात सामान्य हो गये।
दिल्ली के सात एरिया में CAA और NRC के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के चलते लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी आ रही थी। अकेले शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन के कारण पर डे लाखों लोगों को दिक्कत हो रही थी। लोगों की दुकानें आदि नहीं खुलने से करोड़ों रुपये का रोजगार तक ठप हो चुका था। नोएडा-गाजियाबाद से फरीदाबाद और गुरुग्राम जाना भी मुश्किल हो गया था। उल्लेखनीय है कि एनआरसी-CAA के विरोध-समर्थन को विवाद बढ़ने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में 24-25 फरवरी को हिंसा भी हुई, जिसमें 53 लोगों की जान तक जा चुकी है।