Surya Grahan 2024: आज लगेगा वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण, भारत में दिखाई नहीं देगा
वर्ष 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण दो अक्टूबर बुधवार को को लगने वाला है। इस दिन आश्विन अमावस्या भी है। सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर ही लगता है। आश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।
- सूतक काल मान्य नहीं होगा
नई दिल्ली। वर्ष 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण दो अक्टूबर बुधवार को को लगने वाला है। इस दिन आश्विन अमावस्या भी है। सूर्य ग्रहण अमावस्या तिथि पर ही लगता है। आश्विन अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।
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खगोलीय गणना के अनुसार, सूर्य ग्रहण दो अक्टूबर बुधवार यानी सर्वपितृ अमावस्या को भारतीय समयानुसार रात नौबजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और तीन अक्टूबर को देर रात तीन बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, रात्रि होने के चलते यह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके लिए सूतक भी मान्य या प्रभावी नहीं होगा। ऐसे में दो अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। हालांकि, ग्रहण के दौरान शास्त्र सम्मत बातों का जरूर पालन करें। सूर्य ग्रहण पेरू, फिजी, प्रशांत महासागर, आर्कटिक और दक्षिणी अमेरिका समिति आदि देशों में देखने को मिलेगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर मायावी ग्रह राहु का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है। वहीं, सूर्य की शक्ति क्षीण हो जाती है। इसके लिए शास्त्रों में ग्रहण के दौरान शुभ काम करने की मनाही होती है। साथ ही खानपान से भी परहेज करने की सलाह दी जाती है। हर महीने में अमावस्या मनाई जाती है। इसका धार्मिक दृष्टि से अधिक महत्व है। आश्विन माह की अमावस्या पर पितृ पक्ष का समापन होता है। धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर विधिपूर्वक पितरों को तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसी दिन साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी है।
सूर्य ग्रहण के समय पूजा-पाठ करना वर्जित है, लेकिन आप मन ही मन में किसी भी प्रभु के नाम का जप कर सकते हैं। इस दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना फलदायी साबित होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचाव होता है। ग्रहण में भोजन, दूध, लस्सी, पनीर समेत अदि चीजों में तुलसी का पत्ता या कुश डाल देना चाहिए। ऐसा करने से यह चीजें सूर्य ग्रहण के प्रभाव से मुक्त हो जाती हैं। इसके बाद श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में अन्न, धन और वस्त्र का दान करना चाहिए।
क्या होता है सूतक और कब लगेगा ?
ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक लगता है। हालांकि, ग्रहण न दिखने पर सूतक मान्य नहीं होता है। वहीं, चंद्र ग्रहण से नौ घंटे पूर्व सूतक लगता है। ग्रहण समाप्त होने तक सूतक प्रभावी रहता है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ग्रहण के बाद स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ किया जाता है। इसके बाद दान-पुण्य किया जाता है।
नोट: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। थ्री सोसाइटीज यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों /मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। थ्री सोसाइटीज अंधविश्वास के खिलाफ है।'