Umesh Pal Murder Case : मर्डर में शामिल कार बरामद, अतीक अहमद के मुहल्ले में रातभर चला सर्च ऑपरेशन
उत्तर प्रदेश के सुलेमसराय में एमएलए राजू पाल मर्डर केस के मुख्य गवाह उमेश पाल और गनर संदीप की मर्डर के बाद फरार शूटरों की खोज पुलिस ने तेज कर दी है। शूटरों की तलाश में एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की 15 टीमें लगातार रेड कर रही हैं।
- दरवाजे नहीं खुले तो पुलिस ने तोड़ डाला
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के सुलेमसराय में एमएलए राजू पाल मर्डर केस के मुख्य गवाह उमेश पाल और गनर संदीप की मर्डर के बाद फरार शूटरों की खोज पुलिस ने तेज कर दी है। शूटरों की तलाश में एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की 15 टीमें लगातार रेड कर रही हैं।
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माफिया अतीक अहमद के मुहल्ले चकिया सहित संभावित कई क्षेत्रों में रात भर सर्च ऑपरेशन चला, लेकिन आरोपित शूटर हाथ नहीं लगे। एसटीएफ और पुलिस द्वारा रविवार शाम को एक बार फिर चकिया में घर-घर तलाशी ली गई। 12 लोगों को उठाकर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। एसटीएफ की टीमों ने अतीक के बेटे असद और पत्नी शाइस्ता को पकड़ने के लिए एक ही समय पर लखनऊ और पश्चिम यूपी के रामपुर, मेरठ, मुरादाबाद समेत अन्य जिलों में रिश्तेदारों के घर रेड की। एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश और एसएसपी भी दो डिप्टी एसपी और इंस्पेक्टरों के साथ प्रयागराज में डटे हैं। चकिया में शनिवार रात से रविवार भोर तक सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
अतीक गैंग से जुड़े लोगों के घर-घर तलाशी ली, जो दरवाजे नहीं खुले, उन्हें तोड़ दिया गया। पुलिस ने रविवार देर शाम फिर चकिया में अतीक के जमींदोज हो चुके बंगले के आसपास के घरों में दबिश देकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। पुलिस को अंदेशा है कि शूटआउट के बाद भागे अतीक के बेटे समेत अन्य शूटर और बमबाज कहीं चकिया के ही मकानों में तो नहीं ठहरे। फायरिंग के बाद भागे शूटरों की सफेद क्रेटा कार चकिया में खड़ी मिली थी। चकिया के अलावा कसारी-मसारी, सिलना, पिपरी के असरावल कला, कटहुला, मऊआइमा, नैनी में रेडमारे गये।
अतीक का बेटा दाग रहा था गोलियां
उमेश पाल और गनर संदीप निषाद की मर्डर के शूटआउट के 45 सेकेंड के वीडियो फुटेज से तस्वीर साफ हो गई है। पुलिस मान रही है कि अतीक अहमद के तीसरे नंबर के पुत्र असद ने फायरिंग की, जबकि राजरूपपुर का गुड्डू मुस्लिम बम फेंक रहा था। गुड्डू सिविल लाइंस के अरमान के साथ बाइक से भागा था। एसटीएफ ने बाकी शूटरों की भी शिनाख्त कर ली है। एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश के नेतृत्व में टीम रेड कर रही है। 25 से ज्यादा संदिग्धों को पकड़ा है। हालांकि पुलिस ने असद की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की है। फरार अभियुक्तों पर इनाम घोषित किया जा सकता है।
फ्लैश बैक
बीएसपी एमएलए रहे राजू पाल मर्डर केस के मुख्य गवाह उमेश पाल को शुक्रवार 24 फरवरी 2023 को अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज किडनैपिंग के मुकदमे की पैरवी करने के बाद लगभग पौने पांच बजे सुलेमसराय में अपने घर के सामने उतरे थे। इसी दौरान शूटरों ने नजदीक से ताबड़तोड़ फायरिंग की। उन्हें गोलियों से भून दिया गया। हमलावरों ने उस पर कई राउंड फायर किया। उसकी गाड़ी पर बम से भी हमला किया। गोलीबारी में उमेश पाल की सुरक्षा में लगे दो गनर भी गंभीर रूप से घायल हो गये। तीनों को स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।जहां पर उमेश पाल औरगनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई। जबकि दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह का इलाज चल रहा है। उसकी हालत गंभीर है।
उमेश पाल की वाइफ की कंपलेन पर एफआइआर
उमेश पाल की वाइफ जया पाल की तहरीर पर माफिया अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, बरेली जेल में बंद भाई पूर्व विधायक अशरफ, अतीक के बेटों, मोहम्मद मुस्लिम, अतीक गैंग के गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और नौ अननोन के खिलाफ साजिश, हत्या सहित अन्य गंभीर धाराओं में धूमनगंज पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज की गयी है। सेक्शन 147, 148, 149, 302, 307, 120बी, 506, 34 आईपीसी, विस्फोटक अग्नि विस्फोटक अधिनियम 1908(3), आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932 (7) के तहत मामला दर्ज हुआ है।अतीक अहमदाबाद की साबरमती जेल और अशरफ बरेली जिला कारागार में बंद है। अतीक के पांच पुत्रों में बड़ा उमर लखनऊ जेल और उससे छोटा अली नैनी सेंट्रल जेल में बंद है।
बीजेपी लीडर का भाई है उमेश मर्डर केस का मास्टरमाइंड!
उमेश पाल और उनके गनर संदीप की मर्डर से बीजेपी का कनेक्शन जुड़ गया है। धूमनगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई एफआइआर में जिस गुलाम को नेम्ड किया गया है, वह बीजेपीके अल्पसंख्यक मोर्चा के महानगर अध्यक्ष राहिल हसन का भाई है। पुलिस और एसओजी की टीम ने शनिवार को शिवकुटी के मेंहदौरी स्थित मकान में रेड करते हुए राहिल को पकड़ लिया। इसके बाद गोपनीय स्थान पर ले जाकर पूछताछ की जाती रही। उधर, वारदात के बाद से गुलाम फरार है।
18 साल पहले एक मर्डर से शुरू हुई थी कहानी
उमेश पाल के बारे में करीबियों का कहना कि वह राजू पाल के तब से दोस्त थे जब वह सक्रिय जीवन और राजनीति में नहीं थे। राजू पाल और पूजा पाल से उमेश पाल की रिश्तेदारी और घरेलू ताल्लुकात थे। रोज घर पर आना-जाना और साथ खाना-पीना होता था। बचपन की यह यारी उमेश पाल ने आखिरी सांस तक निभाई। वह राजू पाल मर्डर केस की पैरवी करते रहे। उससे जुड़े एक मुकदमे की पैरवी के बाद ही जिला न्यायालय से घर के लिए रवाना हुए थे। घर के बाहर ही उनके लिए शूटरों ने मौत का घेरा डाल रखा था।
उमेश ने राजू पाल के हत्यारों को सजा दिलाने की ठान रखी थी
उमेश पाल के करीबी बताते हैं कि वह राजू पाल के साथ अपने रिश्ते को याद करते रहते थे। कभी बात होती तो कहते कि राजू पाल के साथ बचपन बीता है, आंखों के सामने राजू पाल की हत्या हो गई थी जो कभी भूलता नहीं। उनके कातिलों को सजा दिलाने की ठान रखी थी उमेश पाल ने। वह राजू की पत्नी पूजा पाल के साथ लगातार हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पैरवी करते रहे। पूजा पाल की पैरवी पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राजू पाल हत्याकांड की जांच सीबीआइ के हवाले की थी। जब उसकी चार्जशीट लग गई तो उमेश पाल जल्द सुनवाई के लिए हाई कोर्ट में पैरवी करने लगे।
राजू पाल मर्डर केस में निर्णय आने की थी संभावना
उमेश पाल की पैरवी का ही नतीजा है कि जनवरी में हाई कोर्ट ने दो महीने में राजू पाल मर्डर केस का ट्रायल पूरा करने के लिए आदेश दिया। अतीक ने इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी तो उमेश पाल पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई के दौरान विरोध करने के लिए पहुंचे थे। अंतत: यही आदेश जारी हुआ कि दो महीने में ट्रायल पूरा किया जाए। यानी जो मुकदमा 18 साल से लंबित था, उसमें दो महीने बाद निर्णय आने की पूरी संभावना थी। उमेश पाल अपने करीबियों से कहते थे कि अब राजू पाल के कातिलों को सजा होनी पक्की है। उमेश पाल बेहद आशांवित थे कि अतीक और अशरफ को उम्रकैद होगी। करीबियों और रिश्तेदारों के अलावा तमाम लोग उमेश पाल की मौत पर दुख जाहिर करते दिखे। उनका कहना था कि राजू पाल के लिए उमेश ने अपनी जान दे दी।
उमेश पाल पर कई बार पहले भी हो चुका था हमला
राजूपाल मर्डर केस में गवाह बनते ही अतीक गैंग उमेश पाल को दुश्मन की नजर से देखने लगा। कई बार हमले का प्रयास हुआ लेकिन वे बच निकले थे। 28 फरवरी 2008 को उमेश का किडनैप कर लिया गया था। उनके साथ मारपीट की गई। धमकी दी गई, गवाही दी तो मार दिया जायेगा। बाद मेंउन्हें छोड़ा गया तो उन्होंने अतीक, अशरफ समेत गैंग के कई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
राजू पाल मर्डर केस को शूटरों ने ऐसे दिया था अंजाम
बसपा के टिकट पर शहर पश्चिमी का एमएलए रहे राजू पाल पोस्टमार्टम हाउस में एक पीड़ित परिवार से मिलने के बाद 25 जनवरी 2005 धूमनगंज के नीवां में अपने घर के लिए रवाना हुए थे। उनके काफिले में दो गाड़ियां थी, एक स्कार्पियो और दूसरी सफारी। पहले हो चुके हमले की वजह से राजू पाल को पुलिस के सुरक्षाकर्मी मिले थे जिन्हें राजू ने पीछे सफारी गाड़ी में भेज दिया और अपने करीबियों के साथ स्कार्पियो में बैठकर खुद ड्राइविंग करने लगे थे। सुलेमसराय में दोनों गाड़ियां नेहरू पार्क मोड़ के पास पहुंची तभी शूटरों ने घेरकर फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की बौछार के बीच राजू पाल और उनके करीबी देवी पाल और संदीप पाल भी मारे गये थे। करेली इलाके की रुख्साना भी जख्मी हुई थी।
राजू पाल को गोलियों से छलनी गाड़ी से निकाल जीवन ज्योति अस्पताल ले जाया गया था जहां उन्हें मृत बताये जाने पर बसपा और राजू पाल समर्थकों ने सड़क पर आकर बवाल शुरू कर दिया था। राजू पाल का शव पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया तो समर्थकों ने पुलिस से बॉडी छीना और चौफटका के पास रखकर चक्काजाम कर दिया। जमकर पथराव होने लगा। पुलिस बल ने किसी तरह बॉडी अपने कब्जे में लिया और दोबारा पोस्टमार्टम हाउस ले गई। लेकिन इतनी देर में सुलेमसराय समेत अलग अलग इलाकों में बसपा समर्थक पथराव करने लगे थे। रात में पुलिस ने राजू पाल के शव का जबरन बिना परिवार की मौजूदगी के अंतिम संस्कार कर दिया तो इस खबर ने आग में घी का काम किया। सुबह सात बजने तक में सुलेमसराय में हजारों समर्थक सड़क पर जमा हो गए थे जो जाम लगाकर पथराव करने लगे। पुलिस अधिकारी पहुंचे तो उन्हें ईंट-पत्थर मारते हुए खदेड़ लिया। फिर तो करेलाबाग से लेकर झूंसी और राजापुर से लेकर शिवकुटी और ग्रामीण अंचल में विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी थी। राजापुर पुलिस चौकी में उग्र भीड़ ने आग लगा दी। पुलिसवालों की गाड़ियां जला दी। खल्दाबाद, नुरूल्ला रोड, करेलाबाग, झलवा में भी आगजनी होने लगी तो पुलिस के हाथ-पांव फूले। शाम तक पुलिस पथराव से निपटने और आग बुझाने में जूझती रही।
कप्तान और टाइगर में हो गई थी तू-तड़ाक
राजू पाल हत्याकांड के बाद दूसरे दिन सुबह से बवाल शुरू होने पर तत्कालीन एसएसपी सुनील गुप्ता और एसपी सिटी राजेश कृष्णा पर शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी थी लेकिन वे सुबह से दोपहर तक भागते-दौड़ते इतना बौखला गये कि आपस में ही उलझ गये। तब चर्चा रही कि एसएसपी ने वायरलेस पर कह दिया कि टाइगर तुमने सब गड़बड़ कर दिया तो टाइगर यानी एसपी सिटी ने भी तीखा जवाब दे दिया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष धूमनगंज परशुराम सिंह को सस्पेंड कर दिया गया जबकि एसपी सिटी को भी हटा दिया गया लेकिन एसएसपी को बचा लिया गया। एसएसपी को कुछ महीने बाद छात्र नेता की मर्डर होने के बाद बवाल होने पर हटाया गया था।
अतीक की गाड़ी में घूमता था वो अफसर
राजू पाल मर्डर केस के वक्त यूपी में सपा सरकार थी और माफिया अतीक अहमद का बोलबाला था या कहें दबदबा था। अतीक का ऐसा खौफ था कि पुलिस अफसर उसके दरबार में जी-हुजूरी करते। एक पुलिस अफसर उसकी गाड़ी में बैठकर घूमता था। राजू पाल को अतीक से जान का खतरा था लेकिन जानकर भी पुलिस लापरवाही बरतती रही। राजू पाल मर्डर केस में एक्स एमपी अतीक अहमद व उनके छोटे भाई एक्स एमएलए खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत अन्य लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्जकी गई थी। उमेश पाल घटना के मुख्य गवाह था। वह राजूपाल की वाइफ पूजा के सगी बुआ का लड़का था ।