- बिजली गुल हुई
- 25 के खिलाफ पुलिस में कंपलेन दर्ज
नई दिल्ली। PM नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की विवादित डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर मंगलवार रात JNU में जमकर बवाल हुआ। कैंपस में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देख रहे स्टूडेंट्स पर एक गुट ने पथराव किया। पथराव के बाद स्टूडेंट्स में भगदड़ मच गई। घटना के बाद कैंपस की बिजली काट दी गई।
JNU एडमिनिस्ट्रेनशन की ओर से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं दिखाने की सलाह दी थी। एडमिनिस्ट्रेनशन ने कहा था कि इसकी स्क्रीनिंग की अनुमति नहीं दी गई है। JNU एडमिनिस्ट्रेनशन ने कहा था कि ऐसा नहीं करने पर एक्शन लिया जायेगा। मामले में JNUSU की ओर से दिल्ली पुलिस में कंपलेन दर्ज कराई गई है।
JNU एडमिनिस्ट्रेनशनकी चेतावनी के बावजूद भी जेएनयू छात्र संघ ऑफिस होकर वामपंथी छात्र संगठनों से जुड़े स्टूडेंट्स ने द मोदी क्वेश्चन (India: The Modi Question) नामक बीबीसी की डॉक्युमेंट्री को देखा। डॉक्युमेंट्री देख रहे स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि उन पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने पत्थर भी फेंके। स्टूडेंट्स वसंत कुंज में एक पुलिस स्टेशन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
25 लोगों के खिलाफ पुलिस में कंपलेन
JNUSU प्रसिडेंट आइशी घोष ने कहा कि हमने 25 लोगों के खिलाफ कंपलेन दर्ज करवाई है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे जांच करेंगे। जिन लोगों को चोट लगी है वे भी इलाज के बाद आज पुलिस स्टेशन में अपना बयान देंगे। जेएनयू प्रशासन से भी हम कंपलेन करेंगे। हम फिलहाल हमारे प्रदर्शन को अभी रोकते हैं, पुलिस प्रशासन से अपील है कि वे इसकी जांच करें।
इंटरनेट सर्विस भी बाधित की गयी
स्टूडेंट डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग स्टूडेंट यूनियन के अॉफिस में लगे प्रोजेक्टर पर ना कर सकें इसके लिए जेएनयू प्रशासन ने ऑफिस के आसपास की बिजली भी कटवा दी थी। इसके साथ ही वहां जैमर लगवा कर इंटरनेट सेवाएं भी बाधित करा दी थी। इसके बावजूद वहां मौजूद वामपंथी छात्रों ने अपने फोन और लैपटॉप में पहले से डाउनलोड की गई डॉक्युमेंट्री को सामूहिक रूप से देखा। वहीं कुछ छात्रों ने जेएनयू कैंपस से बाहर निकलकर भी मोबाइल का इंटरनेट चला कर डॉक्युमेंट्री को डाउनलोड किया।
डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग
जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की योजना मंगलवार रात नौ बजे इस डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग अपने ऑफिस में करने की थी। सोमवार को जेएनयू प्रशासन ने स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद छात्र डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग पर आड़े रहे। रात नौ बजे स्क्रीनिंग के समय पर छात्र छात्रसंघ ऑफिस पर स्क्रीनिंग के लिए जमा हुए। पत्थरबाजी की घटना के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में अचानक बिजली सप्लाई काट दी गई। स्टूडेंट्स ने मोबाइल, लैपटॉप पर अलग-अलग समूहों में विवादित डॉक्यूमेंट्री देखनी शुरू कर दी।
स्टूडेंट यूनियन की प्रसिडेंट आइशी घोष ने शेयर किया था पोस्टर
जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की प्रसिडेंट आइशी घोष ने सुबह गुजरात दंगों पर विवादित डॉक्यूमेंट्री का पोस्टर शेयर किया था। उन्होंने स्टूडेंट्स से स्क्रीनिंग के लिए जुड़ने की अपील की थी।
स्क्रीनिंग के लिए नहीं मिली थी परमिशन
जेएनयू एडमिनिस्ट्रेनशन का कहना था कि स्टूडेंट यूनियन ने कार्यक्रम के लिए परमिशन नहीं ली है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन का कहना था कि ऐसी अनधिकृत गतिविधियों से यूनिवर्सिटी में शांति और सद्भाव भंग हो सकता है। यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के कार्यक्रम को तुरंत रद्द कर दें। ऐसा नहीं करने पर यूनिवर्सिटी के रूल्स के अनुसार सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन आफ इंडिया (एसएफआई, SFI) की केंद्रीय कार्य समिति ने अपनी सभी राज्य इकाइयों को इस डोक्यूमंट्री की स्क्रीनिंग कराने का निर्देश दिया था। जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने एसएफआई की दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष होने के चलते केंद्रीय कार्य समिति के निर्देश पर डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया था। स्क्रीनिंग को लेकर इंटरनेट मीडिया पर पोस्टर और परिसर में पैम्फलेट भी बांटे गये थे।
इस पर संज्ञान लेते हुए JNU एडमिनिस्ट्रेनशन ने एडवाइजरी जारी कर कार्यक्रम रद करने की सलाह दी थी। ऐसा न करने पर स्क्रेनिंग में शामिल होने वाले छात्रों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी थी। इस एडवाइजरी का जवाब देते हुए जेएनयू छात्र संघ ने प्रशासन से ही सवाल पूछे थे कि जेएनयू एक्ट में ऐसा कहीं नहीं लिखा हुआ कि यहां किसी फिल्म या डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग नहीं हो सकती।विद्यार्थी परिषद ने स्क्रीनिंग की निंदा करते हुए भारत की छवि को खराब करने के लिए वामपंथी छात्र संगठनों पर बीबीसी का साथ देने की बात कही।
पत्थरबाजी का आरोप
डॉक्युमेंट्री देख रहे स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि उन पर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने पत्थर फेंके। हालांकि, विद्यार्थी परिषद ने इससे इनकार किया है। खबर लिखे जाने तक पुलिस भी पत्थरबाजी को लेकर छात्रों से पूछताछ करने में जुटी थी। इस दौरान किसी भी छात्र की डॉक्युमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर गिरफ्तारी नहीं हुई थी और ना ही पत्थर लगने से कोई चोटिल हुआ था। जेएनयू छात्र संघ के नेतृत्व में वामपंथी छात्र पत्थरबाजी की एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन की ओर पैदल मार्च कर रहे थे।
बीबीसी की विवादित डॉक्युमेंट्री विवाद
सेंट्रल गवर्नमेंट ने पिछले सप्ताह कई YouTube वीडियो और डॉक्युमेंट्री के लिंक शेयर करने वाले ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। दो पार्ट में बनी बीबीसी डॉक्युमेंट्री, जो दावा करती है कि उसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की थी। हालांकि इसे विदेश मंत्रालय द्वारा प्रोपेगेंडा बताकर खारिज कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इसमें निष्पक्षता की कमी है। औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। वहीं, सेंट्रल गवर्नमेंट के इस कदम को कांग्रेस और टीएमसी जैसे विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है।