उत्तर प्रदेश: आगरा के पारस हॉस्पीटल को प्रशासनिक जांच में क्लीन चिट, मॉकड्रिल में ऑक्सिजन सप्लाइ रोकने के नहीं मिले सबूत
आगरा के पारस हॉस्पीटल को ऑक्सिजन की सप्लाइ रोकने से कथित रूप से 22 पेसेंट की मौत मामले में को क्लीन चिट मिल गई है। मामले की जांच के बनी डेथ ऑडिट कमिटी को ऑक्सिजन सप्लाइ रोके जाने के सबूत नहीं मिले हैं।
- हॉस्पीटल पर मॉक ड्रिल के चलते ऑक्सिजन सप्लाइ रोकने का लगा था आरोप
- अक्सीजन सप्लाई रोकने से कथित रूप से 22 पेसेंट की हो गयी थी मौत
- डेथ ऑडिट कमिटी को ऑक्सिजन सप्लाइ रोके जाने के सबूत नहीं मिले
- वायरल वीडियो में हॉस्पीटल संचालक ने पांच मिनट के लिए ऑक्सिजन सप्लाइ रोकने का किया था दावा
लखनऊ। आगरा के पारस हॉस्पीटल को ऑक्सिजन की सप्लाइ रोकने से कथित रूप से 22 पेसेंट की मौत मामले में को क्लीन चिट मिल गई है। मामले की जांच के बनी डेथ ऑडिट कमिटी को ऑक्सिजन सप्लाइ रोके जाने के सबूत नहीं मिले हैं।
हालांकि जांच पैनल ने हॉस्पीटल को ऑक्सिजन की कमी के आधार पर पेसेंटको गुमराह करने का दोषी पाया है और ऐक्शन के निर्देश दिये हैं। डेथ ऑडिट कमिटी ने कहा है कि यह बिल्कुल भी सच नहीं है कि मॉक ड्रिल के लिए ऑक्सिजन की सप्लाई बंद होने से 22 पेसेंट की मौत हो गई। ड्रिल के लिए किसी की ऑक्सिजन नहीं काटी गई। न ही इसका कोई सबूत है। यह भ्रामक सूचना है।
हॉस्पीटल के पास थी पर्याप्त ऑक्सिजन
रिपोर्ट में कहा गया है कि हॉस्पीटल को 25 अप्रैल को रिजर्व में 20 के साथ 149 सिलेंडर और 26 अप्रैल को रिजर्व में 15 के साथ 121 सिलेंडर दिये गये जो पेसेंट के लिए पर्याप्त थे। इसके अलावा कुछ पेसेंटके तीमारदारों ने भी अपनी ओर से ऑक्सिजन की व्यवस्था की थी।
पारस हॉस्पीटल में 15 से 25 अप्रैल के बीच 16 पेसेंट हुई मौत
डेथ ऑडिट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाइपोक्सिया और ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल के लक्षणों के आधार पर, प्रत्येक पेसेंट पर एक बेडसाइड एनालिसिस किया गया था। यह पाया गया कि एडमिट किये गये गंभीर पेसेंट में से 22 की हालत क्रिटिकल थी। हॉस्पीटल में 15 से 25 अप्रैल के बीच 16 पेसेंट की मौत हुई है। इनमें से 14 को कोमॉर्बिडी थी और दो को नहीं थी।
हॉस्पीटल पेसेंट को गुमराह करने के दोषी
जांच पैनल ने हॉस्पीटल को पेसेंट को गुमराह करने के लिए दोषी पाया है। जांच में यह साबित हो गया है कि हॉस्पीटल प्रशासन ने ऑक्सिजन की कमी के आधार पर पेसेंट को गुमराह किया और उन्हें छुट्टी दे दी। यह महामारी रोग अधिनियम प्रोटोकॉल के खिलाफ है। पुलिस इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करे'
हॉस्पीटल को क्लीन चिट मिलने से कई सवाल
प्रशासन द्वारा पासर हॉस्पीटल को क्लीन चीट दिये जाने से कई सवाल खड़े हुए हैं। वीडियो में हॉस्पीटल में 96 पेसेंट के एडमिट होने का जिक्र है, लेकिन उन 96 पेसेंट का डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया। डीएम प्रभु एन सिंह खुद कटघरे में खड़े हैं। सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं। पीड़ित कोर्ट जाने और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। डॉ. आरिंजय जैन के वीडियो वायरल होने के बाद डीएम दो घंटे से ज्यादा समय आरिंजय जैन के केबिन में बिता आए, लेकिन वीडियो की फरेंसिक जांच नहीं कराई। जांच रिपोर्ट में 16 मौतों का जिक्र है, लेकिन जांच रिपोर्ट में पीड़ितों के बयानों की कोई अहमियत नहीं दी गई।
वीडियो की फरेंसिक जांच नहीं कराई गयी
डॉ. अरिंजय जैन ने वीडियो में कहा था कि उसने पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी। इसके बाद 22 लोगों के शरीर नीले पड गये और वे छटपटाने लगे। इस आवाज को डॉक्टर ने अपनी आवाज नहीं माना है जबकि ऑक्सीजन सप्लाई बंद करने वाली बात पर डीएम प्रभु एन सिंह ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ महामारी एक्ट का मामला दर्ज करा दिया। डॉक्टर इस बात को भी नकार रहा है कि वीडियो में आवाज उसकी है, इसे सही माना गया है।
एडमिट 96 पेसेंट का डेटा क्यों नहीं किया गया सार्वजनिक
वीडियो में हॉस्पीटल में 96 पेसेंट के एडमिट होने का जिक्र है, लेकिन उन 96 पेसेंट का डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया। इसके अलावा 26 और 27 अप्रैल के दौरान की सीसीटीवी फुटेज जो प्रशासन के पास है, उसे भी नहीं सार्वजनिक किया गया है।
पीड़ितों के बयान दर्ज नहीं
जांच कमेटी के पास 16 कंपलेनदर्ज की गईं, लेकिन प्रशासन की जांच रिपोर्ट में पीड़ितों के बयानों को दर्ज नहीं किया गया है। उनकी वॉट्सऐप चैट और सीएम हेल्पलाइन पर मांगी गई मदद और मीडिया में दिए गये बयानों का भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।
हॉस्पीटल को क्लीन चिट देकर योगी सरकार ने कर डाला जांच का 'मॉक ड्रिल': प्रियंका
प्रशासन की जांच रिपोर्ट में 16 लोगों की मौत का जिक्र हैं इनमें मरने वालों को दूसरी बीमारियों से ग्रस्त बताया गया है। सवाल यह है कि जब हॉस्पिटल कोविड डेडिकेटेड था तो दूसरी बीमारियों से ग्रसित पेसेंट को क्यों एडमिट किया गया। जबकि परिजन चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि उनके परिजन को कोविड या पोस्ट कोविड ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पीटल में एडमिट कराया गया था।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पारस हॉस्पीटल को क्लीन चिट दिए जाने की बात पर उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने न्याय के सारे दरवाजे बंद कर दिये हैं।प्रियंका ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘कैसी विडंबना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक आगरा के एक अस्पताल ने कथित तौर पर ऑक्सीजन सप्लाई में कटौती कर मॉक ड्रिल की। बीजेपी सरकार ने जांच का मॉक ड्रिल करते हुए अस्पताल को क्लीन चिट दे दी। सरकार और अस्पताल के रास्ते साफ कर दिये गये हैं। सरकार ने मरीज के परिजनों की शिकायत नहीं सुन कर न्याय की सारी उम्मीदें बंद कर दी हैं।प्रियंका ने इस ट्वीट के साथ उस रिपोर्ट को भी अटैच किया, जिसमें हॉस्पीटल को क्लीन चिट दिए जाने का दावा किया गया है, जो एक वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद में फंस गया था। वीडियो में एक शख्स को ऑक्सीजन सप्लाई पर मॉक ड्रिल करने की बात कहते हुए सुना जा सकता है।
सवाल दर सवाल
डॉ. अरिंजय जैन के वीडियो में कबूल किया है पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन रोकी तो क्या इसके लिए डॉक्टर ने सीएमओ या जिलाधिकारी से इसकी परमिशन ली थी?
अगर ऑक्सीजन की कमी नहीं थी तो सभी हॉस्पीटल ने ऑक्सीजन खत्म हो गई है, इसके नोटिस बोर्ड क्यों लगाये थे।
अगर आगरा में ऑक्सीजन की किल्लत नहीं थी तो फिर डीएम प्रभु एन सिंह रात को लोअर टी शर्ट में ऑक्सीजन कैप्सूल रिसीव करने क्यों पहुंचे?
अपने आप को बचाने के चक्कर में 22 लोगों की मौत पर बना दी एकतरफा रिपोर्ट?
मामले की लीपापोती करने के लिए ही क्या चुपचाप बिना मीडिया को जानकारी दिए एसीएस स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद आगरा आये थे?
क्या है मामला
जून के फस्ट वीक में आगरा पारस हॉस्पीटल के संचालक का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने 5 मिनट के लिए ऑक्सिजन सप्लाइ रोके जाने का दावा किया था। वीडियो वायरल होने के बाद जैन ने सफाई दी थी कि किसी भी पेसेंट की ऑक्सिजन नहीं हटाई गई थी। आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह ने भी इसे गलत बताया था। हालांकि उन्होंने जांच की बात कही थी। इसके बाद से हॉस्पीटल सील है।