एयर मार्शल वीआर चौधरी इंडियन एयर फोर्स के नये चीफ होंगे
वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल वीआर चौधरी भारतीय वायुसेना के नये चीफ होंगे। सेंट्रल गवर्नमेंट ने एयर मार्शल चौधरी को देश का अगला वायुसेना अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली। वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर मार्शल वीआर चौधरी भारतीय वायुसेना के नये चीफ होंगे। सेंट्रल गवर्नमेंट ने एयर मार्शल चौधरी को देश का अगला वायुसेना अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया है।
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वर्ष 1982 की 29 दिसंबर को फाइटर पायलट के रूप में एयर फोर्स में अपने करियर की शुरुआत करने वाले एयर मार्शल चौधरी वर्तमान वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की जगह लेंगे। एयर चीफ मार्शल भदौरिया 30 सितंबर को रिटायर हो रहे हैं।
राफेल डील को परवान चढ़ाने वाले वीआर चौधरी
एयर फोर्स के डिप्टी चीफ होने के नाते वीआर चौधरी राफेल प्रोग्राम से भी काफी करीब से जुड़े थे। वह फ्रांस में लड़ाकू विमान परियोजना की प्रगति की निगरानी करने वाले द्विपक्षीय उच्च स्तरीय ग्रुप के प्रमुख भी थे।एयर मार्शल वीआर चौधरी, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएम, को 29 दिसंबर 1982 को भारतीय वायु सेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशन किया गया था। उन्होंने वर्तमान में वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ सहित विभिन्न स्तरों पर विभिन्न कमांड, स्टाफ की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।वीआर चौधरी 1 अगस्त, 2020 से पश्चिमी वायु कमान के प्रमुख थे। उन्हें एक लड़ाकू पायलट के रूप में 29 दिसंबर, 1982 को भारतीय वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में शामिल किया गया था और उन्होंने लगभग 39 वर्षों की सेवा की है। वीआर चौधरी के पास 3800 घंटे से अधिक के उड़ान का अनुभव है। वे विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और प्रशिक्षक विमान उड़ाये हैं।
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कई पुरस्करों से सम्मानित किए जा चुके हैं एयर मार्शल चौधरी
नेशनल डिफेंस एकेडमी के एक्स स्टूडेंट एयर मार्शल वीआर चौधरी को एयर फोर्स में फाइटर पायलट के तौर पर 29 दिसंबर 1982 में शामिल किया गया था। चौधरी अब तक कई मुख्य पदों का कार्यभार संभाल चुके हैं। एयर मार्शल चौधरी को परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम) और वायु मेडल (वीएम) समेत कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
एयर मार्शल चौधरी ऐसे समय वायुसेना का नेतृत्व संभालने जा रहे हैं जब अयर फोर्स अपने आधुनिकीकरण के सबसे अहम दौर की शुरुआत कर रही है। राफेल विमानों का लगभग पूरा बेड़ा भारत आ चुका है। अगले कुछ साल में करीब 120 नए लड़ाकू विमानों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके साथ ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पिछले करीब डेढ़ साल से जारी चीन की सैन्य चुनौती भी वायुसेना के लिए बेहद अहम है। पाकिस्तान से चुनौती के लिए वायुसेना हमेशा से मुस्तैद रही है, मगर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां के लगातार बिगड़ते हालात और बदली सुरक्षा परिस्थितियों के मद्देनजर यह चुनौती कहीं ज्यादा बढ़ गई है।