Anand Mohan:'राम की तरह वनवास काटकर आया': आनंद मोहन
बिहार में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में उम्र कैद की साज काट जेल से बाहर आये एक्स एमपी व बाहुबली लीडर आनंद मोहन अब स्टेट में सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार भाग ले रहे हैं। आनंद मोहन ने अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। आनंद मोहन शुक्रवार को मोतिहारी में नागरिक अभिनंदन समारोह में कहा कि जिस तरह राम को वनवास मिला था, उसी तरह वह भी वनवास पूरा कर जनता के बीच पहुंचे हैं। इस समय उनका साथ देने वाले सभी लोगों के वह ताउम्र ऋणी रहेंगे।
- BJP को रास नहीं आ रही हमारी खुशी: लवली
मोतिहारी। बिहार में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया मर्डर केस में उम्र कैद की सजा काट जेल से बाहर आये एक्स एमपी व बाहुबली लीडर आनंद मोहन काफी एक्टिव हैं। वे लगातार विभिन्न जिलों में लोगों से मिल रहे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में लगातार भाग ले अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। आनंद मोहन शुक्रवार को मोतिहारी में नागरिक अभिनंदन समारोह में कहा कि जिस तरह राम को वनवास मिला था, उसी तरह वह भी वनवास पूरा कर जनता के बीच पहुंचे हैं। इस समय उनका साथ देने वाले सभी लोगों के वह ताउम्र ऋणी रहेंगे।
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समारोह को संबोधित करते हुए आनंद मोहन बीजेपी और सेंट्रल की मोदी गवर्नमेंट पर जमकर बरसे भी। दो हजार के नोट वापसी पर हमला बोलते हुए आनंद मोहन ने कहा कि कब नोट आता है और कब बंद होता है, यह बंद करने वालों से पूछिए कि चलाया ही क्यों था? उन्होंने सवाल किया कि क्या नरेंद्र मोदी की तानाशाही से देश चलेगा? पहले भी बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों ने नोटबंदी को गलत फैसला बताया था।
ब्लैक मनी वापस क्यों नहीं आई ?
आनंद मोहन ने कहा कि वह सेंट्रल की बीजेपी गवर्नमेंट से जानना चाहते हैं कि 54 हजार करोड़ रुपये कहां गायब हो गये? क्या अडाणी जैसे लोगों के ब्लैक मनी को व्हाइट करने का काम किया जा रहा हैं? क्या इस देश को पूंजीपतियों के हाथों में गिरवी रखने का काम हो रहा है? अगर नहीं तो अब तक ब्लैक मनी वापस क्यों नहीं आई? नोटबंदी के बाद देश में बेरोजगारी और गरीबी क्यों बढ़ गई? आम जनता मंहगाई से क्यों त्रस्त है?'' आनंद मोहन ने कहा कि इन सभी सवालों के जवाब भाजपा नहीं देगी,लेकिन आने वाले वक्त में जनता देगी।
बीजेपी को रास नहीं आ रहीं, उनकी खुशी: लवली
वैशाली की एक्स एमपी आनंद मोहन की वाइफ लवली आनंद ने जनता के सामने इमोशनल कार्ड खेला। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई के बाद जब उनके घर में खुशियां लौटीं, लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं को उनकी खुशी रास नहीं आ रही है। लवली ने कहा कि पहले तो वे रिहाई की बात करते थे। अब ओछी राजनीति का सहारा लेकर तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। पिछले 16 सालों में उनके घर में ना तो होली मनाई गई है ना दिवाली।
'नीतीश सरकार में मिला न्याय': चेतन आनंद
आनंद मोहन के बेटे और आरजेडी एमएलए चेतन आनंद ने कहा कि उनकी मां झांसी की रानी की तरह पिछले 16 साल से न्याय के लिए लड़ती रही हैं। आखिरकार नीतीश कुमार की सरकार में उनके परिवार को न्याय मिला। उनके पिता रिहा होकर जेल से बाहर आये। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत बीजेपी के लीडर नीतीश सरकार को दलित-पिछड़ा विरोधी बताकर घेरने का काम करने में लगे हैं। वह ऐसे नेताओं से कहना चाहते हैं- वे शिवहर की धरती पर आए देखें कि दलित और पिछड़े किस मान-सम्मान और अधिकार से हमारे साथ जुड़े हुए हैं।
आनंद मोहन बुधवार को नीतीश कुमार के पटना स्थित आवास पहुंचे, जहां दोनों के बीच आधे घंटे तक बातचीत हुई। इसके पहले बीती शाम उन्होंंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी मुलाकात की थी। हालांकि, आनंद मोहन को लेकर महागठबंधन की सरकार में क्या खिचड़ी पक रही है, इसकी जानकारी फिलहाल नहीं है। मुलाकात के बाद आनंद मोहन ने इसे महज एक औपचारिक मुलाकात बताया है।
हम जय श्रीराम वाले नहीं, सियाराम वाले,सिया के बिना राम का अस्तित्व नहीं:आनंद मोहन
आनंद मोहन ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि हम लोग जय श्रीराम वाले नहीं सिया राम वाले लोग हैं। क्योंकि सिया के बिना राम का कोई अस्तित्व नहीं है। मुजफ्फरपुर में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है, उसी तरह सीतामढ़ी में भी माता सीता का भव्य मंदिर बनना चाहिए।आनंद मोहन बुधवार देर रात मुजफ्फरपुर पहुंचे। जहां समर्थकों ने उनका स्वागत किया । इस दौरान आनंद मोहन ने कहा कि ये हमारी कर्म भूमि है। लोगों का प्यार हमें ऊर्जा देता है।
23 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में विराट रैली,10 लाख लोग जुटेंगे
एक्स एमपी ने बताया कि 23 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में विराट रैली होगी, जिसमें करीब 10 लाख लोग जुटेंगे। उसी का आमंत्रण देने आए हैं। उन्होंने 23 नवंबर को पटना में होने वाले विराट रैली को सफल बनाने की अपील भी की। कहा कि यह धरती तो हमारी कर्म भूमि रही है। मेरी पत्नी लवली आनंद तो 1994 के वैशाली की भूमि से सांसद रही हैं। मुजफ्फरपुर जिले में विभिन्न कार्यक्रम में शामिल होने के बाद आनंद मोहन देर रात शहर के भिखनपुरा पहुंचे। आनंद मोहन और लवली आनंद का भिखनपुरा में लोकल लोगों ने अभिनंदन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अभी लोगों के बीच जा रहा हूं और बहुत ही अच्छा लग रहा है।
नीतीश से आनंद मोहन की मुलाकात के बाद बिहार में बढ़ी सियासी हलचल
आनंद मोहन 24 मई को पटना में सीएम आवास एक अणे मार्ग पहुंचे। वहां उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात की। आनंद मोहन सपरिवारबुधवार की सुबह लगभग 11 बजे के करीबनीतीश से मिलने पहुंचे। आनंद मोहन ने आधे घंटे से ज्यादासीएम आवास में बिताया। मुलाकात के बाद आनंद मोहन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आधे घंटे हमलोगों की मुलाकात हुई है। बहुत अच्छे माहौल में बातचीत हुई। उन्होंने इस मुलाकात को एक गैर राजनीतिक मुलाकात करार देते हुए कहा कि ये एक शिष्टाचार मुलाकात थी। आनंद मोहन ने मीडिया से बातचीत में इस बात को स्वीकार किया कि वे जेल से निकलने के बाद ढंग से नीतीश से नहीं मिल पाये थे। उसके बाद उन्होंने मुलाकात का समय मांगा था। समय मिलने के बाद मुलाकात तय हुई थी।
उन्होंने कहा कि इस मुलाकात के कोई सियासी मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। आनंद मोहन ने ये भी कहा कि मंगलवार की शाम को लालू यादव से भी शिष्टाचार मुलाकात की थी। लालू यादव के सेहत की बाबत भी जानकारी ली।आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से एमएलए हैं। सियासी जानकारों केअनुसार ये मुलाकात महज शिष्टाचार मुलाकात नहीं है। आनंद मोहन लोकसभा चुनाव को लेकर लालू और नीतीश से मिल रहे हैं। आनंद मोहन लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी तैयारी में जुटे हुए हैं। आनंद मोहन नवंबर महीने में पटना के गांधी मैदान में बड़ा जुटान करने वाले हैं। उनकी राजनीतिक रैली भव्य होने वाली है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अपने रिहाई के मामले को लेकर भी उन्होंने बातचीत की होगी।
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
बिहार के गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की मुजफ्फरपुर में पांच दिसंबर 1994 को उग्र भीड़ ने मर्डर कर दी थी। बिहार गवर्नमेंट ने इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को 17 साल जेल काटने के बाद 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। इसके खिलाफ जी कृष्णैया की वाइफ उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिहाई का आदेश रद करने की मांग की है। आठ मई को उमा कृष्णैया की याचिका पर पहली सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी ने की थी। उस दिन कोर्ट ने बिहार गवर्नमेंट और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया था।
बिहार सरकार के वकील ने कोर्ट से मांगा था समय
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई आठ मई को उमा कृष्णैया की याचिका पर बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया था। शुक्रवार को मामला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला की बेंच के सामने सुनवाई पर लगा था।बिहार सरकार की ओर से पेश वकील मनीष कुमार ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने साफ किया कि आगे और समय नहीं दिया जाएगा। पीठ ने बिहार सरकार से कहा कि कोर्ट के देखने के लिए रिहाई से संबंधित सारा मूल रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किया जाए।
उमा कृष्णैया के वकील ने कोर्ट में रिकॉर्ड पेश करने की मांग
उमा कृष्णैया की ओर से पेश सीनीयर एडवोके्ट सिद्दार्थ लूथरा ने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने रिहाई नीति में पूर्व तिथि से संशोधन लागू करते हुए आनंद मोहन को रिहा कर दिया है।लूथरा ने कहा कि कोर्ट राज्य सरकार को आदेश दे कि वह आनंद मोहन की आपराधिक पृष्ठभूमि का सारा रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करे।इसके बाद कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को याचिका का जवाब दाखिल करने का समय देते हुए रिहाई से संबंधित और आनंद मोहन की आपराधिक पृष्ठभूमि का सारा रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए टाल दी।
सुप्रीम कोर्ट का नीतीश गवर्नमेंट को नोटिस
सजायाप्ता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को सुनवाई के दौरान बिहार के नीतीश कुमार गवर्नमेंट व अन्य को नोटिस जारी किया था।गोपालगंज के डीएम रहे IAS अफसर जी कृष्णैया की की मर्डर के मामले में दोषी उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन को जेल के नियमों में संशोधन कर 27 अप्रैल को रिहा कर दिया था। बिहार गवर्नमेंट के इस फैसले को कृष्णैया की वाइफ उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार गवर्नमेंट समेत अन्य को नोटिस जारी किया था।
नियमों में संशोधन कर दी गई रिहाई
एक्स एमपी आनंद मोहन को पांच दिसंबर 1994 को हुई गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पीट-पीट कर मर्डर मामले में आरोपी बनाया गया। लंबे समय तक मुकदमा चला। इसके बाद साल 2007 में आनंद मोहन को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। तब से वे बिहार की सहरसा जेल में सजा काट रहे थे। हाल ही में नीतीश सरकार ने जेल के नियमों में संशोधन कर 27 कैदियों को रिहा किया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल थे। आनंद मोहन की रिहाई पर सियासी बवाल मचा, लेकिन इस पर आनंद मोहन की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई।
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में PIL
आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दलित संगठन से जुड़े अमर ज्योति ने भी 26 अप्रैल को पटना हाईकोर्ट में PIL दायर की। कारागार अधिनियम 2012 को संशोधित कर सरकार ने जो अधिपत्र निकाला है। उसके खिलाफ याचिका दायर की गई है। अमर ज्योति (30) भोजपुर के पीरो के रहने वाले हैं। उन्होंने कोर्ट से सरकार की ओर से जारी उस अधिपत्र को निरस्त करने की अपील की है।
आनंद मोहन ऐसे जेल से बाहर आये
आनंद को हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी, लेकिन मैनुअल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारी की मर्डर के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। नीतीश सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। इसका संकेत जनवरी में नीतीश कुमार ने एक पार्टी इवेंट में मंच से दिया था कि वो आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं। 10 अप्रैल को स्टेट गवर्नमेंट ने इस मैनुअल में बदलाव कर दिया। आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई के आदेश सोमवार को जारी किये गये थे। आनंद मोहन पर तीन और केस चल रहे हैं। इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।
पहले यह था नियम
26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की मर्डर जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।
ऐसे किया बदलाव किया गया
10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल से ‘काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया गया। इसी से आनंद मोहन या उनके जैसे अन्य कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
फ्लैश बैक
बिहार के मुजफ्फरपुर में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की पांच दिसंबर, 1994 को भीड़ ने पहले पीटा और फिर गोली मारकर मर्डर कर दी थी। इस मामले में आरोप लगा था कि इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था। साल 2007 में इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, 2008 में हाइकोर्ट की तरफ से ही इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में सजा कम करने की अपील की थी, जो खारिज हो गयी थी। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की मर्डर मामले में आनंद मोहन अपनी 14 साल की कारावास अवधि पूरी कर चुके हैं। आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के कहने वाले हैं। उनके दादा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में की थी।आनद मोहन एमएलए व एमपी रह चुके है। उनकी वाइफ लवली आनंद भी एमएलए व एमपी रह चुकी है।
गोपालगंज डीएम मर्डर केस में क्या हुआ
पांच दिसंबर 1994-डीएम जी कृष्णैया की मर्डर
तीन अक्टूबर 2007-आनंद मोहन समेत तीन को फांसी। 29 बरी। कुछ को उम्रकैद |
10 दिसंबर 2008-हाईकोर्ट ने आनंद मोहन की फांसी को उम्र कैद में बदला।
10 जुलाई 2012- हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया।
10 अप्रैल 2023- मैनुअल से काम के दौरान सरकारी सेवक की मर्डर का बिंदु हटा।
आनंद मोहन का पॉलिटिकल करियर
1990-पहली बार एमएलए बने, महिषी विधानसभा से चुनाव जीता।
1996- समता पार्टी के टिकट पर शिवहर से लोकसभा चुनाव जीता।
1998- लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट पर शिवहर से जीते।
19990 और 2004 में भी शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही बार हार गये।