भारतवंशी रामकलावन सेशेल्स के प्रसिडेंट निर्वाचित, बिहार से है कनेक्शन
भारतवंशी वैवेल रामकलावन हिंद महासागर के द्वीपीय देश सेशेल्स के प्रसिडेंट निर्वाचित घोषित किए गए हैं। सेशेल्स में 43 साल बाद विपक्ष का कोई प्रसिडेंट चुना गया है।
विक्टोरिया। भारतवंशी वैवेल रामकलावन हिंद महासागर के द्वीपीय देश सेशेल्स के प्रसिडेंट निर्वाचित घोषित किए गए हैं। सेशेल्स में 43 साल बाद विपक्ष का कोई प्रसिडेंट चुना गया है। नये प्रसिडेंट ने कोरोना महामारी से ध्वस्त हो चुकी पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का संकल्प दोहराया है।
रामकलावन की जड़ें बिहार से जुड़ी हैं। वह पादरी भी रह चुके हैं। सेशेल्स इलेक्शन कमीशन के चीफ डैनी लुकास ने रविवार को कहा कि रामकलावन को 54 परसेंट मिले हैं। उन्होंने डैनी फॉरे को हराया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने वैवेल रामकलावन को सेशेल्स का प्रसिडेंट निर्वाचित किये जाने पर बधाई दी। निवर्तमान राष्ट्रपति फॉरे को 43 परसेंट वोट मिले हैं। पूर्वी अफ्रीकी देश सेशेल्स की आबादी एक लाख से कम है। राष्ट्रपति चुनाव में गुरुवार से शनिवार तक हुए वोटिंग में 75 परसेंट लोगों ने वोट किया।
सेशेल्स में 1977 के बाद पहली बार विपक्ष का कोई लीडर प्रसिडेंट निर्वाचित हुआ है। फॉरे की यूनाइडेट सेशेल्स पार्टी पिछले 43 साल से सत्ता में थी। रामकलावन की पार्टी का नाम लिनयोन डेमोक्रेटिक सेसेलवा पार्टी है। रामकलावन ने फॉरे के साथ मिलकर काम करने का वादा किया है। आमतौर पर अफ्रीकी देशों में सत्ता का हस्तांतरण सामान्य तरीके से नहीं होता। जीत के बाद रामकलावन ने कहा कि फॉरे और मैं अच्छे दोस्त हैं। एक चुनाव का यह मतलब नहीं है कि अपनी मातृभूमि में किसी का योगदान खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा, 'इस चुनाव में न कोई पराजित हुआ है और न कोई विजयी। यह हमारे देश की जीत है। रामकलावन जब विजयी भाषण दे रहे थे, तब फॉरे उनकी बगल में ही बैठे थे।
बिहार के परसौनी गांव के रहने वाले थे रामकलावन के परदादा
रामकलावन के परदादा 130 साल पहले 1883 में बिहार के मोतीहारी जिले के परसौनी गांव से कलकत्ता होते हुए मारीशस पहुंचे थे। जहां वह गन्ने के खेत में काम करने लगे। कुछ समय बाद वह सेशेल्स चले गये थे। सेशेल्स में ही 1961 में रामकलावन का जन्म हुआ था। वर्ष 2018 में रामकलावन भारतवंशी (पीआइओ) सांसदों के पहले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आये थे। तब वह अपने पूर्वजों के गांव परसौनी भी गये थे। उस समय वह सेशेल्स की संसद नेशनल असेंबली के मेंबर थे।