बिहार: सीएम नीतीश कुमार ने अपने पुराने मित्र नरेंद्र सिंह से की मुलाकात ,शिकवे-शिकायत किये दूर

रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के बाद सीएम नीतीश कुमार ने एक्स मिनिस्टर नरेंद्र सिंह से मुलाकात की है। नीतीश की इस मुलाकात को पुराने साथियों को जोड़ने की जेडीयू की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। 

बिहार: सीएम नीतीश कुमार ने अपने पुराने मित्र नरेंद्र सिंह से की मुलाकात ,शिकवे-शिकायत किये दूर

पटना। रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के बाद सीएम नीतीश कुमार ने एक्स मिनिस्टर नरेंद्र सिंह से मुलाकात की है। नीतीश की इस मुलाकात को पुराने साथियों को जोड़ने की जेडीयू की मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। 
राजधानी पटना में रविवार रात आयोजित एक शादी समारोह में नीतीश कुमार व नरेंद्र सिंह की मुलाकात हुई। नरेंद्र सिंह के रिलेटिव के यहां शादी थी। नरेंद्र सिंह ने कहा कि इसका विशेष अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। मीडिया द्वारा पूछे जाने पर कि क्या आप जेडीयू में शामिल होने जा रहे हैं? नरेंद्र सिंह ने जबाव दिया कि हम मजदूरों-किसानों की समस्या के निदान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे एमएलए पुत्र सुमित कुमार सिंह राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सुमित चकाई के निर्दलीय एमएलए हैं।

सीएम से नरेंद्र सिंह ने कंपलेन भी की

उन्होंने स्वीकार किया कि मुलाकात से पहले सीएम के साथ टेलीफोन पर उनकी लंबी बातचीत हुई थी। सीएम ने उनसे पूछा कि आप क्या सोच रहे हैं। मैंने उस दिन भी उन्हें यही जवाब दिया था कि उनकी राजनीति शुरू से किसानों-मजदूरों पर केंद्रित रही है। आगे भी उसी दिशा में काम करेंगे। नीतीश के सीएम पद की शपथ लेने के बाद यह बातचीत व बधाई देने के सिलसिले में टेलीफोन पर हुई थी। नरेंद्र सिंह ने कंपलेन भी कि उनके दोनों पुत्र अमित और सुमित क्रमश: जेडीयू ओर बीजेपी में थे। एनडीए के दोनों घटक दलों ने पुत्रों को इस साल के विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट नहीं बनाया। इससे पहले निर्दलीय एमएलए सुमित राज्य सरकार के समर्थन की घोषणा कर चुके थे। विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में उन्होंने एनडीए कैंडिडेट विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में वोटिंग किया था।

पुराने दोस्त हैं नीतीश-नरेंद्र

उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार और नरेंद्र सिंह जेपी आंदोलन के दिनों के दोस्त हैं। नरेंद्र सिंह 2005 में लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। लोजपा विधायक दल में टूट और सरकार बनाने के लिए नीतीश को समर्थन दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। नीतीश बाद में उन्हें एमएलसी बनाकर अपने कैबिनेट में शामिल किया। वे 2015 तक मिनिस्ट रहे। जीतनराम मांझी के साथ ही नरेंद्र सिंह भी जेडीयू से अलग हो गये थे।