Bihar : काली प्रसाद पांडेय का निधन, बिहार की राजनीति के बाहुबली गुरु, कांग्रेस लहर में निर्दलीय जीत बनी थी मिसाल

बिहार के पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का निधन हो गया। उन्हें बाहुबलियों का गुरु कहा जाता था। 1984 में कांग्रेस लहर के बावजूद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी।

Bihar : काली प्रसाद पांडेय का निधन, बिहार की राजनीति के बाहुबली गुरु, कांग्रेस लहर में निर्दलीय जीत बनी थी मिसाल
काली प्रसाद पांडेय (फाइल फोटो)।

पटना। बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले एक्स एमपी काली प्रसाद पांडेय (79) का निधन हो गया। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में उन्होंने शुक्रवार देर शाम अंतिम सांस ली। 
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काली प्रसाद लंबी बीमारी से जूझ रहेथे। बीते डेढ़ महीने से उनका इलाज चल रहा था। काली प्रसाद पांडे की छवि रॉबिनहुड वाली रही। उन्हें बिहार मेंबाहुबलियों का गुरु भी कहा जाता था। एक्स पीएम इंदिरा गांधी की मर्डर के बाद जब देश भर में कांग्रेस की लहर थी, तब काली पांडे ने 1984 में गोपालगंज से निर्दलीय लोकसभा चुनाव जीता था। राजनीति के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व हमेशा चर्चा में रहा।
कांग्रेस लहर में भी दिखायी निर्दलीय ताकत
1984 का आम चुनाव पूरे देश में कांग्रेस की आंधी वाला चुनाव माना जाता है, जब इंदिरा गांधी की शहादत के बाद सहानुभूति लहर पर कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। लेकिन उस दौर में भी काली प्रसाद पांडेय ने कांग्रेस उम्मीदवार को मात देते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। इस जीत ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक दमदार और अलग छवि प्रदान की।
काली प्रसाद पांडेय गोपालगंज जिले के रमजीता भोज छापर गांव निवासी थे। उनका जन्म 28 अक्टूबर 1946 को हुआ था। वे अपने पीछे पत्नी, तीन बेटे और दो बेटियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं। राजनीतिक जीवन में काली पांडेय ने सक्रिय भूमिका निभायी।1980 से 1984 तक वे गोपालगंज विधानसभा के विधायक रहे। इसके बाद 1984 से 1989 तक उन्होंने लोकसभा में गोपालगंज का प्रतिनिधित्व किया। वे लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। कई बार विधानसभा चुनाव भी लड़े। वे दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में भी विभिन्न पदों पर रहे।
बिहार के बाहुबलियों के गुरु थे काली पांडेय
बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का गुरु काली पांडेय को माना जाता था। 80 के दशक में इनका उत्तर बिहार में खासा दबदबा था। कहा जाता है कि कई नेता और बाहुबली इनका पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। काली प्रसाद पांडेय पर हत्या जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हुए। हालांकि, कभी उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हो पाये।काली पांडे ने बतौर निर्दलीय अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। इसके बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये। बीच में लालू यादव की आरजेडी के टिकट पर भी उन्होंने चुनाव लड़ा। बाद में रामविलास पासवान के कहने पर वेलोजपा में चले गये। लोजपा में वे कई पदों पर रहे। फिर दोबारा कांग्रेस में आ गये।