बिहार : ट्रांसफर कैंसिल किये जाने से मिनिस्टर रामसूरत राय नाराज, मनाने पहुंचे डिप्टी सीएम,बंद कमरे में बात की
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सूरत राय अपने विभाग में किये गये अफसरों के ट्रांसफर कैंसिल करने के आदेश के बाद से नाराज हैं। वे सीएम नीतीश कुमार से नाराज हैं। मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया है। उन्होंने पद छोड़ने तक की पेशकश कर दी है।पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को गौरे के मद्देनजर उन्हें मनाने के लिए डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद उनके आवास पहुंच बातचीत की।
पटना। बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सूरत राय अपने विभाग में किये गये अफसरों के ट्रांसफर कैंसिल करने के आदेश के बाद से नाराज हैं। वे सीएम नीतीश कुमार से नाराज हैं। मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया है। उन्होंने पद छोड़ने तक की पेशकश कर दी है।पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को गौरे के मद्देनजर उन्हें मनाने के लिए डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद उनके आवास पहुंच बातचीत की।
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डिप्टी सीएम से बंद कमरे में आधे घंटे तक रामसूरत की बात हुई
डिप्ट सीएम तारकिशोर प्रसाद ने रामसूरत राय के आवास पर पहुंच बंद कमरे में बातचीत की। डिप्टी सीएम राजस्व व भूमि सुधार मंत्री के आवास पर घंटे तक रुके। इस दौरान तार किशोर प्रसाद ने अपने राम सूरत राय को फूलों का गुलदस्ता दिया। बंद कमरे में क्या बातें हुई। इसकी कोई जानकारी तो नहीं मिली है, लेकिन कहा जा रहा है कि तारकिशोर प्रसाद बीजेपीआला कमान के निर्देश को लेकर वहां गए थे।
पीएम दौरे से पहले मामले को सुलझाना चाहती है बीजेपी
सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर राम सूरत राय के ट्रांसफर आदेश को कैंसिल दिया गया था। बीते 30 जून को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 80 सीओ समेत सैकड़ों अफसरों व स्टाफ का ट्रांसफर किया गया था। इस ट्रांसफर पर सीएमओ ने रोक लगा दी है।इससे मिनिस्टर खासे नाराज हैं।
जून में मिनिस्टर को होता है ट्रांसफर का अधिकार
रामसूरत राय ने शनिवार को हा था कि जून में मिनिस्टर को ट्रांसफर का अधिकार है।अगर ये अधिकार नहीं है उसका जनता के बीच जाना बेकार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वो पद के लिए लालायित नहीं हैं। अगर मंत्री को विभाग के अंदर स्वतंत्र अधिकार नहीं मिल सकता है तो विभाग चलाना बेवकूफी है। कहा- हमने ट्रांसफर कर दिया है जिसकी समीक्षा करने का अब निर्देश आया है।
ट्रांसफर पर रोक लगाये जाने से भावना आहत
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने मीडिया से बातचीत में खुले तौर पर स्वीकार किया कि इस फैसले से उनकी भावना को ठेस पहुंची है। हालांकि उन्होंने साफ किया था कि समीक्षा करना सीएम का विशेषाधिकार होता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थिति में अब जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं रह जायेगा। लोग अपना काम किस तरह से करायेंगे वे खुद समझें। उन्होंने कहा कि राजनीति में पद किसी की बपौती नहीं होती है। यह आज किसी के पास है और कल किसी और के पास भी हो सकता है।