बिहार: शहीद बेटे के साथ ही निकली मां की अर्थी, किशनगंज थानाध्यक्ष की शहादत की खबर सुनते ही मां की भी मौत
पुलिस इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार की शहादत की खबर सुनते ही उनकी मां उर्मिला देवी भी चल बसी। मां-बेटे की अर्थी-साथ-साथ निकली। पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिंग (भीड हिंसा) के शिकार किशनगंज के टाउन थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार के जानकीनगर पांचू मंडल टोला में घर पर उनकी मां उर्मिला देवी की भी अर्थी सजी। मां-बेटे का अंतिम संस्कार भी एक साथ हुए और एक साथ चिता भी जली।
- पंतत्तव में विलीन हो गये किशनगंज के SHO अश्विनी कुमार
पूर्णिया। पुलिस इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार की शहादत की खबर सुनते ही उनकी मां उर्मिला देवी भी चल बसी। मां-बेटे की अर्थी-साथ-साथ निकली। पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिंग (भीड हिंसा) के शिकार किशनगंज के टाउन थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार के जानकीनगर पांचू मंडल टोला में घर पर उनकी मां उर्मिला देवी की भी अर्थी सजी। मां-बेटे का अंतिम संस्कार भी एक साथ हुए और एक साथ चिता भी जली।
शहीद की पत्नी व बच्चे की विलाप देखकर हर किसी की आंखें नम हो गयी थी। थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार की शहादत के दिन उनकी मां उर्मिला देवी अपने मायके रामपुर तिलक में थीं। वे अपने भाई की बरसी में गयी थीं। वहीं उनकी तबीयत खराब हो गयी जिस कारण मायके में ही रह गयी थी।थानाध्यक्ष का पार्थिव शरीर उनके पैतृक घर पर पहुंचने से पूर्व उनकी मां को सूचना दी गयी। उन्हें मायके से दोपहर में वापस लाया गया। घर में बेटे का पार्थिव शरीर पड़ा रहने के बाद भी बीमार मां को बेटे का अंतिम चेहरा रात में नहीं दिखाया गया। परिजन रविवार की अहले सुबह मां को शहीद बेटा के पार्थिव शरीर के पास ले गये। मां ने जैसे ही बेटे का चेहरा देखा कि उनके भी प्राण निकल गये। घर में और भी कोहराम मच गया। घर से रविवार दोपहर बाद एक साथ दो अर्थियां निकली और दोनों को पंचतत्व में विलीन कर दिया गया।
पूर्णिया रेंज के चारों जिले पुलिसकर्मी एक दिन का वेतन देंगे शहीद के परिजन को
पूर्णिया जोन में आने वाले पूर्णिया,अररिया, कटिहार और किशनगंज जिले के सभी पुलिसकर्मी एक दिन का वेतन शहीद अश्विनी कुमार के परिजन को देंगे। आईजी सुरेश चौधरी ने बताया कि सभी की सहमति से सभी पुलिस कर्मियों द्वारा एक दिन का वेतन सहित इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार के परिजन को देने का निर्णय लिया गया है। यह रकम 50 लाख से अधिक हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद से पुलिस महकमा मर्माहत है। आईजी ने 10 लाख रुपये देने की घोषणा की। साथ ही अनुकंपा पर एक व्यक्ति को नौकरी देने की भी घोषणा की गई है।
मुख्य आरोपी को इजराइल अरेस्ट
पश्चिम बंगाल पुलिस ने मॉब लिंचिंग के मुख्य आरोपी मो इजराइल आलम को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है। मो इजराइल ने भीड़ को उकसाया था। उसके कहने पर ही भारी संख्या में भीड़ जुटी थी। बंगाल पुलिस के द्वारा मामले में आधे दर्जन से अधिक नामजद अभियुक्तों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
बच्चे की पढ़ाई के लिए पत्नी रहती थी पटना में
शहीद थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार का परिवार पटना में रहता था। गांव में मां व भाई सहित अन्य रिश्तेदार रहते थे। इनकी पत्नी मीनू स्नेहलता, बड़ी बेटी नैनसी,छोटी ग्रेनसी के साथ बेटा भी पटना में ही रहता था। बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी वहीं चल रही थी। दिवंगत थानाध्यक्ष की पहली पोस्टिंग शेखपुरा एसटीएफ में हुई थी। इसके बाद वे सीआईडी पटना में भी पदस्थापित रहे। इसी दौरान उन्होंने पटना में फ्लैट लिया था जहां उनकी पत्नी व बच्चे रहते हैं। किशनगंज पोस्टिंग से पूर्व वे अररिया जिले में थे।
शहीद थानाध्यक्ष की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
शहीद थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार की अंतिम यात्रा में उमड़े जन सैलाब के साथ मां और बेटे की अर्थी एक साथ निकाली गई। हर चेहरे स्तब्ध थे, हर आंखों में आंसुओं का सैलाब था जो कभी प्रारब्ध तो कभी नियति को कोस रहे थे। इंस्पेक्टर की पत्नी, बेटे-बेटी परिजन दहाड़ मार कर रो रहे थे। वहीं ग्रामीण नम आंखों से अश्विनी अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, अश्विनी तेरा नाम रहेगा नारे लगाते हुआ अर्थी को श्मसान घाट तक ले गये। शव यात्रा में पूर्णिया प्रक्षेत्र के आईजी सुरेश चौधरी, प्रमंडलीय आयुक्त राहुल महिवाल, डीएम राहुल कुमार, एसपी दयाशंकर, एमएलसी दिलीप जायसवाल, एमएलए कृष्ण कुमार ऋषि सहित दर्जनों गणमान्य शामिल हुए। राजकीय सम्मान के साथ शहीद इंस्पेक्टर की अंत्येष्ठि की गई।
शहीद इंस्पेक्टर की बेटी बोलीं-साथियों ने दिया धोखा, सिस्टम पर उठाये सवाल
किशनगंज के शहीद इंस्पेक्टर की 15 वर्षीय बेटी नैन्सी ने पुलिस सिस्टम पर कई सवाल उठाये हैं। नैन्सी ने पिता की मर्डर की सीबीआइ जांच की मांग की। उसे लोकल पुलिस पर कतई भरोसा नहीं है। कहा- पापा को इंसाफ मिलना चाहिए।नैन्सी ने कहा कि सिस्टम को ठीक करिए ताकि मेरी जैसी कोई और बेटी की किस्मत ना फूटे...। नैन्सी रोते हुए भावुक होकर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहीं थीं। उन्होंने सिस्टम पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह क्या पुलिस कर्मी समाज का हिस्सा नहीं होता। फिर उन्हें अवकाश क्यों नहीं दिया जाता। एक पुलिस कर्मी को पर्व त्योहार पर भी अवकाश क्यों नहीं मिलता है।
उनके पापा हर बार कोई बहाना कर कहते अगली बार आयेंगे और अब तो वे इतनी दूर चले गये कि जहां से कभी नहीं लौटेंगे। जब उनके पिता छापेमारी के लिए बंगाल गए तो उन्हें वहां के पुलिस ने सपोर्ट क्यों नहीं किया। साथ गये पुलिस कर्मी क्यों उन्हें अकेला छोड़कर भाग गये। उन्होंने फायरिंग क्यों नहीं की।उन्होंने कहा कि उनके पापा की मौत की सीबीआई जांच हो तथा उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए। उन्हें मारने वालों को तो सजा मिलनी ही चाहिए साथ ही भगोड़े पुलिसकर्मी को भी उतनी ही दोषी मानकर कार्रवाई होनी चाहिए। नैन्सी ने कहा कि पापा उन्हें डॉक्टर बनान चाहते थे, घर की मरम्मत कराना चाहते थे।अपनी मां और मेरी दादी का इलाज कराना चाहते थे लेकिन अब कौन उनका सपना पूरा करेगा।