Bihar: भागलपुर सृजन घोटाले में फरार आरोपी रजनी प्रिया अरेस्ट, CBI ने साहिबाबाद से दबोचा
बिहार के भागलपुर के बहुचर्चित लगभग एक हजार करोड़ रुपये के सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रही मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया को सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के साहिबाबाद कोतवाली एरिया के राजेंद्र नगर से गुरुवार को रजनी को दबोचा गया है।
CBI कोर्ट ने 28 फरवरी को जारी किया था फरार आरोपियों के लिए अरेस्ट वारंट
सीबीआई ने 29 नवंबर 2022 को के भागलपुर आवास पिटवाई थी डुगडुगी
घर के अलावा स्टेशन समेत पांच सार्वजनिक जगहों पर चिपकवाये थे इश्तेहार
पटना। बिहार के भागलपुर के बहुचर्चित लगभग एक हजार करोड़ रुपये के सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रही मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया को सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद के साहिबाबाद कोतवाली एरिया के राजेंद्र नगर से गुरुवार को रजनी को दबोचा गया है।
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अरेस्ट करने के बाद रजनी को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। दो दिन की ट्रांजिट रिमांड पर बिहार लाया गया है। बताया जाता है कि सीबीआई की टीम जिस वक्त रजनी प्रिया को गिरफ्तार करने पहुंची, उस समय वह अपने बंगले से निकल कर कहीं जा रही थी। गाजियाबाद में रजनी पहचान बदल कर रही थी। रजनी को पकड़ने के दौरान उसके बंगले में रहने वाले दो स्टाफ से भी सीबीआई ने पूछताछ की। हालांकि, बाद में दोनों को छोड़ दिया।
कोर्ट ने जारी किया था अरेस्ट वारंट
पटना की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 28 फरवरी को भागलपुर के एक्स डीएम केपी रमैया और घोटाले की मुख्य आरोपी मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की अरेस्टिंग के लिए वारंट जारी किया था। अरबों रुपये के इस घोटाले में 27 आरोपित हैं। इनमें से 12 आरोपी को अरेस्ट कर जेल भेजा जा चुका है। सीबीआई कोर्ट ने तीन आरोपियों केपी रमैया, अमित कुमार और रजनी प्रिया के खिलाफ कुर्की वारंट भी जारी किया था। इसके बाद, सीबीआई ने अमित और रजनी प्रिया की 13 चल व अचल संपत्ति की कुर्की भी कर चुकी है।
23 मामलों में चार्जशीटेड है रजनी
रजनी प्रिया के खिलाफ 23 मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। इससे पहले वह कई मुकदमों में फरार घोषित की जा चुकी है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव होने के नाते रजनी सभी एफआइआर में आरोपी बनाई गई हैं। सीबीआई के अलावा ईडी ने भी रजनी के खिलाफ पांच मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में केस दर्ज किया है। सीबीआई ने रजनी की भागलपुर व नोएडा के गार्डेनिया की सभी संपत्तियां जब्त की हैं। इसके अलावा लगभग 26 बैंक अकाउंट्स, लॉकर आदि भी सील किया है। ईडी ने रजनी प्रिया की भागलपुर शहर स्थित अपार्टमेंट, मकान के अलावा सबौर और भीखनपुर की जमीन जब्त की है।
रजनी के हसबैंड अमित की हो चुकी है मौत
बताया जाता है कि रजनी प्रिया के हसबैंड अमित कुमार की मौत हो चुकी है। इसके बाद से ही रजनी कमजोर पड़ गयी। अंतत: वह पकड़ी गई। अमित की मौत की जानकारी रजनी ने पूछताछ में सीबीआई को दी है। हालांकि सीबीआई इस जानकारी की ऑफिसियल पुष्टि नहीं की है।मौत की पुष्टि होनेके बाद ही कोर्ट मेंरिपोर्ट दाखिल करेगी। सृजन घोटाले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी रजनी प्रिया और उनके हसबैंड अमित कुमार की अरेस्टिंग नहीं हो पाने परसीबीआई कोर्ट ने आधे से ज्यादा मुकदमे में भगोड़ा घोषित किया हुआ है। सीबीआई ने 29 नवंबर 2022 को रजनी प्रिया के तिलकामांझी स्थित आवास पर इश्तेहार चिपकाये थे। सीबीआई केस आरसी संख्या 12-ए 2017 में सीबीआई के इंस्पेक्टर योगेंद्र शेहरावत के नेतृत्व में पहुंचा। सीबीआई की टीम ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से 30 अगस्त 2022 को फरार आरोपित रजनी प्रिया के विरुद्ध जारी इश्तेहार चिपकाने की कार्रवाई की थी। इसके बाद, टीम के सदस्यों ने तिलकामांझी पुलिस स्टेशन एरिया के न्यू विक्रमशिला कॉलोनी के प्राणवती लेन स्थित मकान के आगे बाकायदा डुगडुगी पिटवाई और इश्तेहार चिपकाए थे। सीबीआई की टीम भागलपुर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत पांच सार्वजनिक जगहों पर इश्तेहार चिपका कर लोगों से आरोपियों के बारे में सूचना देने की अपील की।इश्तेहार वारंट तामिला के लिए सीबीआई कई बार प्राणवती लेन स्थित अवधेश मेंशन पहुंची और डुगडुगी बजाकर दोनों के घर वारंट चस्पां किया। एजेंसी ने दोनों के खिलाफ इनाम भी घोषित कर रखा था। घोटाले के खुलासे के बाद अमित कुमार और रजनी प्रिया पर रेड कॉर्नर तक जारी किया गया, ताकि दोनों विदेश न भाग सकें। दोनों की फोटो देश के सभी एयरपोर्ट और इंटरनेशनल बस स्टैंडों पर चस्पां किए। ताकि कहीं से भी दोनों की भनक एजेंसी को लगे और अरेस्ट किया जा सके।
रांची, पुणे, मुंबई और गाजियाबाद में छिपती रही रजनी
सीबीआई सोर्सेज का कहना है कि अरेस्टिंग के डर से रजनी घोटाले में पहली एफआइआर दर्ज होने के बाद से ही भागलपुर से भाग गई थी। वह रांची गई फिर वहां से पुणे, मुंबई और गाजियाबाद में रहने लगी। सीबीआई को झांसा देनेके लिए उसने सभी मोबाइल नंबर बदल लिये थे। नये मोबइल नंबर से सीमित लोगों के संपर्क में ही रहने लगी। सीबीआई और ईडी ने कई बार कॉल डिटेल रिपोर्ट के आधार पर लोकेशन की पड़ताल की, लेकिन दोनों राडार पर नहीं आ सके।
सृजन घोटाला एक नजर में
गैर-सरकारी संस्थान सृजन सहकारी सहयोग समिति के नाम से सबौर और भागलपुर के कुछ बैंकों में अकाउंट थे। इन अकाउंट्स में कुछ सरकारी योजनाओं की अनुदान राशि के अलावा अन्य लेन-देन होती थी। वर्ष 2004 से 2014 के बीच बड़ी संख्या में कई सरकारी बैंक अकाउंट्स से राशि अवैध तरीके से सृजन के अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दी जाती थी। सरकारी अकाउंट्स का फर्जी बैलेंस सीट बनाकर इसमें हमेशा राशि दिखाई जाती थी। इस काम में सरकारी अफसर से लेकर बैंक अफसर और अन्य कर्मियों की मिलीभगत रहती थी। इसके एवज में उन्हेंकमीशन मिलता था। यह राशि अलग-अलग तरीके से बाजार मेंउपयोग की जाती थी। इससे जुड़े लोगों को अपने बिजनस के लिए दी जाती थी। इस सरकारी राशि को ये लोग ब्याज पर भी बाजार में कुछ लोगों को देते थे। जब सरकारी अकाउंट में कोई चेक जमा होता, तो उस समय उतनी राशि इस अकाउंट में जमा करा दी जाती थी। इससे यह घोटाला वर्षों तक किसी की पकड़ में नहीं आया। इसी दौरान सृजन की प्रमुख मनोरमा देवी का अचानक निधन हो गया। इसका कुछ लोगोंने फायदा उठाते हुए सरकारी राशि वापस अकाउंट में नहीं लौटाई। तीन अगस्त, 2017 को 10.32 करोड़ रुपये का एक चेक सरकारी अकाउंट में जमा किया, तो यह बाउंस कर गया। इसके बाद पूरे घोटाले की पोल परत दर परत खुलकर सामने आ गई।
केपी रमैया की लिखे लेटर पर तैयार हुई घोटाले की इमारत
भागलपुर के प्रशासनिक इतिहास में आईएएस अफसर रहे कुंदरू पालेम रमैया (केपी रमैया) पहले डीएम हैं। जो किसी कोर्ट से भगोड़ा घोषित किये गये। पटना स्थित स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सृजन घोटाला में एक्स डीएम केपी रमैया के अलावा सृजन संस्था के किंगपिन दिवंगत मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया को भगोड़ा घोषित किया था। सीबीआई की दर्ज एफआइआर 14 ए/2017 मेंरमैया, रजनी व अमित तीन साल से फरार चल रहे थे। सीबीआई ने इस एफआईआर में 18 मार्च 2020 को 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर कोर्ट से समन के बावजूद हाजिर नहीं होने पर रमैया समेत 10 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। सीबीआई के खोज के प्रयास के बाद भी रमैया पकड़ से बाहर रहे। आंध्रप्रदेश के नेलौर जिला निवासी 1986 बैच के आईएएस अफसर केपी रमैया जेडीयू से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। 2014 में उन्होंने वीआरएस लेकर पॉलिटिक्स ज्वाइन की थी। सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में शामिल कराया था। जेडीयू ने उन्हें लोकसभा चुनाव में सासाराम से कैंडिडेट बनाया, लेकिन हार गये। 1986 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अफसर 1989 में वे पहली ज्वाइनिंग भभुआ के एसडीओ बने। 1986 बैच के आईएएस अफसर रहे रमैया, बांका, भागलपुर बेगूसराय और पटना के डीएम भी रहे थे। वीआरएस से पहले एससी-एसटी विभाग के प्रधान सचिव थे। महादलित आयोग के सचिव भी थे।
रमैया ने ही लेटर लिख सरकारी पैसे रखने के दिये थे निर्देश
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया कि सरकारी बैंक अकाउंट्स को लूटने के लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति ने जो जाल बिछाया था, इसे डीएम रहते हुए केपी रमैया ने ही शह दी थी। उन्होंने सभी सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को अधिकृत पत्र जारी कर सृजन में पैसा जमा करने के लिए कहा था। सीबीआई का आरोप है कि डीएम रहते हुए केपी रमैया ने 18 दिसंबर 2003 को जिले के सभी बीडीओ, ग्रामीण विकास, पंचायत समिति सदस्य व सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को एक पत्र लिखा था। पत्र के बाद 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के अकाउंट में राशि जमा की थी। डीएम केपी रमैया ने लेटर में कहा था कि उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड का बैंक ब्रांच जिला केंद्रीय सहकारिता बैंक भागलपुर से संबद्ध है। जो पूर्व के डीएम व डीडीसी द्वारा संपुष्ट है। इसलिए समिति के बैंक में सभी तरह के अकाउंट खोलकर इन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है। पूर्व डीएम रमैया ने यह पत्र (पत्रांक-1136 दिनांक 20 दिसंबर 2003 ) को लिखा था। इस पत्र के बाद ही 2004 सेजिलेके कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की। सबौर ब्लॉक कौंपस स्थित ट्रायसेम भवन को भी 2004 में तत्कालीन डीएम के आदेश पर उस वक्त रहे सीओ ने सृजन को लीज पर दे दी।
सृजन महिला विकास सहयोग समिति अहम पद पर थी रजनी
अरबों रुपये के सृजन घोटाले की जिस सृजन महिला विकास सहयोग समिति नामक संस्था के जरिये नींव रखी गई थी। उसके दस अहम पद धारकों में एक रजनी प्रिया भी थी।सृजन संस्था की जनक और घोटाले की मास्टर माइंड रही मनोरमा देवी ने जीवित काल में ही अपने बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया के हाथों अप्रत्यक्ष रूप में संस्था पर कंट्रोल दे दिया था।मौत से पहले मनोरमा गंभीर रूप से बीमार थी, तब अमित और रजनी प्रिया ही उसे भागलपुर से एयर एंबुलेंस से इलाज के लिए ले गये थे। मनोरमा ने अपने जिंदा रहते ही संस्था के 10 अहम पद धारकों में अपनी बहू रजनी को शामिल कर लिया था। रजनी के अलावा संस्था की अहम पद धारकों में शुभ लक्ष्मी प्रसाद, सीमा देवी, जसीमा खातून, राजरानी वर्मा, अपर्णा वर्मा, रूबी कुमारी, रानी देवी, सुनीता देवी सुना देवी को भी शामिल किया था। इनमें रजनी, जसीमा, अपर्णा, राजरानी तो काफी चर्चा में रही थी।
भागलपुर डीएम ने 22 अगस्त 2017 को आदेश दिया था, जिसके बाद रजनी पर अन्य पद धारकों की तरह तथ्यों को छिपाने, बैंकों के साथ किये जा रहे संव्यवहार का आंशिक तथ्य रखने आदि जैसे आपराधिक कार्य करने और एके मिश्रा एंड एसोसिएट की तरफ से किए गए वैधानिक अंकेक्षण प्रतिवेदन के आलोक में जानबूझ कर फर्जी विवरण बनाने, झूठी जानकारी देने, प्राधिकृत व्यक्ति को अपेक्षित जानकारी नहीं देने के मामले के केस दर्ज किया गया। इसके बाद, आलोक में सबौर थानाध्यक्ष ने 23 अगस्त 2017 को धोखाधड़ी समेत कई गंभीर आरोपों में केस दर्ज किया।
मनोरमा ने नहीं लिखा था बहू का पता
सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी मनोरमा देवी ने बहू रजनी प्रिया किसी तरह की परेशानी न हो, इसलिए रजनी का पता सृजन संस्था में अहम पद धारक बनाने के बाद भी नहीं दर्शाया था। इससे बहू पर सास मनोरमा के न रहने के बावजूद कोई आंच न जा जाए। उसने रजनी और अपनी करीबी रही जसीमा खातून, अपर्णा वर्मा और राजरानी वर्मा का भी पता वाले कॉलम में मालूम नहीं लिखकर छोड़ दिया था। इस गंभीर अपराध को देखते हुए डीएम ने भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की शक्ति का इस्तेमाल कर केस दर्ज कराया था। सीबीआई ने तब रजनी प्रिया, जसीमा, अपर्णा, राजरानी समेत दस आरोपियों के खिलाफ 31 दिसंबर 2020 को ही आरोप पत्र सौंप दिया था।
ऐसे हुआ सृजन घोटाला
भागलपुर में वर्ष 2003 में डीएम रहते हुए केपी रमैया ने सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को पत्र जारी कर सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के बैंक अकाउंट्स में रुपये जमा कराने के लिए कहा था। इसके बाद इस एनजीओ के बैंक अकाउंट में रुपये जमा कराये गये थे। सृजन एनजीओ की सचिव मनोरमा देवी ने अपनी मौत से पहले ही बहू रजनी प्रिया को एनजीओ का सचिव बना दिया था। इससे खफा लोगों ने सृजन के बैंक खाते में जमा रुपये वापस नहीं किये और भू-अर्जन का खाता बाउंस हो गया। तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे ने शक के आधार पर जांच कराई तो अरबों का घोटाला सामने आया।
बिहार का सृजन घोटाला
बिहार में भागलपुर के लगभग एक हजार करोड़ का सृजन घोटाले की सरगना या मास्टरमाइंड मनोरमा देवी नामक महिला रही। मनोरमा देवी का 14 फरवरी, 2017 को निधन हो गया। मनोरमा देवी की मौत के बाद उनकी बहू प्रिया और बेटा अमित कुमार इस घोटाले के सूत्रधार बने। रजनी प्रिया झारखंड कांग्रेस के सीनीयर लीडर अनादि ब्रह्मा की बेटी हैं जो एक्स सेंट्रल मिनिस्टर के करीबी माने जाते हैं। मनोरमा देवी और उनकी संस्था सृजन को शुरू के दिनों में कई आईएएस अफसरों जिसमें - अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव, के पी रामैया शामिल हैं, ने बढ़ाया। गोरेलाल यादव के समय एक अनुसंशा पर दिसंबर 2003 में सृजन के बैंक अकाउंट में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया। उस समय बिहार की सीएम राबड़ी देवी थीं। डीेम केपी रामैया ने 200 रुपये के महीने पर सबौर ब्लॉक में एक बड़ा जमींन का टुकड़ा सृजन को दिया। किसी जिला डीएम के कार्यकाल में अगर सर्वाधिक सृजन के अकाउंट में पैसा गया तो वो था वीरेंद्र यादव जिसके 2014 से 2015 के बीच लगभग 285 करोड़ सृजन के अकाउंट में गया। वीरेन्द्र भी लालू यादव के करीबी माने जाते थे।
जांच में पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक अकाउंट में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के तहत या तो जाली साइन या बैंकिंग प्रक्रिया का दुरुपयोग कर ट्रांसफर कर लिया जाता था। जब भी किसी लाभार्थी को चेक के द्वारा सरकारी राशि का पेमेंट किया जाता था तो उसके पूर्व ही अपेक्षित राशि सृजन द्वारा सरकारी अकाउंट में जमा कर दिया जाता था। इस सरकारी राशि के अवैध ट्रांसफर में सृजन के सचिव मनोरमा देवी के अलावा, सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी और दो बैंको - बैंक ऑफ़ बरोडा और इंडियन बैंक के पदाधिकारी और उनके कर्मचारी पूरे साजिश में सक्रिय रूप से शामिल होते थे। जिला प्रशासन से संबंम्बंधित बैंक अकाउंट्स के पासबुक में एंट्री भी फ़र्ज़ी तरीके से की जाती थी. स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट को बैंकिंग सॉफ्टवेयर से तैयार नहीं कर फ़र्ज़ी तरीके से तैयार किया जाता था।
मनोरमा देवी सृजन के अकाउंट में जमा पैसा को बाजार में ऊंचे सूद पर देती थी या अपने मनपसंद लोगों को जमीन, बिजनस या अन्य धंधे में निवेश करने के लिए देती थी पूरे साजिश में शामिल अफसरोंका भी वो पूरा ख्याल रखती थी। उन्हें करोड़ तक कमीशन या ज्वेलरी दिये जाते थे। मनोरमा देवी के कुछ राजनेताओं से करीबी संबंध रहे हैं जिनमें बीजेपी लीडर भी शामिल हैं। ये उनके ऑफिसियल कार्यक्रम के अलावा निजी कार्यक्रम में नियमित रूप से शामिल होते थे।