बिहार: माता-पिता को कांवर में बैठाकर बेटा और बहू देवघर को निकले
बिहार के जहानाबाद जिले के घोसी पुलिस स्टेशन एरिया के बीरपुर निवासी चंदन कुमार आज के श्रवण कुमार बने हैं। चंदन अपने पिता और माता को कांवड़ में बैठाकर जल लाने निकल चुके हैं। कांवड़ को आगे की ओर से चंदन तो पीछे की ओर से उनकी पत्नी रानी कुमारी ने थामा हुआ है। चंदन के साथ उनकी पत्नी और दो बच्चे भी 105 किलोमीटर की यात्रा में शामिल हैं।
- आज के 'श्रवण कुमार' की खूब हो रही है चर्चा
पटना। बिहार के जहानाबाद जिले के घोसी पुलिस स्टेशन एरिया के बीरपुर निवासी चंदन कुमार आज के श्रवण कुमार बने हैं। चंदन अपने पिता और माता को कांवड़ में बैठाकर जल लाने निकल चुके हैं। कांवड़ को आगे की ओर से चंदन तो पीछे की ओर से उनकी पत्नी रानी कुमारी ने थामा हुआ है। चंदन के साथ उनकी पत्नी और दो बच्चे भी 105 किलोमीटर की यात्रा में शामिल हैं।
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सुल्तानगंज गंगा घाट से जल लेकर वो परिवार के साथ बाबा बैद्यनाथ मंदिर के लिए निकले हैं।देवघर जाने को लेकर आज के श्रवण कुमार को देखने वालों की भीड़ जुट गई। चंदन कुमार ने कहा कि उनके मन में ख्याल आया कि क्यों नहीं हम अपने पिता जगन्नाथ साह और माता मीना देवी को तीर्थाटन करवाएं। वे अपनी पत्नी और अपने तीन बच्चों के साथ मिलकर अपने माता-पिता को सुल्तानगंज से गंगाजल भरने के बाद अपने कांधे पर लेकर कच्ची कांवरिया पथ होते हुए देवघर जा रहे हैं। कच्ची कांवरिया पथ के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में आज का श्रवण कुमार चर्चा का बिषय बना हुआ है। लोग इसकी काफी सराहना कर रहे हैं।
चंदन कुमार व उनकी वाइफ ने बहंगी तैयार कर श्रवण कुमार की तरह कंधे पर रखी और माता पिता को लेकर जलाभिषेक के लिए चल पड़े। बहंगी के आगे बेटा तो पीछे से बहू थी। इन्हें देखने वालों की भीड़ तक लग गई। चंदन कुमार रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के लिए प्रस्थान किया। चंदन कुमार ने बताया कि ‘हम प्रत्येक माह सत्यनारायण व्रत का पूजन करते हैं।इसी दौरान मन में इच्छा जाहिर हुई कि मां और पिताजी को बाबाधाम की पैदल तीर्थ यात्रा कराई जाए। लेकिन माता और पिताजी वृद्ध हैं तो ऐसे में 105 किमी की लंबी यात्रा पैदल तय करना संभव नहीं था।
माता-पिता ने किया था इनकार, नहीं मानें श्रवण कुमार
चंदन कुमार ने बताया कि कांवड़ में बैठाकर कांधे पर उठाकर चलने का माता-पिता ने पहले इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि हम लोग काफी वजनदार हैं, तुम कैसे अपने कंधे पर दोनों को इतनी दूर यात्रा तय करोगे। चंदन ने अपने माता-पिता को समझाकर तैयार कर लिया। वह अपने माता-पिता को सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर को रवाना हो गये। चंदन कुमार ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बड़ा ना ही कोई धर्म है और ना ही पूजा। वहीं माता-पिता ने कहा कि बाबा भोलेनाथ सभी को मेरे जैसा पुत्र दे।
बोल श्रमण कुमार
चंदन कुमार के अनुसार, ‘मैंने अपनी पत्नी रानी देवी को बताया तो उसने ने भी इसमें अपनी भागीदारी करने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि माता-पिता को बहंगी में बैठाकर अपने कंधे के बल इस यात्रा को सफल करेंगे। इसी दौरान मैंने एक मजबूत कांवड़नुमा बहंगी तैयार करवाई। चंदन ने बताया कि ‘लंबी यात्रा है समय लगेगा लेकिन हम इस यात्रा को जरूर सफल करेंगे। चंदन की वाइफ, रानी देवी कहतीं हैं कि ‘पति के मन में इच्छा हुई तो मुझे भी इसमें भागीदार बनने का मन हुआ। मैं बेहद खुश हूं कि अपने सास-ससुर को बाबाधाम की यात्रा कराने निकले हैं और रास्ते में लोग भी हम लोगों को हिम्मत दे रहे हैं। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।’ वहीं, चंदन की मां मीना देवी और पिता जगन्नाथ साव ने बताया कि हम तो आशीर्वाद ही दे सकते हैं। भगवान से प्रार्थना है कि मेरे पुत्र को सबल बनाएं।