बिहार: पुलिस वाले ने पिता को मारा था थप्पड़, बेटे ने जज बन किया शानदार डिसीजन
पिता की बेइज्जती पर बिहारी बेटे ने जज बनकर जवाब दिया है। आखिर बेटे की जिद थी कि जिस खाकी ने पिता के गालों पर थप्पड़ मारा था, एक दिन वो उसी से सलाम करवायेगा।
पटना। पिता की बेइज्जती पर बिहारी बेटे ने जज बनकर जवाब दिया है। आखिर बेटे की जिद थी कि जिस खाकी ने पिता के गालों पर थप्पड़ मारा था, एक दिन वो उसी से सलाम करवायेगा।
यह भी पढ़ें:Divisional Parliamentary Committee Meeting : धनबाद से दिल्ली, मुंबई और बेंगुलुरु के लिए सीधी ट्रेन की मांग
बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा ब्लॉक के सत्तोर पंचायत के बरुवाही वार्ड नं 12 के रहने वाले कमलेश कुमार उर्फ कमल यादव ने ज्यूडिशियल सर्विस में 64 वीं रैंक लाकर जज बनने में सफलता पाई है। कमलेश दिल्ली में रहकर लॉ की पढ़ाई कर रहे थे। उन्होंने बीपीएससी की 31वीं न्यायिक सेवा में 64 वीं रैंक लाकर जज बनने में सफलता पाई है। कमलेश की कामयाबी के पीछे पिता का अहम योगदान है, जो दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ी में रहकर बेटे को पढ़ाते रहे। पिता छोले-भटूरे की दुकान चलाकर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाते थे।
जज बने कमलेश के पिता चंद्रशेखर यादव दिल्ली में जहां दुकान लगाते थे, तभी वहां एक पुलिस वाले ने किसी विवाद पर उनके पिता को थप्पड़ मार दिया। पिता की इस बेइज्जती पर कमलेश ने उनसे सवाल कर दिया कि इनको कैसे सबक सिखाया जाए। पिता ने बताया कि बेटा एक जज ही पद है, जिसको पुलिस वाले सलाम ठोंकते हैं। फिर क्या था पिता का जवाब सुन बेटे ने जज बनने की ठान ली। कड़ी मेहनत करता गया। कमल ने जज बनकर जवाब दे दिया है।
सहरसा में रहने वाले कमलेश के चाचा रति लाल यादव ने कहा कि पढ़ाई के दौरान प्रशासन ने उनका घर तोड़ दिया लेकिन उसका हौसला नहीं टूटा। बुलंद हौसलों के साथ अपने मिशन में लगे रहे। वे बचपन से ही मेधावी रहे हैं । कोसी की विभीषिका से त्रस्त इलाके में होने के बावजूद कुछ बनना चाह रहा था । उसकी सफलता परिवार के लिए ही नहीं और समाज के लिए गौरव की बात है।फुफेरे भाई चंद्र किशोर ने बताया कि पिता के छोटे से कारोबार में कमलेश हाथ बंटाता रहा। काम के अलावा खाली वक्त में पढ़ाई करता था। उन्होंने जो ठाना उसे कर दिखाया। हमलोगों को गर्व है।देवर की सफलता पर गदगद भाभी संगीता कुमारी ने कहा कि परिवार के अधिकांश लोग दिल्ली में ही छोटा-मोटा कारोबार कर गुजर-बसर करते हैं। बड़े भाई का भी पानी का प्लांट है। दिन-रात परिवार के लोगों को काम कर मेहनत मजदूरी के बल पर दो पैसा कमाते देख कमलेश ने कुछ खास करने की सोची जिसका प्रतिफल कमलेश को ही नहीं कोसी इलाके को भी मिला।
चाचा दयाकांत ने कहा कि दिल्ली में जब उनका घर प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया फिर भी उनका मनोबल कम नहीं हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई को विराम नहीं दिया। पुलिस द्वारा उसके पिता के साथ किए गया दुर्व्यवहार उसके लिए प्रेरणा बन गया। गांव में रहने वाले चाचा ने बताया कि 30 साल पहले चंद्रशेखर अपने परिवार को लेकर दिल्ली गया था। वहां आर्थिक तंगी के बीच उसने अपने परिवार का किस तरह भरण-पोषण किया, ये हम अच्छे से जानते हैं। बेटे ने जो कुछ किया, वो पिता और घर के सम्मान के खातिर किया। अच्छा लगता है और ये युवाओं के लिए प्रेरणा का विषय भी है। आजकल के युवा गलत राह पर चले जाते हैं। सभी को कमल से सबक लेना चाहिए।