एकीकृत बिहार में मिनिस्टर रहे टुंडी के एक्स एमएलए डॉ. सबा अहमद का निधन
एकीकृत बिहार गवर्नमेंट में मिनिस्ट रहे रहे झारखंड के दिग्गज राजनेता व टुंडी के एक्स एमएलए डॉ. सबा अहमद (82)का शनिवार की सुबह निधन हो गया। सबा अहमद ने नई दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में आज सुबह पांच बजे आखिरी सांस ली।
धनबाद। एकीकृत बिहार गवर्नमेंट में मिनिस्ट रहे रहे झारखंड के दिग्गज राजनेता व टुंडी के एक्स एमएलए डॉ. सबा अहमद (82)का शनिवार की सुबह निधन हो गया। सबा अहमद ने नई दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में आज सुबह पांच बजे आखिरी सांस ली।
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लंबे समय से बीमार चल रहे डॉक्टर अहमद को बीते दिनों इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया था। परिजनों के अनुसार, रविवार को उनका शव गिरिडीह के पचंबा स्थित उनके निवास स्थान पर लाया जायेगा। यहीं बॉडी को सुपुर्दे खाक किया जायेगा। डॉक्टर अहमद झारखंड-बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे। बीजेपी में विलय से पहले तक वह झारखंड विकास मोर्चा की राजनीति कर रहे थे। 11 फरवरी 2020 को झाविमो के भाजपा में विलय के बाद पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष रहे डॉक्टर सबा अहमद ने अपने लिए नयेराजनीतिक विकल्प तलाशने शुरू किए, पर कोरोना काल में उनकी सेहत लगातार गिरती चली गई। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया।
लालू और राबड़ी सरकार में मिनिस्टर रहे थे सबा अहमद
डॉक्टर सबा अहमद अविभाजित बिहार के समय पहले लालू प्रसाद यादव और फिर राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रहे। संयुक्त बिहार में वह उच्च शिक्षा एवं कारा मंत्री रहे। झारखंड विधानसभा उपाध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष की भी कुर्सी संभाल चुके थे। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर झामुमो से शुरू किया था। सबा अहमद ने तीन बार टुंडी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। टुंडी जैसी सीट से वह आरजेडी के टिकट पर भी चुनाव जीते थे।उनके पिता डाॅक्टर आइ अहमद गिरिडीह से कांग्रेस के एमपी रह चुके थे। इनके चचेरे भाई डाॅ. सरफराज अहमद फिलहाल गांडेय से झामुमो एमएलए हैं।
जब राजनीति के अंतिम पड़ाव में झाविमो से वह अलग हुए तो उन्हें कांग्रेस और आरजेडी ने साथ जोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन तब डॉ. अहमद का कहना था कि किसी पार्टी में जाने का निर्णय बहुत ही सोच समझ कर लेना होता है। उस समय उन्होंने कहा था कि उनकी प्राथमिकता सूची में राजद, कांग्रेस और झामुमो भी है। लालू यादव की ओर से राजद में शामिल होने का आमंत्रण आया है तो दूसरी ओर प्रदीप यादव व बंधु तिर्की ने कांग्रेस में साथ चलने का आग्रह किया है। डॉ. अहमद ने कहा था कि वह हमेशा सेक्युलर विचारधारा की पार्टियों के साथ ही जुड़ेंगे। हालांकि इसके बाद पहले कोरोना और फिर स्वास्थ्य कारणों से डॉ. सबा अहमद किसी दल से नहीं जुड़ सके।