बिहार: सेंट्रल मिनिस्टर पशुपति कुमार पारस को हराने वाले आरजेडी के एक्स एमएलए नहीं जीत पाये मुखिया चुनाव

बिहार में अब तक संपन्न हुए सात फेज के पंचायत चुनाव में जनता ने कई दिग्गजों व राजनीतिक धुरंधरों को उनकी औकात बता दी। जनता ने कई मिनिस्टर, एमपी, एमएलएके नाते-रिश्तेदारों को भी नकार दिया है। सेंट्रल मिनिस्टर पशुपति कुमार पारस को 2015 के विधानसभा चुनाव में अलौली के मैदान में पराजित करने वाले आरजेडी के एक्स एमएलए चंदन राम मुखिया का चुनाव नहीं जीत पाए। 

बिहार: सेंट्रल मिनिस्टर पशुपति कुमार पारस को हराने वाले आरजेडी के एक्स एमएलए नहीं जीत पाये मुखिया चुनाव

पटना। बिहार में अब तक संपन्न हुए सात फेज के पंचायत चुनाव में जनता ने कई दिग्गजों व राजनीतिक धुरंधरों को उनकी औकात बता दी। जनता ने कई मिनिस्टर, एमपी, एमएलएके नाते-रिश्तेदारों को भी नकार दिया है। सेंट्रल मिनिस्टर पशुपति कुमार पारस को 2015 के विधानसभा चुनाव में अलौली के मैदान में पराजित करने वाले आरजेडी के एक्स एमएलए चंदन राम मुखिया का चुनाव नहीं जीत पाए। 

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चंदन राम मुखिया का चुनाव हारे, उनके ही पूर्व प्रतिनिधि ने हराया
अलौली के एक्स एमएलए चंदन कुमार उर्फ चंदन राम अपने पैतृक पंचायत तेताराबाद से इस बार मुखिया पद से अपनी किस्मत आजमा रहे थे। उनको उनके ही प्रतिनिधि नंदकेश कुमार उर्फ मुन्ना प्रताप ने लगभग 1,300 मतों से पराजित कर दिया है।चंदन को मात्र 567वोट मिले हैं। चंदन राम 2015 के विधानसभा चुनाव में RJD के टिकट पर एमएलए बने थे। उन्होंने पशुपति कुमार पारस को पराजित कर चर्चा बटोरी थी। आरजेडी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में चंदन का टिकट काट दिया था मुखिया का चुनाव हारने के बाद एक्स एमएलए  ने इसे जनता का फैसला बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वमान्य होता है। जनता ने समर्थन नहीं दिया। इसके कारण हार का सामना करना पड़ा। 
एक्स एमएलएअपने भाई भी नहीं बन सके जिप सदस्य
एक्स एमएलए के भाई पिंटू राम भी जिप क्षेत्र संख्या-4 से अपना भाग्य आजमा रहे थे, लेकिन इस बार उनको भी जनता ने नकार दिया। यह उनकी सीटिंग सीट थी। 2015 के विधानसभा में लालू यादव ने अलौली विधानसभा के नियोजित शिक्षक चंदन राम को खड़ा किया था। उनके सामने पशुपति कुमार चुनावी मैदान में थे। उस समय पारस अलौली सीट से विधायक भी थे। RJD की लहर में चंदन राम ने पशुपति पारस को लगभग  27 हजार वोटों से पराजित कर दिया था।
गांव की सरकार में सत्ता विरोधी लहर 
बिहार के पंचायत चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि काराकाट से जेडीयू एमपी महाबली सिंह कुशवाहा के पुत्र धर्मेंद्र सिंह भगवानपुर पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए। धर्मेंद्र को इससे पहले 2010 के विधानसभा चुनाव में भी जनता खारिज कर चुकी है। पिछली सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री रहे बृजकिशोर बिंद के भाई लालबहादुर बिंद मोकरम पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गये हैं। महान साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की बहू अररिया जिले की औराही (पश्चिम) पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गई हैं। रेणु की बहू वीणा राय बीजेपी के एक्स एमएलए पद्मपराग वेणु की पत्नी हैं। वीणा राय तीसरे नंबर पर रहीं।

भोजपुरी एक्ट्रेस अर्चना को जनता ने किया खारिज
भोजपुरी फिल्मी दुनिया में अदाकारी के बल पर प्रशंसकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री डा. अर्चना सिंह शिवहर जिले की जनता का दिल नहीं जीत पाईं। वे जिला परिषद सदस्य की कैंडिडेट थीं और मात खा गईं।
पंचायत चुनाव के पिछले छह फेज में भी वंशवाद को नकार चुकी है जनता
पंचायत चुनाव के पिछले छह चरणों में भी जनता ने कई मिनिस्टर एमएलए, एमएलसी को खारिज कर राजनीति में वंशवाद को आईना दिखाया है। कुचायकोट से जेडीयू एमएलए अमरेंद्र पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय के भतीजे समेत दिग्गजों के कई परिजनों को गांव की सरकार की चुनाव में पराजित होना पड़ा है। डिप्टी सीएम के बाईरेणु देवी के भाई बेतिया में जिला परिषद सदस्य का चुनाव हार चुके हैं। राजस्व मंत्री रामसूरत राय के बड़े भाई भरत राय भी मुजफ्फरपुर जिला में बोचहां प्रखंड की गरहां पंचायत से मुखिया का चुनाव हार गए थे। बोचहां एमएलए मुसाफिर पासवान की बहू भी जिला परिषद सदस्य पद का चुनाव हार चुकी हैं।वैशाली जिला में पातेपुर से एमएलए लखीन्द्र पासवान की पत्नी को भी जनता ने नकार दिया। झारखंड के एक्स मिनिस्टर व एमएलए सरयू राय की बहू को भी जनता ने पंचायत के चुनाव में अस्वीकार कर दिया है। बेगुसराय में एक्स एमएलसी रजनीश कुमार परिजन भी जिप सदस्य का चुनाव हार गये हैं।