Bokaro:  रोड एक्सीडेंट में लोगों की जान बचायेगा 'रक्षक', DPS स्टूडेंट ने बनाया खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन

बोकारो डीपीएस-4 के 10वीं के स्टूडेंट रूपेश कुमार ने ‘रक्षक’ नामक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है। इसकी मदद से रोड एक्सीडेंट होते ही घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सभी हॉस्पिटल परिजनों व पुलिस को कॉल व एसएमएस से लोकेशन के साथ सूचना मिल जायेगी। इससे समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंच सकेगी। ऐप में आसपास के रजिस्टर्ड कार ड्राइवरों को भी सूचना मिल जायेगी।

Bokaro:  रोड एक्सीडेंट में लोगों की जान बचायेगा 'रक्षक', DPS स्टूडेंट ने बनाया खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन
मोबाइल एप्लीकेशन ‘रक्षक’ दिखाता रूपेश कुमार।
  • एक्सीडेंट होते ही एक किमी के दायरे के हॉस्पिटल को मिलेगी सूचना
  • परिजनों और पुलिस को भी तत्काल हो जायेगा फोन
  • सेंट्रल गवर्नमेंट की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए प्रोजेक्ट सलेक्ट

बोकारो। बोकारो डीपीएस-4 के 10वीं के स्टूडेंट रूपेश कुमार ने ‘रक्षक’ नामक खास डिवाइस और मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है। इसकी मदद से रोड एक्सीडेंट होते ही घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सभी हॉस्पिटल परिजनों व पुलिस को कॉल व एसएमएस से लोकेशन के साथ सूचना मिल जायेगी। इससे समय पर घायल व्यक्ति तक एंबुलेंस पहुंच सकेगी। ऐप में आसपास के रजिस्टर्ड कार ड्राइवरों को भी सूचना मिल जायेगी।

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ऐसे काम करता है ऐप 
रक्षक डिवाइस में एमसीयू (माइक्रो कंट्रोलर यूनिट), सेंसर, जीपीएस, सिम कार्ड, एक्सीलरेशन डिटेक्टर व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टेकनीक का इस्तेमाल हुआ है। ऐप में गाड़ी ड्राइवर का नाम, पता, ब्लड ग्रुप व परिजनों के मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहते हैं। इस नवाचार के लिए रूपेश का सलेक्शन इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के लिए किया गया है। गवर्नमेंट की ओर से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी मिली है। रूपेश का कहना है कि डिवाइस में  खास तरह के सेंसर का इस्तेमाल किया गया है, जो कार की स्पीड और झटके के दबाव का पता लगाता है। हाइ स्पीड होने पर यह डिवाइस ड्राइवर को अलर्ट भी करता है। वहीं, एक्सीडेंट होने पर वैकिल की स्पीड और गाड़ी पर झटके से अचानक पड़ने वाले दबाव का पता लगाकर सेंसर एमसीयू को संदेश भेजता है, जहां से संबंधित नंबरों पर फोन और एसएमएस चला जाता है। ‘रक्षक’में कंप्यूटर कोडिंग की मदद से डिवाइस में सभी संबंधित डाटा को फीड किया जाता है।
ऐसे आया आइडिया 
रूपेश ने बताया कि दो साल पहले उसके पिता रविशंकर कुमार के फ्रैंड एक्स आर्मी मौन की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी थी। उसने सोचा कि क्यों नहीं ऐसा उपकरण हो जिससे रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों की जान समय रहते बचाई जा सके। उसने गाइड टीचर मो. ओबैदुल्लाह अंसारी से बात की। टीचर की मदद से प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने में एक महीने का समय लगा। लगभग 1200 रुपये खर्च आया। रूपेश ने बताया कि जिस तरह का सेफ्टी डिवाइस उसने बनाया है, अगर कार कंपनियां पहल करें, तो लोगों की जान बचेगी। वैकिल ड्राइवरों का डाटा एक जगह सुरक्षित रहेगा।
इंडियन साइंस कांग्रेस में रुपेश ने किया प्रतिनिधित्व
 रूपेश ने हाल ही में नागपुर यूनिवर्सिटी में 108वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया था। मूक-बधिर लोगों के लिए बनाये गये खास सॉफ्टवेयर की कंप्यूटर कोडिंग करने के लिए उसका सलेक्शन साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड की ओर से किया गया। वहां देश-विदेश के 500 से भी अधिक साइंटिस्ट शामिल हुए। BSL स्टाफ रविशंकर कुमार व बिहार में रेवन्यू अफसर सुनीता कुमारी के पुत्र रूपेश की शुरू से ही कोडिंग में रुचि रही है। वह कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता है।
कोट
डीपीएस के प्रिंसिपल बोले
डीपीएस बोकारो के प्रिंसिपल डॉ एएस गंगवार ने कहा कहा कि रूपेश द्वारा तैयार ऐप से  वैकिल की स्पीड कंट्रोल करने से लेकर समय पर एंबुलेंस पहुंचा पाने में सहायक है। रोड सेफ्टी डिवाइस रोड सेफ्टी के दृष्टिकोण से काफी अहम है। इसके लिए उसका चयन इंस्पायर मानक अवार्ड योजना के लिए किया जाना स्कूल के साथ बोकारो के लिए गौरव की बात है।