Chhath Puja 2025: धनबाद में आस्था और उल्लास के संग सम्पन्न हुआ खरना, व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू
धनबाद में छठ पूजा 2025 का दूसरा दिन श्रद्धा और भक्ति के माहौल में सम्पन्न। व्रतियों ने खरना अनुष्ठान के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया। घाटों पर भव्य सजावट और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम।
धनबाद। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा 2025 का दूसरा दिन रविवार को पूरे झारखंड सहित कोयला राजधानी धनबाद में श्रद्धा और भक्ति के माहौल में संपन्न हुआ। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रतियों ने खरना का अनुष्ठान किया। पूजा के बाद व्रतियों ने रोटी, खीर और ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया।
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धनबाद के झारखंड के विभिन्न जिलों में श्रद्धालु सुबह से ही घाटों की सफाई और सजावट में जुटे रहे। धनबाद में नगर निगम और जिला प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा, रोशनी और स्वच्छता के पुख्ता इंतज़ाम किये हैं। नगर आयुक्त विगत कई दिनों से छठ घाटों का निरीक्षण कर साफ-सफाई को लेकर विशेष एक्टिव हैं।

ढुलू महतो ने की प्रदेश की खुशहाली की कामना
धनबाद के सांसद ढुलू महतो ने अपने मामा घर गिरिडीह जिले के पीरटांड, हरलाडीह और पोखरना में जाकर खरना अनुष्ठान किया। उन्होंने छठी मईया से प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्रार्थना की। कहा –“छठ केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रकृति, स्वच्छता, अनुशासन और सामूहिक एकता का संदेश देने वाला पर्व है।

अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और ग्रह-गोचर
पंडितों के अनुसार सोमवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, सुकर्मा योग और रवियोग में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे। मंगलवार को त्रिपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर चार दिवसीय इस व्रत का समापन होगा।“छठ शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का पर्व है। सूर्य को तांबे या पीतल के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता और आयु का वरदान मिलता है।”
— Dhanbad Police (@dhanbadpolice) October 27, 2025
स्वस्थ जीवन और पर्यावरण का संदेश
छठ पूजा का हर अनुष्ठान प्रकृति और स्वास्थ्य से जुड़ा है। खरना में गुड़ का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें फास्फोरस होता है, जो बदलते मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से प्रसाद तैयार करते हैं — यह स्वच्छता, सादगी और पर्यावरण संतुलन का प्रतीक है।धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति, आयु, यश, बल और आरोग्यता प्राप्त होती है।
सूर्य अर्घ्य का वैदिक मंत्र
एहि सूर्य, सहस्त्रत्तंशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
लोकगीतों से गूंजा वातावरण
लोकगीतों की गूंज से माहौल भक्तिमय रहा –
“केलवा के पात पर उगेलन सूरजमल भोरे-भोरे…”
“सुन ल अरजिया हमार हे छठी मइया…”
“उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया…”
श्रद्धालु और व्रती इन गीतों के साथ छठी मइया की आराधना में लीन रहे। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर के मोहल्लों तक सामूहिकता, भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला।

घाटों पर भव्य सजावट और सुरक्षा
धनबाद के रानी तालाब धैया, बेकारबांध राजेंद्र सरोवर, बरमसिया, मटकुरिया, सरायढेला, केंदुआ, पाथरडीह, सिंदरी, भूली, झरिया, गोविंदपुर सहित सभी घाटों पर रंगीन बल्ब, एलईडी लाइट और तोरणद्वार से सजावट की गई। पूजा समितियों की ओर से चेंजिंग रूम, कंट्रोल रूम और चिकित्सा व्यवस्था की गयी है।
छठ पूजा: समरसता, स्वच्छता और सामाजिक एकता का पर्व
छठ पूजा सामाजिक समरसता और सामूहिक एकता का परिचायक है। यह पर्व नदियों, तालाबों और पोखरों के संरक्षण एवं जल-जागरूकता का भी प्रतीक है।
छठ में स्वच्छता और संयम सर्वोपरि है — यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अर्घ्य और पारण का कार्यक्रम
सोमवार, 27 अक्टूबर: अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य
मंगलवार, 28 अक्टूबर: उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य और पारण






