कांग्रेस सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू करेगी भारत जोड़ो यात्रा, सिविल सोसायटी का मिला साथ
भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक होगी। इस दौरान यात्रा में 35 हजार किलोमीटर का सफर होगा। लगभग 12 स्टेट व दो केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरेगी। इस दौरान कांग्रेस पदयात्रा और रैलियां करेगी। 150 दिनों में पूरी होने वाली यात्रा उत्तर में जम्मू-कश्मीर में खत्म होगी
- 12 राज्य, 3500 किलोमीटर की यात्रा
- सिविल सोसायटी के जरिये जनता से जुड़ने की कोशिश
नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक होगी। इस दौरान यात्रा में 35 हजार किलोमीटर का सफर होगा। लगभग 12 स्टेट व दो केंद्र शासित प्रदेश से होकर गुजरेगी। इस दौरान कांग्रेस पदयात्रा और रैलियां करेगी। 150 दिनों में पूरी होने वाली यात्रा उत्तर में जम्मू-कश्मीर में खत्म होगी
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आज श्री @RahulGandhi जी ने सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ आर्थिक-सामाजिक मुद्दों व आगामी 'भारत जोड़ो' यात्रा के साथ सामाजिक संगठनों को जोड़ने के लिए विस्तृत चर्चा की। pic.twitter.com/VIQ97a0613
— Congress (@INCIndia) August 22, 2022
राहुल गांधी 1991 में हुई अपने पिता राजीव गांधी की शहादत के स्थान ‘श्रीपेरंबदूर स्मारक’ पर सात सितंबर को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद कुछ देर 'ध्यान' लगायेंगे। इसके बाद कन्याकुमारी में 'भारत जोड़ो यात्रा' की शुरुआत करेंगे। यात्रा तमिलनाडु में सात से 10 सितंबर तक चार दिन चलेगी। इसके बाद 11 सितंबर से यात्रा पड़ोसी केरल में जारी रहेगी। कांग्रेस 23 अगस्त को भारत जोड़ो यात्रा के लिए लोगो, टैगलाइन और वेबसाइट भी लॉन्च कर सकती है।.
सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियो के साथ बैठक
कांग्रेस के एक्स प्रसिडेंट राहुल गांधी ने पार्टी की प्रस्तावित ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के संदर्भ में सोमवार को सिविल सोसायटी के प्रमुख लोगों के साथ दिल्ली में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब बैठक की। कांग्रेस की इस यात्रा को अब 150 सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन का साथ मिल गया है। समर्थन करने वाले लोगों में योगेंद्र यादव, अरुणा राय, सैयदा हमीद आदि शामिल हैं। कांग्रेस ने यात्रा के लिए आम लोगों के मुद्दों पर बोलने वाले सभी लोगों को आमंत्रित किया है।
भारत को एकजुट करने की लंबी लड़ाई के लिए तैयार
बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि यह यात्रा उनके लिए तपस्या की तरह है। भारत को एकजुट करने की लंबी लड़ाई के लिए वह तैयार हैं। राहुल गांधी के साथ इस हुई बैठक में स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद, एकता परिषद के पीवी राजगोपाल, सफाई कर्मचारी आंदोलन के बेजवाड़ा विल्सन और कई अन्य सामाजिक एवं गैर सरकारी संगठनों के करीब 150 प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के बाद इन प्रतिनिधियों ने घोषणा की कि वे देश को जोड़ने के इस अभियान से जुड़ेंगे। आने वाले दिनों में इसके समर्थन में अपील भी जारी करेंगे।
मेरे साथ कोई चले न चले, मैं अकेला चलूंगा
बैठक में राहुल गांधी ने इस यात्रा के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि इस यात्रा में मेरे साथ कोई चले न चले, मैं अकेला चलूंगा। राहुल ने सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से कहा कि मैं जानता हूं कि यह (देश को जोड़ने की) लंबी लड़ाई है। मैं इस लड़ाई के लिए तैयार हूं। वह इस यात्रा को अपने लिए तपस्या मानते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति का ध्रुवीकरण हो गया है. हम अपनी यात्रा में लोगों को बतायेंगे कि कैसे एक तरफ आरएसएस की विचारधारा है और दूसरी तरफ हम लोगों की सबको साथ लेकर चलने की विचारधारा है। हम इस विश्वास को लेकर यात्रा शुरु कर रहे हैं कि भारत के लोग तोड़ने की नहीं, बल्कि जोड़ने की राजनीति चाहते हैं।
सर्वसम्मति से इस यात्रा का स्वागत करते हैं: योगेंद्र यादव
बैठक के बाद योगेंद्र यादव ने पत्रकारों से कहा, ‘‘दिन भर की बातचीत के बाद यह राय बनी कि हम सर्वसम्मति से इस यात्रा का स्वागत करते हैं। अपने-अपने तरीके से इस यात्रा से जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम अपील जारी करेंगे कि दूसरे जन संगठन भी इस यात्रा से जुड़ें।
कांग्रेस का कहना है कि इस यात्रा में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और समान विचारधारा के लोग शामिल हो सकते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का फोकस सिविल सोसायटी की ताकत के जरिये बीजेपी की धार को कुंद करना है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस 2024 के लोकसभा की तैयारी कर रही है।
कांग्रेस के लिए संजीवनी बनेगी भारत जोड़ो यात्रा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस की तरफ से यह प्रयास तो अच्छा है लेकिन इसके परिणाम कैसे होंगे यह यात्रा के खत्म होने के बाद ही पता लगेगा। यात्रा को सिविल सोसायटी का कितना समर्थन हासिल होता है यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है। बैठक में योगेंद्र यादव भी मौजूद थे। ऐसे में स्वराज इंडिया का साथ कांग्रेस को मिलना तय है। इसके अलावा पार्टी कई अन्य संगठनों से भी विस्तृत विचार विमर्श कर रही है। 2024 चुनाव भले ही दूर हो लेकिन देखना होगा कि कांग्रेस की यह भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के संजीवनी बन पाती है या नहीं?