धनबाद: कोल बिजनसमैन प्रमोद सिंह मर्डर केस के सभी आरोपी बरी, सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला
उत्तर प्रदेश के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार और कोल बिजनसमैन प्रमोद सिंह मर्डर केस के सभी आरोपियों को सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है। सीबीआइ के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक ने शुक्रवार को रणविजय सिंह संतोष सिंह दारोगा एमपी खरवार समेत सभी आरोपितों को साक्ष्य के अभाव बरी करने का फैसला सुनाया।
धनबाद। उत्तर प्रदेश के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार और कोल बिजनसमैन प्रमोद सिंह मर्डर केस के सभी आरोपियों को सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है। सीबीआइ के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक ने शुक्रवार को रणविजय सिंह संतोष सिंह दारोगा एमपी खरवार समेत सभी आरोपितों को साक्ष्य के अभाव बरी करने का फैसला सुनाया।
असदुद्दीन ओवैसी को अब सीआरपीएफ देगी जेड श्रेणी की सिक्युरिटी, हमलावरों ने बताया फायरिंग के कारण
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रमोद सिंह की मर्डर हुई पर किसने कराई और किसने की, सीबीआई यह साबित नहीं कर पाई। लगभग आधे घंटे तक चली सुनवाई के दौरान न्यायाधीश पाठक ने आरोपियों के विरुद्ध लगाये गये गए सभी आरोपों को पढ़कर बताया कि किनके विरुद्ध क्या आरोप थे।र सीबीआई को क्या साबित करना था ? जिसे साबित करने में सीबीआई विफल हो गई।
सिर्फ संदेह के आधार पर सीबीआइ ने लगाये आरोप
सीबीआई ने संदेह के सभी आरोप लगाया था। लेकिन संदेश पर साबित नहीं कर पाई। केवल डॉक्टर डी मिश्रा का यह बयान कि उनके अनुमति के बिना प्रमोद सिंह का साइन ले लिया गया था। इसके आधार पर किसी आरोपी को हत्या जैसे संगीन अपराध में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। बचाव पक्ष की ओर से सीनीयर एडवोकेट शाहनवाज, हुसैन हैकल, मो रफीक, विकास कुमार वर्मन, सहदेव महतो एवं पीके घोषाल ने पैरवी की।
प्रमोद को घर के गेट पर ही तीन अक्टूबर 2003 मारी गई थी गोली
कोल बिजनसमैन प्रमोद सिंह की मर्डर तीन अक्टूबर 2003 को उनके धनसार स्थित बीएम अग्रवाला कालोनी में गोली मारकर कर दी गई थी। प्रमोद सिंह के मृत्युपूर्व बयान पर धनसार थाने में FIR दर्ज हुई थी। इस मर्डर के बाद अंडरवर्ल्ड में सनसनी फैल गई थी। FIR में तत्कालीन मिनिस्टर बच्चा सिंह के अनुज रामधीर सिंह और भतीजे राजीव रंजन (सूर्यदवे सिंह के बड़े बेटे) को एक्युज्ड बनाया गया था। बाद में स्टेट गवर्नमेंट ने इस केस की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को सौंप दी। सीबीआइ की जांच में पुलिस की कहानी पलट गई थी। कहा जा रहा है कि प्रमोद के मर्डर की प्रतिशोध में झरिया के दिवंगत एमएए सूरजदेव सिंह के बेटे राजीव रंजन की हावड़ा में गोली मार मर्डर कर दी गई।
सुरेश, संतोष और रणविजय को सीबीआइ ने बनाया था मुख्य षडयंत्रकारी
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में पुलिस की पूरी कहानी को पलटते हुए कांड के एफआइआर के नेम्ड आरोपी रामधीन सिंह एवं राजीव रंजन सिंह को क्लीन चिट दे दिया था। जबकि पुलिस एफआइआर के गवाह सुरेश सिंह ,रणविजय सिंह संतोष सिंह के अलावा अरशद अयूब ,सैयद मोहम्मद अख्तर उर्फ खड़ग सिंह, हीरा खान, कश्मीरी खान एवं सरायढेला के तत्कालीन थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर मदन प्रसाद खरवार को एक्युज्ट बनाते हुए कोर्ट में चार्जशीट अदालत दाखिल किया था। सीबीआई ने सुरेश सिंह रणविजय सिंह एवं संतोष सिंह को प्रमोद मर्डर का मुख्य षड्यंत्रकारी बताया था। सीबीआई ने दावा किया था कि सब-इंस्पेक्टर एम पी खरवार की मदद से, सुरेश सिंह, रणविजय सिंह व संतोष सिंह ने अपने दो बिजनसमैन प्रतिद्वंद्वियों - रमाधीन सिंह और राजीव रंजन सिंह को हमलावरों के रूप में बताते हुए प्रमोद सिंह का एक मृत्युकालीन बयान तैयार करवाया था।
सुनवाई के दौरान ही केस के तीन आरोपियों सुरेश सिंह, खड़ग सिंह और कश्मीरा खान की मौत हो चुकी है। मामले में 18 साल बाद फैसला आया है। सीबीआइ के स्पेशल जज रजनीकांत पाठक की कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले में निर्णय के लिए चार फरवरी की तारीख निर्धारित कर दी है। कोर्ट ने कांड के आरोपित रणविजय सिंह, संतोष सिंह, अयूब खान, दारोगा एमपी खरवार, अरशद अली और हीरा खान को सदेह हाजिर होने का आदेश दिया था।