दुमका: दो साल से शाहरुख हुसैन के खौफ में जी रही थी अंकिता सिंह

झारखंड की उपराजधानी दुमका टाउन के जरूवाडीह की 12 वीं छात्रा अंकिता सिंह (16) को मुहल्ले के ही शाहरुख हुसैन ने 23 अगस्त की तड़के पेट्रोल छिड़कर जला डाला। हॉस्पिटल में छह दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही अंकिता ने 29 अगस्त को रांची रिम्स में दम तोड़ दी। आईपीएस अफसर बनने का सपना देख रही अंकिता की मौत के बाद बाद दुमका में आक्रोश है।

दुमका: दो साल से शाहरुख हुसैन के खौफ में जी रही थी अंकिता सिंह
  • स्कूल व ट्युशन आते-जाते छेड़ता 
दुमका। झारखंड की उपराजधानी दुमका टाउन के जरूवाडीह की 12 वीं छात्रा अंकिता सिंह (16) को मुहल्ले के ही शाहरुख हुसैन ने 23 अगस्त की तड़के पेट्रोल छिड़कर जला डाला। हॉस्पिटल में छह दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही अंकिता ने 29 अगस्त को रांची रिम्स में दम तोड़ दी। आईपीएस अफसर बनने का सपना देख रही अंकिता की मौत के बाद बाद दुमका में आक्रोश है।
 
दुमका के जरुआडीह मोहल्ले में हिंदू और मुस्लिम की मिली-जुली आबादी है। अंकिता पिता संजीव सिंह बिस्किट कंपनी में सेल्समैन हैं। मां की एक साल पहले मौत हो चुकी है। घर में वह पिता, दादा और 12 साल के छोटे भाई मयंक के साथ रहती थी। अंकिता बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। पिता संजीव सिंह ने तीन भाई-बहनों में मंझली अंकिता पढ़ने में काफी अच्छी थी। वह दुमका के राजकीय बालिका हाइ स्कूल में 12वीं में पढ़ती थी। वह पढ़कर आइपीएस बनना चाहती थी। अंकिता पिछले दो साल से मोहल्ले में एक आवारा किस्म के लड़के शाहरुख हुसैन (22)के खौफ में जी रही थी। वह  ऐसा दर्द झेल रही थी, जिसे वह सबके साथ शेयर नहीं कर सकती थी। शाहरुख का काम लड़कियों को लुभाना और अपने चंगुल में फांसना था। वह मोहल्ले की लड़कियों को अक्सर परेशान किया करता था।
संजीव ने बताया कि उनकी बेटी अंकिता पिछले दो साल से शाहरुख की हरकतों से परेशान थी। उन्होंने  इस मामले में पुलिस में कंपलेन करनी की बात कही तो शाहरुख के बड़े भाई ने आकर माफी मांग ली। विश्वास भी दिलाया कि अब उसका भाई कभी परेशान नहीं करेगा। थोड़े दिनों तक सब ठीक-ठाक चलता रहा, लेकिन फिर शाहरुख अपनी हरकत से बाज नहीं आया।उसने फिर अंकिता को परेशान करना शुरू कर दिया। इधर 10-15 दिन से रोज धमकी देता था। 22 अगस्त को उसने फोन पर धमकी दी। कई बार घर में आकर गेट तोड़ने की कोशिश की। अंकिता के पिता संजीव ने कहा कि उसकी बेटी के हत्यारे को फांसी की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह उनकी बेटी तड़प-तड़पकर मरी है, उसके बदले में हत्यारे को फांसी होनी चाहिए।
 
मौत के पहले अंकिता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष सब कुछ बयां किया

मौत से पहले अंकिता ने एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट चंद्रजीत सिंह और एसडीपीओ नूर मुस्तफा के सामने बयान दिया है। उसने कहा- 23 अगस्त की सुबह पांच बजे के आसपास मैं अपने कमरे में सो रही थी। अचानक कमरे की खिड़की के पास आग की लपटें देखकर मैं डर गई। मैंने देखा कि मोहल्ले का आवारा लड़का शाहरुख हुसैन हाथ में पेट्रोल का कैन लिए मेरे घर की तरफ से भाग रहा था। तब तक आग मेरे शरीर में भी लग चुकी थी और मुझे काफी जलन सी महसूस हो रही थी।
स्कूल और ट्यूशन जाते समय करता था पीछा 
अंकिता ने अपने बयान में कहा कि जब भी मैं स्कूल या ट्यूशन के लिए जाती, शाहरुख मेरा पीछा करता। हालांकि, मैंने कभी उसकी हरकतों को सीरियसली नहीं लिया, लेकिन उसने कहीं से मेरे मोबाइल का नंबर हासिल कर लिया था। उसके बाद अक्सर मुझे फोन करके मुझसे दोस्ती करने का दबाव बनाने लगा। मैंने उसे स्पष्ट कर दिया था कि मुझे इन सबसे कोई लेना-देना नहीं है। अंकिता के अनुसार शाहरुख ने धमकी भी दी थी कि अगर मैं उसकी बात नहीं मानूंगी तो वह मुझे और मेरे परिवार वालों को मार देगा। मुझे उसकी हरकतों का अंदेशा तो था, लेकिन यह नहीं समझ पाई कि मेरे साथ ऐसा होगा। उसने 22 अगस्त की रात मुझे धमकी दी थी कि अगर मैं उसकी बात नहीं मानूंगी तो वह मुझे मारेगा। मैंने पापा को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि सुबह होने के बाद इस मामले का हल निकाला जायेगा, लेकिन इससे पहले कि इस समस्या का कोई हल निकल पाता, 23 अगस्त की सुबह शाहरुख ने पेट्रोल छिड़ककर मुझे जला डाला।