दुमका: SC-ST एक्ट के केस में SDPO मो. नूर मुस्तफा ने 90 दिन में नहीं की चार्जशीट,आरोपी को मिल गयी बेल
दुमका में किशोरी को जलाकर मारने से संबंधित मामले में पक्षपात करने के आरोपित दुमका के SDPO सदर मोहम्मद नूर मुस्तफा कई मामलों में विवादों में रहे हैं। SC-ST एक्ट के केस में SDPO मो. नूर मुस्तफा ने 90 दिन के अंदर कोटर् में चार्जशीट दाखिल नहीं की। इस कारण आरोपी को मिल गयी।
रांची। दुमका में किशोरी को जलाकर मारने से संबंधित मामले में पक्षपात करने के आरोपित दुमका के SDPO सदर मोहम्मद नूर मुस्तफा कई मामलों में विवादों में रहे हैं। SC-ST एक्ट के केस में SDPO मो. नूर मुस्तफा ने 90 दिन के अंदर कोटर् में चार्जशीट दाखिल नहीं की। इस कारण आरोपी को मिल गयी।
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मामला दुमका के मुफ्फसिल पुलिस स्टेशन में SC-ST एक्ट में दर्ज कांड संख्या 06/22 से संबंधित है। इस केस में आरोपी जुल्फकार भुट्टो को अरेस्ट कर जेल भेजा गया था। केस के IO रहे एसडीपीओ सदर मोहम्मद नूर मुस्तफा ने 90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं की। चार्जशीट दाखिल नहीं के कारण जेल में बंद आरोपी जुल्फकार को 167 लाभ होने का मिला। आरोपी बेल पर जेल से बाहर हो गया। सूचना है कि एसडीपीओ ने 90 दिन के बजाय 91 दिन में चार्जशीट दाखिल की। अब इस मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। डीआइजी दुमका ने एसडीपीओ मोहम्मद नूर मुस्तफा के इस गैर जिम्मेदारी की शिकायत कार्रवाई की अनुशंसा के साथ पुलिस हेडक्वार्टर से की है। यह अनुशंसा झारखंड सरकार से भी की जायेगी। स्टेट गवर्नमेंट लेवल से ही एसडीपीओ के विरुद्ध कोई कार्रवाई संभव है।
यह एससी-एसटी का केस
दुमका के पुलिस स्टेशन में पुराना दुमका के बेदिया गांव निवासी रूपलाल मोहली ने जुल्फकार भुट्टो के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। जुल्फकार पर 12 मजदूरों का सौदा करने, उनके पैसे, एटीएम, पासबुक हड़पने व उनकी मजदूरी के छह लाख 50 हजार रुपये का गबन करने का आरोप है। जब आदिवासी मजदूरों ने जुल्फकार से अपने पैसे की मांग की तो उसने उन्हें जाति सूचक गालियां दीं, जान से मारने की धमकी दी। मामला दर्ज होने के बाद इस मामले में जुल्फकार को अरेस्ट कर जेल भेजा गया था, लेकिन केस के आइओ नूर मुस्तफा की लापरवाही के चलते वह जेल से छूट गया था।
एसडीपीओ की भूमिका पर भी मांगी गई है रिपोर्ट
किशोरी मर्डर केस में आरोपितों को बचाने संबंधित लगे संबंधित एसडीपीओ सदर मोहम्मद नूर मुस्तफा पर आरोपों के बारे में भी पुलिस हेडक्वार्टर ने डीआइजी दुमका से रिपोर्ट मांगी है। किशोरी की उम्र को लेकर उठे विवादों, उम्र में छेड़छाड़ किए जाने संबंधित साक्ष्यों का बारीकी से जांच करने को कहा है, ताकि यह पता चल सके कि उम्र में छेड़छाड़ जानबूझकर की गई है या उसी तरह लिखी गई थी। पुलिस हेडक्वार्टर तक जो सूचना है उसके अनुसार वहां अस्पताल के रजिस्टर में 17 वर्ष, एफआइआर में उम्र 17 वर्ष को ओवरराइटिंग कर 19 वर्ष किया गया है। इसमें दोषी पाये जाने पर संबंधित पुलिस अफसर के खिलाफ पुलिस हेडक्वार्टर लेवल से विधि सम्मत कार्रवाई होगी।