Inspector Umesh Kachhap suicide case: SSP सुरेंद्र झा और DSP मजरूल होदा को बड़ी राहत,शिकायतवाद खारिज
पुलिस इंस्पेक्टर सह तोपचांची पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इंचार्ज रहे उमेश कच्छप की मौत मामले में एक्स SSP सुरेंद्र झा और DSP मजरूल होदा को बड़ी राहत मिली है। इस मामले में दायर शिकायतवाद को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
धनबाद। पुलिस इंस्पेक्टर सह तोपचांची पुलिस स्टेशन के ऑफिसर इंचार्ज रहे उमेश कच्छप की मौत मामले में एक्स SSP सुरेंद्र झा और DSP मजरूल होदा को बड़ी राहत मिली है। इस मामले में दायर शिकायतवाद को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
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इंस्पेक्टर उमेश कच्छप की बॉडी पुलिस स्टेशन कैंपस स्थित आवास में फांसी के फंदे से लटकता मिला था। मामले में उमेश कच्छप की भाभी नंदी कच्छप ने धनबाद के एक्स एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा समेत अन्य के खिलाफ सुसाइड के लिए दबाव बनाने की शिकायतवाद दर्ज कराई थी।धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजीत कुमार सिंह की कोर्ट ने नंदी कच्छप के एडवोकेट कुमार मनीष की दलील सुनने के बाद शिकायतवाद को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले से धनबाद के तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी मजरूल होदा, हरिहरपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी संतोष रजक और तोपचांची के तत्कालीन इंस्पेक्टर डीके मिश्रा को बड़ी राहत मिली है।
छह साल बाद कोर्ट ने खारिज किया शिकायतवाद
इंस्पेक्टर उमेश कच्छप की मौत के बाद उनकी भाभी नंदी कच्छप ने धनबाद की कोर्ट में छह अगस्त 2016 को शिकायतवाद दायर किया था। शिकायतवाद में कहा था उनके देवर उमेश कच्छप एक ईमानदार पुलिस अफसर थे। 14 जून 2016 को उमेश ने फोन कर उन्हें तथा अपनी वाइफ को बताया था कि एक फर्जी कांड में उन्हें फंसाया जा रहा है। डीएसपी मजरूल होदा और तब राजगंज के थानेदार रहे संतोष रजक ने चमड़ा लदे एक ट्रक को पकड़ा था।उसके ड्राइवर नजीम पर गोली चलाई थी। इस मामले में राजगंज पुलिस स्टेशन में 16 जून 2016 को कांड संख्या 27/16 के तहत एफआइआर दर्ज किया गया था। बाद में फर्जी एनकाउंटर का यह मामला तूल पकड़ने लगा।
नंदी कच्छप के अनुसार, उमेश ने कहा था कि इसमें उन्हें फंसाया जा रहा है। घटना राजगंज पुलिस स्टेशन एरिया की थी, जबकि उसे तोपचांची में दिखाया जा रहा है। उन्होंने एसएसपी साहब को सूचना दी और उनसे मदद मांगी तो उनके द्वारा भी धमकाया जा रहा है। 18 जून 2016 को उन्हें (नंदी कच्छप को) मोबाइल पर सूचना मिली कि उनके देवर की स्थिति काफी नाजुक है।सूचना पर जब वह लोग तोपचाची थाना पहुंचे तो उनकी देवर की बॉडी पुलिस स्टेशन में पड़ी थी। उमेश कच्छप की वाइफ ने भी इस मामले में कोर्ट में गवाही देते हुए इन अफसरों पर आरोप लगाये थे। नंदी ने आरोप लगाया कि वह लोग अनुसूचित जाति के हैं, इस कारण पुलिस अफसरों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया गया। सुसाइड के लिए उनके देवर उमेश कच्छप को मजबूर कर दिया गया। रांची के नगड़ी के रहने वाले 1994 बैच के सब इंस्पेक्टप उमेश कच्छप ने घटना से मात्र 10 दिन पहले तोपचांची पुलिस स्टेशन में ऑफिसर इंचार्ज का पदभार ग्रहण किया था।
पुलिस ने बताया था सुसाइड
धनबाद जिले के इस बहुचर्चित मामले में तोपचांची के तत्कालीन थानेदार उमेश कच्छप ने बाघमारा डीएसपी मजरूल होदा व राजगंज के थानेदार दारोगा संतोष रजक द्वारा नजीम गोलीकांड में उनपर दबाव बनवाकर तोपचांची में एफआइआर दर्ज कराए जाने का आरोप लगाया था। कहा था कि गलत तरीके से इस घटनास्थल को तोपचांची पुलिस स्टेशन एरिया साबित करने का प्रयास किया गया। इसी बीच 17 जून 2016 को उनका बॉडी सरकारी आवास में ही फांसी के फंदे से लटकता मिला। पुलिस ने इस मामले को सुसाइड बताया था। उस समय इसे लेकर काफी बबाल मचा था। इसके बाद डीएसपी मजरूल होदा, इंस्पेक्टर धीरेंद्र मिश्रा व राजगंज थानेदार संतोष रजक को सस्पेंड कर दिया गया था। एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा का ट्रांसफर कर दिया गया था। डिपार्टमेंटल प्रोसिडिंग के बाद एसआइ संतोष रजक को पुलिस सेवा से डिसमिस किया जा चुका है। बाद में मामले की जांच सीआइडी को सौंप दी गई थी। सीआइडी जांच में एसएसपी सुरेंद्र झा को क्लीन चीट मिल गयी थी।