जम्मू –कश्मीर: Handwara Encounter में मारा गया हिजबुल मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड टॉप कमांडर मेहराजुद्दीन हलवाई
सुरक्षा बलों ने बुधवार तड़के हंदवाड़ा एनकाउंटर में हिजबुल मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड टॉप कमांडर मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद को मार गिराया। हालांकि मार गिराने से पहले सुरक्षाबलों ने उसे भी सरेंडर करने का कई बार मौका दिया परंतु जब उसने हर बार सुरक्षाबलों की अपील का जवाब गोलीबारी से दिया। अंतत: सुरक्षा बलों ने उसे मार गिराया गया।
- 12वीं पास उबैद को थी संचार के आधुनिक साधनों की पूरी जानकारी
- होटल हीमाल श्रीनगर सहित अन्य कई हमलों में था शामिल
श्रीनगर। सुरक्षा बलों ने बुधवार तड़के हंदवाड़ा एनकाउंटर में हिजबुल मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड टॉप कमांडर मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद को मार गिराया। हालांकि मार गिराने से पहले सुरक्षाबलों ने उसे भी सरेंडर करने का कई बार मौका दिया परंतु जब उसने हर बार सुरक्षाबलों की अपील का जवाब गोलीबारी से दिया। अंतत: सुरक्षा बलों ने उसे मार गिराया गया।
आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर मेहराजुद्दीन हलवाई के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि यह सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। मेहराजुद्दीन (36)वर्ष 2012 से उत्तरी कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था।घाटी में अब तक हुए कई आतंकवादी हमलों में वह शामिल रह चुका था। सुरक्षाबलों की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल दस आतंकियों की सूची में वह चौथे नंबर पर था।
बताया जाता है कि मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद को पुलिस और एसएसबी ने गत मंगलवार देर शाम को हंदवाड़ा में स्पेशल चेकिंग के दौरान पकड़ा था।वाहन की तलाशी लेने पर उसमें से एक ग्रेनेड बरामद हुआ।पुलिस पूछताछ में उसने अपनी पहचान मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद पुत्र अब्दुल खालिक निवासी खुशहाल मट्टू सोपोर के रूप में बताई। पुलिस के समक्ष जब यह बात जाहिर हुई कि वह हिजबुल मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड आतंकी है तो उससे संगठन से संबंधित जानकारी लेने का प्रयास किया। पूछताछ में हिजबुल कमांडर ने बताया कि उसने पाजीपोरा रेनान करालगुंड हंदवाड़ा में हथियार व गोलाबारूद छिपाये हुए हैं।
हंदवाड़ा पुलिस, आर्मी के 32 आरआर और सीआरपीएफ के 92 बटालियन के जवानों के साथ मेहराजुद्दीन की निशानदेही पर मौके पर पहुंचे व सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। जैसे ही मेहराजुद्दीन आर्म्स छिपाये हुए स्थान पर पहुंचा, उसने वहां रखी एके-47 उठाई और फायरिंग करता हुआ एक ठिकाने में छिप गया। सुरक्षाबलों ने पहले ही उस स्थान की घेराबंदी कर रखी थी। उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया परंतु उसने सुरक्षाबलों पर अंधाधुंध फायरिंग जारी रखी। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में मेहराजुद्दीन मारा गया।
आतंकी के मारे जाने के बाद सुरक्षाबलों द्वारा ली गई तलाशी में मुठभेड़ स्थल से एक एके-47, 04 मैगजीन, पावर बैंक, कंबल, दवाइयां, ग्रेनेड व संगठन से संबंधित कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये।
नौ साल से खोज रही थी पुलिस
पुलिस नौ साल से सोपोर निवासी हिजबुल मुजाहिदीन मोस्ट वांटेड टॉप मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद निवासी को खोज रही थी। पुलिस का मानना है कि मेहराजुद्दीन 12वीं पास था परंतु संचार के आधुनिक संसाधनों की जितनी जानकारी उसे थी, शायद ही किसी और आतंकी को हो। अपनी इसी कुशलता की वजह से वह पुलिस व आर्मी की पकड़ा से इतने साल बचते आ रहा था।सोपोर के खुशालमट्टू गांव का रहने वाले मेहराजुद्दीन हलवाई को सुरक्षाबलों ने मोस्ट वांटेड सूची में डबल-ए कटेगरी में रखा था। मेहराजुद्दीन वर्ष 2015 के अंत तक उत्तरी कश्मीर में पूरी तरह सक्रिय हो चुका था। सुरक्षाबलों ने जब उसकी धरपकड़ का सिलसिला तेज किया तो वह कुछ सालों के लिए पाकिस्तान में जा छिपा था। उसके वापस लौटने पर ही वर्ष 2019 में सुरक्षाबलों ने उसे अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल किया।
कई बड़े हमलों में था शामिल
हिजबुल कमांडर मेहराजुद्दीन के खिलाफ विभिन्न थानों में कई मामले दर्ज किये गये थे। वह 28-07-2013 को उन्टू हमाम सोपोर के एसपीओ मुदासिर अहमद डार की हत्या, 26-07-2013 को क्रैंकशिवन के सरपंच खजीर मोहम्मद परे पर हमला, गोरीपोरा बोमई के सरपंच हबीबुल्लाह मीर की हत्या, हार्डशिवा सोपोर की पंच जुना बेगम पर भी हमला, उसी ने करवाया था। उसने 26-04-2013 को ह्यगाम सोपोर में अपने साथियों के साथ पुलिस दल पर हमला किया था, जिसमें चार पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे। हमले के बाद वे तीन पुलिसकर्मियों केआर्म्स अपने साथ ले गय। हुर्रियत कार्यकर्ता इकबाल नगर सोपोर के शेख अल्ताफ-उर-रहमान और बोमई सोपोर के खुर्शीद अहमद भट, बादामबाग सोपोर के पूर्व आतंकवादी मेहराज-उद-दीन डार और मुंडजी सोपोर के एजाज अहमद रेशी की हत्या भी उसी ने की थी। वह होटल हीमाल श्रीनगर सहित अन्य कई हमलों में भी शामिल रह चुका था।
आतंकी गतिविधियों के लिए जुटाता था धन
पुलिस भी यह मानती है कि मेहराजुद्दीन संचार के आधुनिक साधनों से अच्छी तरह परिचित था। वह उन्हीं संसाधनों की मदद से बिना पुलिस की पकड़ में आए अन्य आतंकियों के साथ संवाद करता था। विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाता और उन्हें अंजाम देता था। यही नहीं इंटरनेट मीडिया की पूरी जानकारी रखने वाला मेहराजुद्दीन उसी की मदद से युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती करने के लिए प्रेरित करता। यही नहीं इन्हीं संसाधनों की मदद से वह आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए धन भी जुटाया करता रहा था।