झारखंड: हाई कोर्ट ने सीआइडी एडीजी से पूछा आप पर कोई प्रेशर तो नहीं, कहा- दवा कालाबाजारी मामले में सही दिशा में हो रही जांच
झारखंड हाई कोर्ट ने रेमडेसिविर सहित अन्य जरूरी दवाओं की कालाबाजारी के मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वीसी के जरिए हाजिर हुए सीआइडी के एडीजी से पूछ कि क्या इस जांच को प्रभावित करने के लिए आप पर कोई दबाव तो नहीं है। इस पर एडीजी ने कहा कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रहे हैं।
रांची। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में गुरुवार को रेमडेसिविर सहित अन्य जरूरी दवाओं की कालाबाजारी के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वीसी के जरिए हाजिर हुए सीआइडी के एडीजी से पूछ कि क्या इस जांच को प्रभावित करने के लिए आप पर कोई दबाव तो नहीं है। इस पर एडीजी ने कहा कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रहे हैं।
एडीजी ने कहा कि मामले की जांच सही दिशा में चल रही है। इस मामले में नाम आने वाले एसपी के बॉडीगार्ड और अन्य का बयान दर्ज किया गया है। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि कालाबाजारी मामले की जांच में जो भी शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसके बाद अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 17 जून को निर्धारित की है और एडीजी से जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने को कहा है।
फ्लैश बैक
सीआइडी ने रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में रांची के रूरलएसपी नौशाद आलम और अरगोड़ा चौक स्थित दवा दुकान मेडिसीन प्लांट के संचालक राकेश रंजन को गवाह बनाया है। इस मामले में सीआइडी की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गयी है।सीआइडी ने मामले में पूर्व में गिरफ्तार कांके रोड निवासी राजीव सिंह और हिनू के सृष्टि हॉस्पीटल के स्टाफ मनीष सिन्हा को आरोपी बनाया है। रूरल एसपी ने राजीव सिंह के जरिये गुड्डू को रेमडेसिविर उपलब्ध कराया था। यह बयान एसपी के बॉडीगार्ड व ड्राइवर ने सीआइडी को दिया था। मामले में कानूनी राय लेने के बाद ही सीआइडी ने एसपी को गवाह बनाया है।
सीआईडी की ओर से कहा गया है कि रूरल एसपी की मंशा रेमडेसिविर की कालाबाजारी में सहयोग करना नहीं, बल्कि किसी की जान बचाना था। इसलिए उनको गवाह बनाया गया है।उल्लेखनीय है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में रांची पुलिस ने राजीव कुमार सिंह को अरेस्ट किया था। ड्रग इंस्पेक्टर की कंपलेन पर राजीव सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआइआर दर्ज की गयी थी। बाद में इस मामले को कोर्ट के आदेश पर सीआईडी ने टेकओवर कर जांच शुरू की थी।