झारखंड: CM हेमंत के माइनिंग लीज व शेल कंपनी मामले में सुनवाई पर रोक की मांग को हाईकोर्ट ने नकारा, अगली सुनवाई 17 जून को
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को माइंस लीज आवंटित करने और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश किए जाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से समय दिए जाने की मांग की गई। कोर्ट ने इस पर मामले की सुनवाई के लिए 17 जून की तिथि निर्धारित की गई है। कोर्ट ने कहा कि 17 जून को तीनों मामलों की एक साथ सुनवाई होगी।
- कहीं भी चुनौती देने की आजादी
- झारखंड गवर्नमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की एसएलपी
रांची। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को माइंस लीज आवंटित करने और उनके भाई बसंत सोरेन के करीबियों द्वारा शेल कंपनियों में निवेश किए जाने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से समय दिए जाने की मांग की गई। कोर्ट ने इस पर मामले की सुनवाई के लिए 17 जून की तिथि निर्धारित की गई है। कोर्ट ने कहा कि 17 जून को तीनों मामलों की एक साथ सुनवाई होगी।
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सुनवाई पर रोक की मांग को हाईकोर्ट ने नकारा
सुनवाई के दौरान कोर्ट को महाधिवक्ता ने बताया कि हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने जा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए फिलहाल सुनवाई रोकी जाए। इसपर बेंच ने कहा कि सुनवाई हाईकोर्ट में जारी रह सकती है। पहले भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस मामले में आ चुका है। कोर्ट कहा कि सुनवाई जारी रहेगी, आपको कहीं भी चुनौती देने की आजादी है।चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले भी यह मामला जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह झारखंड हाईकोर्ट तय करें कि यह मामला सुनने योग्य है या नहीं। हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनने योग्य करार दिया है। चीफ जस्टिस ने इस याचिका में सुनवाई आगे बढ़ाने को कहा, जिसपर AG ने कहा कि 4290/21 में हमलोग सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। वहीं CJ ने कहा कि आप पहले 4290/21 में जायेंगे, फिर 727/22 में जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मामले में आदेश जारी कर चुका है।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला , करप्शन से इनकार कैसे करें
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग ने कहा है कि मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इस लिए मामले में जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए। अगर 727/22 में कोई आपत्ति नहीं है तो आगे बढ़ने में क्या परेशानी है। महाधिवक्ता ने कहा कि मामले की सुनवाई हाइब्रिड मोड में किया जाये। चीफ जस्टिस ने कहा कि फ़िज़िकल सुनवाई में क्या परेशानी थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने सस्पेंड आइएएस अफसर पूजा सिंघल पर अब तक एफआइआर क्यों नहीं किया था। ईडी की कार्रवाई के बाद मनरेगा घोटाला का पैसा निकला तब आपको याद आया। अगर ये ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला है तो करप्शन से इनकार कैसे करें।
दोनों ही मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा है। प्रार्थी के एडवोकेट राजीव कुमार है। उल्लेखनीय कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य बताया था। हाईकोर्ट ने दोनों याचिका को मेंटेंनेबल बताते हुए सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया था। इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन की ओर से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाया था। झारखंड हाई कोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सीएम हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वंय पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।
हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर
शेल कंपनी मामले में झारखण्ड हाईकोर्ट के आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे दी है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कब होगी और शीर्ष अदालत क्या आदेश सुनाता है. इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।