झारखंड: JMM का राजभवन पर गंभीर आरोप, रविवार को बीजेपी लीडर्स के लिए खोले दरवाजे, रूपा तिर्की मामले में हस्तक्षेप उचित नहीं
झारखंड की सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने गवर्नर के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि बीजेपी लीडर्स के लिए राजभवन के दरवाजे अवकाश के दिन खोल दिए जाते हैं।
रांची। झारखंड की सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने गवर्नर के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को कहा कि बीजेपी लीडर्स के लिए राजभवन के दरवाजे अवकाश के दिन खोल दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि राजभवन ने कोल्हान यूनिवर्सिटी में सिनेट-सिंडिकेट में बीजेपी के सक्रिय पदाधिकारियों को एकतरफा सदस्य मनोनीत कर दिया। स्टेट गवर्नमेंट से कोई सलाह नहीं ली गई। कई यूनिवर्सिटी के वीसी को कार्यकाल में विस्तार दे दिया गया। उस पर भी स्टेट गवर्नमेंट से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। जेएमएम महासचिव ने कहा है कि साहिबगंज महिला थानेदार रही एसआइ रूपा तिर्की के मौत मामले में डीजीपी को बुलाकर राजभवन के हस्तक्षेप को भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने कहा है कि कहीं झारखंड में बंगाल, दमन दीव, दिल्ली जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो जाए। गवर्नक का पोस्ट गरिमा का पद है। महामहिम को स्टेट गवर्नमेंट के सलाह-मशविरा के साथ आगे बढ़ना और कैबिनेट की सहमति से अपने अधिकारों का उपयोग करना होता है। ऐसा नहीं करना संघीय ढांचे पर प्रहार का नमूना है।
ऐसा प्रतीत होता है राजभवन हेमंत सोरेन की गवर्नमेंट बनने से खुश नहीं
झामुमो महासचिव ने कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद टीएससी गठन के लिए सदस्यों के नाम की सूची दो बार राजभवन भेजी गई। दोनों बार गवर्नर ने लिस्ट को नहीं मानते हुए आपत्ति के साथ वापस लौटा दिया। जबकि ऐसा करने से पहले स्टेट गवर्नमेंट से परामर्श करने का संविधान की अनुसूची-11 में संवैधानिक प्रावधान है। इस बर्ताव से प्रतीत होता है कि राजभवन राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने से खुश नहीं है।इसी कारण संवैधानिक प्रावधानों के तहत टीएसी की नियमावली में बदलाव किया गया। पिछली सरकार में पांच वर्षों तक गैर जनजातीय सीएम टीएससी की बैठकों की अध्यक्षता करते रहे। गवर्नर ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया। अब आदिवासी सीएम राज्य के पिछड़े आदिवासियों को संवैधानिक कवच देने का काम कर रहे हैं तो बीजेपी के नेताओं को तकलीफ हो रही है।
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने भी किया था टीएसी नियमावली में संशोधन
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वर्ष 2006 में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार ने टीएसी की नियमावली में संशोधन किया था। उसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने कैबिनेट के निर्णय को जायज ठहराया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी फाइल की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे एडमिट ही नहीं किया। उन्होंने इससे संबंधित दस्तावेज मीडिया को उपलब्ध कराते हुए कि उस समय सेंट्रल में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब विवाद नहीं हुआ तो अब इस विषय को विवादित क्यों बनाया जा रहा है।