झारखंड: एडवोकेट राजीव कुमार के परिजनों की याचिका खारिज, हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत
झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट राजीव कुमार के परिजनों को झारखंड हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने बुधवार को एडवोकेट को कोर्ट में पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है।
रांची। झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट राजीव कुमार के परिजनों को झारखंड हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है।हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने बुधवार को एडवोकेट को कोर्ट में पेश करने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी है।
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एडवोकेट राजीव कुमार के पिता सत्यदेव राय ने ने यह याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अब एडवोकेट ज्यूडिशिल कसट्डी में है। ईडी ने भी नया केस दर्ज कर लिया है। ऐसे में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए उक्त याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जब राजीव कुमार बंगाल पुलिस के ज्यूडिशियल कसट्डी में जेल में हैं तो हैवियस कॉर्पस का कोई मतलब नहीं है।
पूर्व में कोर्ट ने प्रार्थी के एडवोकेट को एफआइआर की सर्टिफाइड कॉपी और कोलकाता के कोर्ट की ऑर्डर कॉपी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।उल्लेखनीय है कि झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट राजीव कुमार को कोलकाता पुलिस ने 31 अगस्त को 50 लाख कैश के साथ अरेस्ट किया था। इसकेके बाद उनके परिजनों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
कोलकाता पुलिस के अनुसार, एडवोकेट राजीव कुमार ने कोलकाता के एक बिजनसमैन के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने उस बिजनसमैन से और जनहित याचिका वापस लेने के बदले पैसे की मांग थी। जनहित याचिका वापस लेने के लिए 10 करोड़ मांग की जा रही थी। पहले चार करोड़ और फिर एक करोड़ पर डील हुई। इसी एक करोड़ रुपये में से 50 लाख की पहली किस्त लेते हुए उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया था। एडवोकेट पर आरोप है कि उन्होंने याचिकाकर्ता शिवशंकर शर्मा के साथ मिलकर कारोबारी से पैसे वसूलने के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करवाई थी।
राजीव कुमार के खिलाफ ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस
पश्चिम बंगाल की पुलिस ने राजीव कुमार को 50 लाख कैश के साथ 31 जुलाई 2022 को अरेस्ट किया था। अब ED ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।, वहीं कोलकाता की कोर्ट में पुलिस ने बताया है कि एडवोकेट राजीव कुमार ने स्वीकारोक्ति बयान में कई खुलासे किये हैं। उन्होंने बड़े सरकारी अफसरों के नाम बताये हैं, जो उनसे लाभान्वित होते थे। पश्चिम बंगाल पुलिस ने दावा किया है कि अफसरों के नाम सामने आने के बाद इस संबंध में अधिक छानबीन की जरूरत है।