Jharkhand Tabrez Ansari Mob Lynching: तबरेज अंसारी मर्डर केस में 10 दोषियों को 10 साल की सजा
झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के बहुचर्चित तबरेज अंसारी मर्डर केस में दोषी ठहराये गये 10 दोषियों को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई। एडीजे वन अमित शेखर की कोर्ट ने इस मामले में पूर्व में दो आरोपित सत्यनारायण नायक और सुमंत महतो को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया था।
सरायकेला। झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के बहुचर्चित तबरेज अंसारी मर्डर केस में दोषी ठहराये गये 10 दोषियों को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई। एडीजे वन अमित शेखर की कोर्ट ने इस मामले में पूर्व में दो आरोपित सत्यनारायण नायक और सुमंत महतो को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया था।
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कोर्ट में 36 लोगों ने दी थी गवाही
मामले के 10 आरोपी प्रकाश मंडल उर्फ पप्पू मंडल, भीमसेन मंडल, कमल महतो, मदन नायक, अतुल महाली, महेश महाली, विक्रम मंडल, चामू नायक, प्रेमचंद महाली और सुनामो प्रधान को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में कुल 36 लोगों ने गवाही दी थी।
उग्र भीड़ ने की थी तबरेज की जमकर पिटाई
सरायकेला पुलिस स्टेशन एरिया अंतर्गत धातकीडीह गांव में 18 जून, 2019 को एक घर में चोरी की नीयत से घुसे तबरेज अंसारी को लोगों ने पकड़ लिया था। भीड़ द्वारा तबरेज की पिटाई कर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था। पुलिस ने कोर्ट में पेशी के बाद तबरेज अंसारी को ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया गया था। इसके बाद सरायकेला मंडल कारा में उसकी तबीयत बिगड़ी थी। सरायकेला सदर अस्पताल लाये जाने के क्रम में इलाज के दौरान तबरेज अंसारी की मौत हो गई थी।
तबरेज की वाइफ शाहिस्ता ने करायी थी FIR
मामले को लेकर उस समय इसे मॉब लिंचिंग के रूप में भी प्रचारित करने का प्रयास भी किया गया था। इस संबंध में मृतक तबरेज अंसारी की वाइफ शाहिस्ता परवीन की शिकायत पर मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस अनुसंधान के क्रम में कुल 13 लोगों को आरोपी बना कर अरेस्ट किया गया था। मामले के एक आरोपी कुशल महाली का निधन हो चुका है।
हाईकोर्ट में अपील करेंगे सजायाफ्ता के परिजन
सरायकेला-खरसावां जिले के बहुचर्चित तबरेज अंसारी मर्डर केस के चार वर्ष बीत जाने के बाद भी बुधवार को एडीजे वन अमित शेखर की कोर्ट ने 10 आरोपितों को दस वर्ष की सजा सुनाई। आरोपियों को जैसे ही 10 वर्ष की सजा हुई, कमल मंडल की वाइफ लाती देवी का चेहरा उदास हो गया। कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने अधिवक्ता एससी हाजरा को कहने लगी कि किसी तरह से उनके पति को मामले से बरी करा दीजिए। अधिवक्ता ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि हाइकोर्ट से मामले में सभी आरोपितों को बरी करा कर वे दम लेंगे।
100 से ज्यादा ग्रामीण पहुंचे थे कोर्ट
धतकीडीह गांव के सौ से ज्यादा ग्रामीण कोर्ट पहुंचे थे। कुछ लोग कोर्ट के बाहर खड़े थे। कुछ लोग कोर्ट कैंपस में खड़े थे। कुछ लोग कोर्ट रुम के अन्दर व कुछ कोर्ट रुम के बाहर बैठे थे। जैसे ही वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से आरोपितों को जेल से कोर्ट के समक्ष पेश किया गया।कोर्ट के बाहर खड़े रिश्तेदारों की आंखे नम हो गईं। इधर गांव से आए लोगों के फोन घनघनाले लगे। गांव के दूसरे लोग यह जानना चाह रहे थे कि आखिर कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया। जब कोर्ट के फैसले से गांव वाले अवगत हुए तो फोन की घंटिया बजनी बंद हुई। बुधवार को पूरा गांव में सन्नाटा पसरा था। ज्यादातर गांव के युवक कोर्ट कैंपस पहुंचे हुए थे। वहीं महिलायें एक दूसरे के घर में बैठकर फैसले का इंतजार कर रही थीं। जैसे ही कोर्ट का फैसला आया। महिलाएं व गांव के अन्य लोगों के चेहरे पर मायूसी झा गई। लेकिन एक दूसरे को यही कह रहे थे कि कोई बात नहीं हाई कोर्ट में अपील पर जायेंगे।
रेलकर्मी पिता को सजा, बेटा रिहा
धतकीडीह गांव निवासी रेलकर्मी कमल महतो इंजीनियिरंग विभाग में कार्य करते हैं। वे और उनका पुत्र सुमन महतो बेल पर थे। कोर्ट ने सुमन को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। पिता कमल मंडल को दोषी करार दिया। कमल महतो की वाइफ लाती देवी ने बताया कि उनके पति रेलकर्मचारी है। वे जमानत पर थे। उनलोगों ने सोचा भी नहीं था कि कोर्ट सजा सुनायेगी। बेटे को तो कोर्ट ने बरी कर दिया।
बेटे को बचाने के लिए हाईकोर्ट तक जाउंगा
सुनामो प्रधान के पिता अनिल प्रधान ने बताया कि मेरा बेटा बहुत सीधा था। वह ट्रैक्टर व पिकअप वैन का काम करता था। वह रेलकर्मी हैं और घटना से कुछ ही माह पहले रिटायर हुए थे। अपने बच्चों को उनके पांव पर खड़े करने के लिए उन्होंने ट्रैक्टर खरीद कर दिए। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। अपने बेटे को बचाने के लिए वह हाइकोर्ट तक जायेंगे।
दोषियों को सजा कम होने पर फूट-फूट कर रो पड़ी तबरेज की वाइफ शाहिस्ता
जैसे ही दस वर्ष की सजा कोर्ट ने सुनाई, शाहिस्ता के आंखे लाल हो गईं और गुस्से से उसके आंखों से आंसू निकल गए। शाहिस्ता ने बताया कि उसने सोचा था कि भीड़ ने उनकी पति की पीट-पीट कर हत्या कर दी है। इसके लिए कोर्ट उन्हें फांसी या आजीवन कारावास की सजा सुनायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शाहिस्ता ने कहा कि वह चुप नहीं बैठने वाली है। वह हाईकोर्ट जायेगी। अपने पति की हत्यारों को फांसी की सजा दिलवा कर रहेगी। शाहिस्ता के साथ लगभग 20 से 25 लोग कोर्ट कैंपस पहुंचे थे। कोर्ट रूम के पास शाहिस्ता, उसकी मां व भाई के साथ उसके दूर का रिश्ते में चाचा बैठे हुए थे।
घटना से दो माह पहले हुई थी तबरेज की शादी
मृतक तबरेज अंसारी की दो महीने पहले ही शादी हुई थी। 27 अप्रैल को उसका निकाह हुआ था। परिवारवालों के मुताबिक निकाह के लिए ही तबरेज पुणे से गांव आया था। निकाह के बाद ईद पर्व मनाने के लिए वह गांव में रुक गया था। तबरेज के सिर से माता-पिता का साया बचपन में ही उठ गया था। आठ साल की उम्र में मां दुनिया छोड़कर चली गई। बारह साल होते-होते पिता चल बसे। तबरेज और उसकी इकलौती बहन का पालन-पोषण चाचा के घर हुआ। दो साल पहले बहन की शादी हुई थी। बहन की शादी के बाद तबरेज पुणे काम करने चला गया था, वहां वह वेल्डिंग का काम करता था।