Kalyani M4 armoured vehicle, IED हो या लैंडमाइन नहीं होगा किसी विस्फोट का असर

इंडियन आर्मी को जल्द ही कल्यापणी एम4 ऐसा आर्मर्ड वीकल मिलने वाला है। Kalyani M4 armoured vehicle पर लैंडमाइन के ब्लाकस्ट बमों का असर नहीं होगा।

Kalyani M4 armoured vehicle, IED हो या लैंडमाइन नहीं होगा किसी विस्फोट का असर
  • डिफेंस मिनिस्ट्री ने भारत फोर्ज लिमिटेड को दिया कल्याीणी एम4 का ऑर्डर
  • लद्दाख में हो सकती है पहली तैनाती
  • सीधी चढ़ाई हो या ढलान बेहद आसानी से होगी ऑपरेट 
  • 50 किलो टीएनटी का विस्फोाट झेलने में सक्षम
  •  ऐंटी-टैंक माइन बेअसर

नई दिल्लीं। इंडियन आर्मी को जल्द ही कल्यापणी एम4 ऐसा आर्मर्ड वीकल मिलने वाला है। Kalyani M4 armoured vehicle पर लैंडमाइन के ब्लाकस्ट बमों का असर नहीं होगा।

पूरी तरह विदेश में ही बनने वाला Kalyani M4 armoured vehicle 50 किलो टीएनटी विस्फोoटक से सुरक्षा दे सकता है। आर्मी को इससे मुश्किल इलाकों तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी। डिफेंस मिनिस्ट्री ने भारत फोर्ज लिमिटेड को कल्याोणी एम4 सप्लाaई 177.95 करोड़ रुपये का केंट्रेक्ट दिया है।संभावना है कि Kalyani M4 armoured vehicle सबसे पहले लद्दाख में तैनात किया जायेगा।
Kalyani M4 armoured vehicle 
Kalyani M4 armoured vehicle ऐसा बख्तजरबंद वाहन है जिसमें जोर परफॉर्मेंस और आर्मी की सुरक्षा पर है।लगभग 16 टन वजनी इस वाहन में 2.3 टन वजन लादा जा सकता है। आठ आर्णी बैठ सकते हैं।यह 43 डिग्री के अप्रोच ऐंगल और 44 डिग्री के डीसेंट ऐंगल पर आसानी से चल सकती है।-20 डिग्री से लेकर 50 डिग्री टेंपरेचर में लगातार चल सकती है।इसका डिजाइन मोनोकॉक है। सबकुछ इसके भीतर है, बाहर कुछ भी नहीं।
Kalyani M4 armoured vehicleमें  लगे शीशे इतने मजबूत हैं कि वे स्नाaइपर और ऐंटी-मैटीरियल राइफल के फायर को झेल सकते हैं।इसमें छह सिलिंडर का टर्बाचार्ज्ड डीजल इंजन लगा है। इंडियन आर्णी के पास मौजूद किसी भी वाहन से दोगुना ताकतवर है।कल्याुणी एम4 की टॉप स्पीकड 140 किलोमीटर प्रतिघंटा है और इसकी रेंज 800 किलोमीटर तक है।इसके भीतर 16 किलोवॉट का एयर कंडीशनिंग सिस्टम लगा है।यह वाहन आसानी से मशीन गन का फायर झेल सकती है। 10KG के ऐंटी-टैंक माइन का इसपर कोई असर नहीं होगा।

ऐसे वीकल की जरूरत
जम्मूी-कश्मीरर के पुलवामा में दो साल पहले एक आत्मवघाती आतंकियों ने CRPF के काफिले को उड़ा दिया था। हमले में 40 जवान शहीद हो गये थे। पुलवामा आतंकी हमले के बाद एक ऐसे आर्मर्ड वीकल की जरूरत महसूस हुई जिसपर ऐसे धमाकों का कोई असर न हो। यह वीकल न सिर्फ धमाकों से रक्षा करता है, बल्कि स्पी ड भी जबर्दस्त है।इसे मेंटेन करना भी आसान है।