Maharashtra Shiv Sena MLA Disqualification Case: शिंदे समेत 16 की विधायकी बरकरार, एकनाथ बने रहेंगे CM

महाराष्ट्र में शिवसेना के विभाजन के 18 महीने 18 दिन बाद MLA की योग्यता से जुड़े विवाद पर विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फैसला सुना दिया है। एकनाथ शिंदे समेत 16 MLA की विधायकी बरकरार रहेगी। एकनाथ शिंदे CM बने रहेंगे। स्पीकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी बरकरार रखी है। महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में दोनों गुटों में किसी की विधायकी नहीं गई।

Maharashtra Shiv Sena MLA Disqualification Case: शिंदे समेत 16 की विधायकी बरकरार, एकनाथ बने रहेंगे CM
एकनाथ शिंदे व उद्धव ठाकरे।
  • विधानसभा स्पीकर के फैसले से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका
  • शिंदे गुट ही असली शिवसेना
  • उद्धव के 14 MLA भी अयोग्य नहीं

मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के विभाजन के 18 महीने 18 दिन बाद MLA की योग्यता से जुड़े विवाद पर विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने फैसला सुना दिया है। एकनाथ शिंदे समेत 16 MLA की विधायकी बरकरार रहेगी। एकनाथ शिंदे CM बने रहेंगे। स्पीकर ने शिंदे गुट के 16 विधायकों के साथ उद्धव गुट के 14 विधायकों की सदस्यता भी बरकरार रखी है। महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम में दोनों गुटों में किसी की विधायकी नहीं गई।

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स्पीकर ने 10 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे समेत उनके गुट के 16 एमएलए को अयोग्य करार देने की उद्धव गुट की अपील खारिज कर दी। इन सबकी सदस्यता बरकरार रहेगी। स्पीकर ने कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार शाम 5.11 से 6.57 तक कुल 106 मिनट (1 घंटा 46 मिनट) में 1200 पेज के फैसले से चुनिंदा अंश पढ़े। सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को इस मामले में लास्ट सुनवाई की थी। स्पीकर के लिए फैसला लेने की लास्ट डेट 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी। इस तरह सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के 28वें दिन स्पीकर ने अपना फैसला सुनाया। 
लोकतंत्र की हत्या है स्पीकर फैसला: उद्धव
स्पीकर फैसले को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना कभी भी शिंदे की हो नहीं सकती। उनका और शिवसेना का रिश्ता खत्म हुआ है, इसलिए शिवसेना हमारी है। खुद दो-तीन पार्टियां बदलने वाले नार्वेकर ने बताया कि पार्टी कैसे बदलनी है। जो नतीजा नार्वेकर दे दिया है, उससे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना हुई है। नतीजा मैच फिक्सिंग ही निकला, इसलिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि यह एक फिक्स्ड मैच था। फैसला लोकतंत्र की हत्या है।

सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं टिकेगा। ठाकरे ने कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का यह फैसला कि 2022 में गुटों के उभरने पर एकनाथ शिंदे की सेना ही असली शिवसेना थी, यह लोकतंत्र की हत्या है। बीजेपी की मदद से एकनाथ शिंदे के विद्रोह का सामना करते हुए 2022 में सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। ठाकरे ने कहा कि कि स्पीकर का फैसला  सुप्रीम कोर्ट का भी अपमान है। ठाकरे ने कहा कि अगर एकनाथ शिंदे असली शिवसेना हैं तो उन्होंने अपने गुट को अयोग्य क्यों नहीं ठहराया। मुझे लगता है कि विधानसभा अध्यक्ष ने जनादेश को नहीं समझा – उन्हें क्या करने के लिए कहा गया था। यह अयोग्यता का एक साधारण मामला था। सुप्रीम कोर्ट ने एक रूपरेखा तैयार की, लेकिन स्पीकर ने सोचा कि वह सुप्रीम कोर्ट सेऊपर हैं और अपनी बात लेकर आए। शायद उन्हें समझ नहीं आया या ऊपर से आदेश था।''
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं था, क्योंकि पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सर्वोच्च निकाय थी, न कि पक्ष प्रमुख, जो कि उद्धव थे।

एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 एमएलए

एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 55 में से 37 एमएलए हैं। उनके नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना है।चुनाव आयोग ने भी यही फैसला दिया था। शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने का फैसला उद्धव का था, पार्टी का नहीं। शिवसेना संविधान के अनुसार पक्ष प्रमुख अकेले किसी को पार्टी से नहीं निकाल सकते। शिवसेना के 1999 के संविधान आधार माना गया। 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है, इसलिए उसे मान्य नहीं किया गया। 21 जून 2022 को फूट के बाद शिंदे गुट ही असली शिवसेना था। उद्धव गुट के सुनील प्रभु का व्हिप उस डेट के बाद लागू नहीं होता है, इसीलिए व्हिप के तौर पर भरत गोगावले की नियुक्ति सही है। शिंदे गुट की तरफ से उद्धव गुट के 14 एमएलए को अयोग्य ठहराने की मांग खारिज की गई। फैसले में कहा गया कि शिंदे गुट ने एमएलए पर केवल आरोप लगाए हैं और उनके समर्थन में कोई सबूत नहीं दिए हैं।