नई दिल्ली: सोशल मीडिया, ओटीटी, न्यूज पोर्टल के लिए गाइडलाइन, गलत कंटेंट को 24 घंटे के अंदर हटाना होगा
सेंट्रल गवर्नमेंट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म, डिजिटल पोर्टल, सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। गवर्नमेंट का कहना है कि करोड़ों यूजर्स की कंपलेन के बाद गाइडलाइन बनानी जरूरी हो गई थी।
- गलत कंटेंट या ट्वीट पहली बार कहां से आया यह भी बताना जरुरी होगा
नई दिल्ली। सेंट्रल गवर्नमेंट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म, डिजिटल पोर्टल, सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। गवर्नमेंट का कहना है कि करोड़ों यूजर्स की कंपलेन के बाद गाइडलाइन बनानी जरूरी हो गई थी।
गवर्नमेंट ने कहा है कि सवाल उठाने और आलोचना की पूरी आजादी है, लेकिन कंपलेन का एक फोरम भी जरूरी है। अगर कोई गलत कंटेट डाला जाता है, तो उसे 24 घंटे में ही अब हटाने का नियम बनाया गया है।सेंट्रल मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को नयी दिल्ली में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि गलत कंटेंट देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। गलत कंटेंट या ट्वीट पहली बार कहां से आया, इसे भी बताना होगा।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ओटीटी और डिजिटल न्यूज पोर्टल्स के बारे में कहा कि खुद को कंट्रोल करने की व्यवस्था होनी चाहिए। ओटीटी के लिए भी सेंसर बोर्ड जैसी व्यवस्था बने। कंटेंट उम्र के हिसाब से होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर हिंसा वाले कंटेट चिंतनीय
रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सोशल मीडिया क्रिमिनल, आतंकवादी, हिंसा फैलाने वालों को काफी कंपलेनआयी है। इंडिया में वॉट्सऐप के यूजर्स 50 करोड़, फेसबुक के 41 करोड़, इंस्टाग्राम के 21 करोड़ और ट्विटर के 1.5 करोड़ यूजर्स हैं। इन सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल और फेक न्यूज की कंपलेन आई हैं। ये चिंताजनक है। इसलिए गाइडलाइन जरूरी हो गई है.
सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस
अगर कोई कोर्टया गवर्नमेंट इंस्टीट्युशन के खिलाफ किसी आपत्तिजनक, शरारती ट्वीट या मैसेज के फर्स्ट ओरिजिनेट। सोशल मीडिया यूजर्स करोड़ों की संख्याद में हैं। सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर इन यूजर्स को अपनी शिकायत के निपटारे के लिए एक फोरम मिले।ये व्यवस्था केवल भारत की अखंडता, एकता और सुरक्षा, इसके अलावा सामाजिक व्यस्था, दूसरे देशों से रिश्तों, रेप, यौन शोषण जैसे मामलों में लागू होगी।
बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यूजर्स के आंकड़े बतायेंगे। इन प्लेटफॉर्म को कंपलेन करनी होगी और इसका नाम भी बताना होगा। इस अफसर को 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करनी होगी । इसका निपटारा 15 दिन के भीतर करना होगा। यूजर के सम्मान खासतौर पर महिलाओं के सिलसिले में, अगर किसी की आपत्तिजनक फोटपोस्ट करता है तो आपको कंपलेन मिलने के 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाना होगा।इन कंपनियों को हर महीने एक रिपोर्ट देनी होगी कि कितनी कंपलेन आई और उन पर क्या कार्रवाई की गई है। अगर किसी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को हटाना है तो उसे ऐसा करने की वजह बतानी होगी।
न्यूज वेबसाइट्स के लिए गाइडलाइंस
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओटीटी कंटेंट को लेकर बनायी गाइडलाइंस की जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा- प्रेस (प्रिंट) वालों को प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के कोड का पालन करना पड़ता है। टीवी में काम करने वालों को प्रोग्राम कोड का पालन करना होता है। लेकिन डिजिटल मीडिया पोर्टल पर ऐसा कोई बंधन नहीं है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी ऐसी कोई रोक नहीं है। सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समान नियम होने चाहिए। सभी को एक प्रक्रिया बनानी होगी।
मिनिस्टर ने कहा, डिजिटल मीडिया न्यूज पोर्टल के लिए गवर्नमेंट ने सोचा है कि सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए एक ही न्यायिक व्यवस्था हो। कुछ नियमों का पालन सभी को करना होगा। व्यवस्था बनानी होगी। इसके लिए दोनों सदनों में OTT पर 50 सवाल पूछे गये। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में OTT से जुड़े सभी लोगों की मीटिंग बुलाई। सेल्फ रेगुलेशन की बात कही थी, पर यह नहीं हुआ। दूसरी मीटिंग में हमने 100 दिन के भीतर व्यवस्था बनाने की बात कही, फिर भी नहीं हुआ। इसके बाद हमने सभी मीडिया के लिए इंस्टीट्यूशनल सिस्टम तैयार करने की सोची।
OTT के लिए नियम
कंटेंट के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइंस, उम्र की पांच केटेगरीज़ में करना होगा कंटेंट का वर्गीकरण
ओटीटी कंटेंट को लेकर बढ़ती शिकायतों के मद्देनज़र सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं।इनका पालन ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को करना होगा। ओटीटी कंटेंट की सेंसरशिप के बारे में सरकार फ़िलहाल नहीं सोच रही है। लेकिन कंटेंट पर प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ़ रेग्यूलराइज़ेशन यानी स्व-नियमन करना होगा।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए तीन स्तरीय नियमन प्रक्रिया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को तीन स्तर की नियमन प्रक्रिया तय करनी होगी- पहले स्तर पर प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेग्युलेट करना होगा। दूसरे स्तर पर प्लेटफॉर्म की सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी कंटेंट का नियमन करेगी। तीसरे स्तर पर ओवर साइट मैकेनिज़्म होगा।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया के लिए रजिस्ट्रेशन ज़रूरी नहीं है, लेकिन अपनी अपनी सारी जानकारी सार्वजनिक करनी होंगी।
ग्रीवांस एड्रेसल सिस्टम- ओटीटी और डिजिटल पोर्टल्स को शिकायतों को सुनने और उनके तत्काल निस्तारण की व्यवस्था करनी होगी। सेल्फ रेग्यूलराज़ेशन करना होगा। शिकायतों के लिए एक बॉडी बनानी होगी, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर जज करेंगे। इन प्लेटफॉर्म्स को टीवी की तरह एक प्रक्रिया बनानी होगी, जिससे टीवी की तरह माफ़ी मांगने की व्यवस्था हो। वैसा ही ओटीटी पर होना चाहिए।
कंटेंट का सेल्फ़ क्लासिफिकेशन- कंटेंट का उम्र के हिसाब से पांच केटेगरी में सेल्फ़ क्लासिफिकेशन करना होगा- U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A (वयस्क)। वर्गीकृत कंटेंट के लिए प्लेटफॉर्म्स को पैरेंटल लॉक की व्यवस्था करनी होगी। एडल्ट केटेगरी के लिए उम्र के सत्यापन की व्यवस्था भी करनी होगी। जो एथिक्स कोड सेंसर बोर्ड का है, वो यहां भी पालन करना होगा। ओटीटी कंटेंट और प्लेटफॉर्म्स पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय नज़र रखेगा।