Niraj Singh Murder Case Dhanbad: अभियोजन की चूक और पुलिस जांच की खामियों से आरोपियों को मिली राहत
धनबाद के चर्चित नीरज सिंह मर्डर केस में कोर्ट ने अपने 567 पेज के फैसले में अभियोजन की चूक और पुलिस जांच की खामियों का उल्लेख किया है। इन कमियों का फायदा उठाकर आरोपी बरी हो गये।

- वास्तविक दोषियों को दोषी नहीं ठहराया जा सका
- कोर्ट ने 567 पेज के फैसले में गिनाई कई कमियां
- वास्तविक दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रहा अभियोजन
- जांच में गंभीर खामियों का बचाव पक्ष ने उठाया फायदा
धनबाद। कोयला राजधानी धनबाद के बहुचर्चित एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की मर्डर केस में अभियोजन की चूक व अनुचित जांच के कारण वास्तविक दोषियों को दोषी नहीं ठहराया जा सका। यह उल्लेख एमपी-एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज डीसी अवस्थी की कोर्ट ने जजमेंट में किया है। कोर्ट ने बुधवार 27 अगस्त को मामले में झरिया के एक्स एमएलए संजीव सिंह समेत 10 आरोपियों को बाईज्जत बरी कर दिया है।
यह भी पढ़ें:Dhanbad: FCIL की जमीन पर रहे लोगों को पुनर्वास के लिए मिलेगी सहायता राशि, आरएंडआर कमेटी की बैठक में कई फैसले
मृतकों के उत्तराधिकारियों को मिलेगा मुआवजा
कोर्ट के 567 पेज के जजमेंट लिखा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि घटना में चार लोग मार गये। इस मामले में अभियोजन की ओर से चूक व अनुचित जांच के कारण वास्तविक दोषियों को दोषी नहीं ठहराया जा सका। चारों मृतकों के परिवार पीड़ित हैं जिसकी भरपाई भौतिक वस्तु ने नहीं की जा सकती। हालांकि की कार्यालय को इस निर्णय की एक प्रति सचिव डीएलएसए धनबाद को भेजने का निर्देश दिया जाता है। जिसमें अनुरोध किया जाता है किइसे प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश सह अध्यक्ष डीएलएसए की अध्यक्षता में मआवजा समिति के समक्ष रक्षा जाए. जिससे मृतकों के उत्तराधिकारियों को समुचित मुआवजा दी जा सके।
अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाहों की गवाही में विरोधाभास
जजमेंट में कहा गया है कि प्रमुख चश्मदीद गवाहों की गवाही में विरोधाभास, अलंकरण, और अपराध के लिए भौतिक वस्तुओं को जोड़ने में विफलता और साक्ष्य ऋृंखला में अंतराल के लिए अग्रणी खोजी चूक शामिल हैं। ये सभी कारक दोष सिद्धि के लिए कानूनी सीमा पूरा करने में अभियोजन पक्ष की विफलता को उजागर करते हैं। अभियोजन पक्ष पर उचित संदेह से पड़े यह साबित करने का भार था कि यह आरोपी व्यक्ति थे और केवल आरोपी व्यक्ति, जिन्होंने अपराध किया था। यह स्थापित कानून है कि नेत्र संबंधी साक्ष्य के आधार पर दोष सिद्धि दर्ज करने के लिए गवाहों की गवाही पूरी तरह से विश्वसनीय और भरोसेमंद होनी चाहिए।
संदेह का लाभ अभियुक्तों को मिलना चाहिए
कोर्ट ने कहा है कि वर्तमान मामले में अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाहों की गवाही में विरोधाभास है। स्पष्ट जांच दोषों के साथ यह नहीं कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष से उचित संदेह से परे आरोपों को स्थापित किया है। यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि आपराधिक न्यायशास्त्र में कानून का मानक विल्कुल सख्त है। इससे समझौता नहीं किया जा सकता है। संदेह का लाभ अभियुक्तों को मिलना चाहिए। क्योंकि सारद विधिचंद सारदा में निर्धारित पांच सुनहरे सिद्धांतों को अभियोजन पक्ष द्वारा स्थापित नहीं किया जा सका। अभियोजन पक्ष इस मामले में परिस्थियों की श्रृंखला को जोड़ने में विफल रहा। ऐसे में आरोपितों को आरोप से बरी किया जाता है।
12 लोगों के खिलाफ सौंपा गया था चार्जशीट
उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर के शूटर अमन सिंह, सुल्तानपुर के कुर्बान अली उर्फ सोनू, बलिया के चंदन सिंह उर्फ रोहित उर्फ सतीश और सुल्तानपुर के शिबू उर्फ सागर सिंह के साथ के साथ शूटरों को धनबाद बुलाने के आरोपी यूपी के सुल्तानपुर लंभुआ के पंकज सिंह, समस्तीपुर के राकेश मिश्रा उर्फ डब्लू मिश्रा उर्फ डब्लू गिरि, झरिया घनुडीह निवासी उसका दोस्त विनोद सिंह, सरायढेला के रणवीर धनंजय सिंह उर्फ धनजी, जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और झरिया माडा कॉलोनी निवासी रंजय सिंह के भाई संजय सिंह के अलावा मुन्ना बजरंगी के शार्प शूटर प्रयागराज निवासी धर्मेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह के खिलाफ चार्जशीट सौंपा गया था।
आठ साल पांच माह पांच दिन बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया
मामले में कोर्ट ने आठ साल पांच माह पांच दिन बाद फैसला सुनाया है। आठ साल तक 408 तारीखों पर सुनवाई के बाद 27 अगस्त 2025 को कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया। 49 तारीख और 22 महीने के बाद तीन जनवरी 2019 को आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम किया गया। अभियोजन की ओर से 106 तारीख के दौरान 74 में से 37 गवाह और साक्ष्य पेश किये। बचाव पक्ष की ओर से 86 तारीख में पांच लोगों की गवाही करायी गयी। 49 तारीख पर दोनों पक्षों के वकीलों की तरफ से बहस हुई।
21 मार्च 2017 की सरेशाम चार लोगों की हुई थी मर्डर
सरायढेला स्टील गेट में 21 मार्च 2017 की शाम धनबाद के एक्स डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों को बाईक सवार शूटरों ने गोलियों से भून दिया गया था। एक्स डिप्टी मेयर सह कांग्रेस लीडर नीरज सिंह अपनी फॉर्च्यूनर (जेएच10एआर-4500) से झरिया से सरायढेला स्थित अपने आवास रघुकुल लौट रहे थे। फॉर्च्यूनर में नीरज सिंह अपने ड्राईवर घोल्टू महतो के साथ आगे की सीट पर बैठे थे। पीछे की सीट पर उनके सहायक सरायढेला न्यू कालोनी निवासी अशोक यादव और प्राइवेट बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी बैठे थे। सरायढेला के स्टील गेट के पास बने 15 स्पीड ब्रेकर के कारण फॉर्च्यूनर धीमी होते ही घात लगाये बाइक सवार हमलावरों ने गाड़ी को चारों ओर से घेर लिया। आधुनिक आर्म्स से हुई अंधाधुंध फायरिंग में 50 से अधिक गोलियां चली।नीरज सिंह समेत अशोक यादव, मुन्ना तिवारी और ड्राइवर घोलटू महतो की भी मौके पर ही मौत हो गयी थी।
सरायढेला पुलिस स्टेशन में 23 मार्च को दर्ज हुई एफआइआर, चिरकुंडा थानेदार बने आईओ
नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की लिखित कंपलेन पर 23 मार्च को संजीव सिंह, मनीष सिंह, पिंटू सिंह, महंथ पांडेय व गया सिंह के खिलाफ सरायढेला पुलिस स्टेशन में कांड संख्या 48/2017 के तहत एफआइआर दर्ज की गयी थी। पुलिस इंस्पेक्टर सह सरायढेला पुलिस स्टेशन के इंचार्ज अरविंद कुमार ने एफआइआर दर्ज कर सीनीयर अफसरों के आदेश पर केस का आईओ पुलिस इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी चिरकुंडा निरंजन तिवारी को बना दिया। एसएसपी ने सरायढेला थानेदार अरविंद कुमार को लाइन क्लोज कर चिरकुंडा थानेदार निरंजन तिवारी को सरायढेला थाना प्रभारी बना दिया।