झारखंड: स्टेट में 2007 के बाद के सभी चीफ सेकरेटरी व कार्मिक सचिवों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा
झारखंड गवर्नमेंट के विभिन्न सेवा और पदों पर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के अफसरों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के आरोप की जांच को बनी विधानसभा की विशेष समिति ने विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
- विधानसभा की विशेष समिति ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट
रांची। झारखंड गवर्नमेंट के विभिन्न सेवा और पदों पर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के अफसरों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के आरोप की जांच को बनी विधानसभा की विशेष समिति ने विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। विधानसभा अध्यक्ष को उनके आवास पर एमएलए बंधु तिर्की और दीपक बिरुआ ने रिपोर्ट सौंपी।
365 पन्नों की रिपोर्ट में 31 पन्नों में अनुशंसा
विधानसभा समिति ने कहा है कि प्रोमोशन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश का पत्र जारी करने के बाद सभी प्रकार की प्रवृत्तियों पर लगी रोक को हटाया जा सकता है। सरकार एससी और एसटी के लोगों को प्रोमोशन से वंचित कर सामान्य वर्ग को दी गई प्रोमोशन के सभी फैसले वापस ले। एसटी एससी के लोगों को भूतलक्षी प्रभाव से प्रोमोशनका लाभ मिले। रिपोर्ट में पिछले कई वर्षों से एसटी-एसटी कर्मियों को प्रोमोशन में आरक्षण संबंधी नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है। समिति ने वर्ष 2007 के बाद तैनात सभी चीफ सेकरेटरी और कार्मिक विभाग के प्रधान सचिवों के खिलाफ एससी-एसटी उत्पीडऩ कानून के तहत मुकदमा करने की अनुशंसा की है। दोनों अफसरों पर विधानसभा की विशेष समिति और सरकार को गुमराह भी करने का आरोप लगाया है। विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी गई 365 पन्नों की रिपोर्ट में 31 पन्नों में अनुशंसा की गई है।
समिति के सभापति दीपक बिरुआ ने कहा कि बारीकी से अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि कोई स्थापित नियम या सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं होने के बावजूद स्टेट में वर्ष 2007 के बाद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अफसर और कर्मियों को प्रोमोशन नहीं देकर अन्याय किया गया। वर्ष 1994 में नियुक्त अफसरों को प्रमोशन नहीं दी गई। जबकि वर्ष 2012 में नियुक्त अफसरों को प्रोमोशन का लाभ दिया गया। यही सिलसिला आगे भी चलता रहा।इस कारण लगभग 15 से 20 हजार सेवा कर्मी प्रभावित हुए हैं।
समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य व एमएलए बंधु तिर्की ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार विशेष समिति की अनुशंसा को मानेगी। विधानसभा की विशेष समिति में एमएलए सरफराज अहमद, नीलकंठ सिंह मुंडा भी सदस्य रहे। बिरुआ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष समिति को तीन बार अवधि विस्तार दिया।
उन्होंने विधानसभा के विगत बजट सेशन में एससी एसटी के प्रोन्नति के संबंध में मामला उठाया था। इसे मामले को गंभीरता से लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने विशेष समिति का गठन किया। सीएम हेमंत सोरेन ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए बीते वर्ष 24 दिसंबर को विशेष समिति के साथ बैठक के बाद राज्य में प्रोमोशन पर रोक लगा दी है। अब समिति ने शर्तों के आधार पर प्रोमोशन पर लगी रोक को हटाने की अनुमति दी है।
समिति की अनुशंसा
स्टेट गवर्नमेंट द्वारा नियुक्ति से संबंधित 31 अक्टूबर 2012 को जारी स्पष्टीकरण पत्र संख्या 12165 की तर्ज पर तत्काल प्रोमोशन के लिए स्पष्टीकरण जारी करके प्रोन्नति पर जारी रोक हटाई जाए।
झारखंड गठन से अब तक एससी और एसटी के वरीय कर्मियों को प्रोमोशन से वंचित कर सामान्य वर्ग के कनीय कर्मियों को दी गई प्रोमोशन को कैंसिल किया जाए।
झारखंड गठन से अब तक एससी और एसटी के वरीय कर्मियों को, जिन्हें प्रोमोशन से वंचित किया गया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से आर्थिक लाभ के साथ प्रोमोशन दी जाए।
नियम विरुद्ध प्रोन्नति की कार्रवाई में शामिल प्रोमोशन कमेटी के तत्कालीन सभी अफसरों को चिन्हित करते हुए एससी एसटी एट्रोसिटी (अत्याचार) निवारण कानून के तहत कानूनी कार्रवाई व और विभागीय कार्रवाई शुरू हो। प्रोन्नति समिति में शामिल एससी एसटी के प्रतिनिधि को कर्तव्य के प्रति लापरवाही के तहत विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए।
कार्मिक विभाग में असंवैधानिक या नियम विरुद्ध मंतव्य में शामिल सभी लोगों के खिलाफ एससी एसटी अत्याचार निवारण कानून के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए। इस क्रम में रिटायर अफसर और कर्मी को रिटायरमेंट के आधार पर अपराध से मुक्त नहीं किया जाए, क्योंकि उस मंतव्य से एससी एसटी के सरकारी सेवक को प्रताड़ना झेलना पड़ा है, जो अपराध की श्रेणी में आता है।
झारखंड गवर्नमेंट के चीफ सेकरेटी और कार्मिक विभाग के प्रधान सचिव के विरुद्ध कर्तव्य के प्रति लापरवाही और विशेष समिति को दिग्भ्रमित करने एवं एससी एसटी के सरकारी सेवकों को प्रताडि़त किए जाने के आलोक में एससी एसटी अत्याचार निवारण कानून के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए। इन दोनों अफसरों के द्वारा विधानसभा को गुमराह करने के लिए विशेषाधिकार हनन का मामला चलाया जाए।
इस विषय से हटकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रोमोशन से संबंधित कोई मामला अगर लंबे समय से न्यायालय में लंबित है तो सशर्त प्रोमोशन दी जाए।
वर्ष 2008 में वाणिज्य कर विभाग झारखंड में वाणिज्य कर पदाधिकारियों को दी गई प्रोन्नति, जिसमें वरीय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के पदाधिकारियों को प्रोन्नति से वंचित कर कनीय सामान्य वर्ग के पदाधिकारियों को प्रोमोशन दिए जाने के साथ नियम विरुद्ध परंपरा की शुरुआत की गई थी। इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ एससी एसटी एट्रोसिटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की अनुशंसा भी की गई है।
सरकार मानेगी समिति की अनुशंसा: स्पीकर
झारखंड विधानसभा स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा है कि विधानसभा की ओर से की गई अनुशंसा को सरकार मानती आ रही है। यही परिपाटी रही है। इसलिए उम्मीद करते हैं कि सरकार विशेष समिति की अनुशंसा को मान लेगी। विशेष समिति की अनुशंसा और रिपोर्ट तत्काल सरकार को भेज दी गई है।