सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को दिये पिछड़ी जातियों से संबंधित आंकड़े एसबीसीसी को सौंपने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को पिछड़ी जातियों से संबंधित आंकड़े राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) को सौंपने का निर्देश दिया है। इससे स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों के आरक्षण के संबंध में सरकार की सिफारिश की सच्चाई जानी जा सकेगी। कोर्ट ने एसबीसीसी को निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकार से सूचनाएं मिलने के दो हफ्ते के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपे।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को दिये पिछड़ी जातियों से संबंधित आंकड़े एसबीसीसी को सौंपने का निर्देश
  • सूचनाएं मिलने के दो वीक के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट को पिछड़ी जातियों से संबंधित आंकड़े राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) को सौंपने का निर्देश दिया है। इससे स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों के आरक्षण के संबंध में सरकार की सिफारिश की सच्चाई जानी जा सकेगी। कोर्ट ने एसबीसीसी को निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकार से सूचनाएं मिलने के दो हफ्ते के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपे।

धनबाद: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी युवक को उम्रकैद,पोस्को के स्पेशल जज ने सुनाया फैसला
इससे पहले महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने कोर्ट से कहा था कि वह उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ही सरकार को निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविल्कर की अगुआई वाली जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने महाराष्ट्र गवर्नमेंट की दलील को स्वीकार नहीं किया। कोर्ट कहा कि जब राज्य सरकार ने खुद सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़े हुए लोगों की जानकारी एकत्रित की है तो फिर उनके अनुसार प्रक्रिया क्यों नहीं आगे बढ़नी चाहिए।बेंच ने 2010 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसमें जिस तीन तरह की परीक्षण प्रक्रिया की बात कही गई है, उसका पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने में महाराष्ट्र में पालन नहीं हुआ है। जबकि अन्य कई राज्यों ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए स्थानीय निकायों में आरक्षण व्यवस्था लागू की है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में यह प्रक्रिया लागू नहीं हुई है और जल्द चुनाव कराना आवश्यक है तो सीटें अनारक्षित घोषित कर चुनाव कराए जा सकते हैं। सुनवाई में स्वतंत्र रूप से पेश हुए सीनीयर एडवोकेट पी विल्सन ने कहा, पिछड़ा वर्ग को संस्थाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। इसलिए बेंच ने उनके कल्याण के लिए आयोग के जरिये जिस प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है, वह सर्वथा उचित है।