नये लेबर कोड से कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! 48 घंटे वर्कवीक, ज्यादा PF-ग्रेच्युटी, गिग वर्कर्स को भी सुरक्षा

नया लेबर कोड लागू: कर्मचारियों के लिए बढ़े PF-ग्रेच्युटी, 48 घंटे वर्कवीक, वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य। गिग वर्कर्स को भी सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।

नये लेबर कोड से कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले! 48 घंटे वर्कवीक, ज्यादा PF-ग्रेच्युटी, गिग वर्कर्स को भी सुरक्षा
श्रम कानूनों में सबसे बड़ा बदलाव।
  • कर्मचारियों को मिलेगा बड़ा फायदा
  • टेक-होम वेतन में हल्का बदलाव लेकिन रिटायरमेंट लाभ दोगुने

नई दिल्ली। दशकों बाद देश में श्रम कानूनों में सबसे बड़े बदलाव को लागू करते हुए केंद्र सरकार ने नया लेबर कोड अधिसूचित कर दिया है। 29 पुराने कानूनों को मिलाकर बनाये गये चार नये कोड्स—वर्किंग कंडीशंस, सोशल सिक्योरिटी, इंडस्ट्रियल रिलेशंस और वेजेज—अब कर्मचारियों के अधिकारों, सुविधा और सुरक्षा को नए स्तर पर ले जायेंगे।

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नए लेबर कोड में टेक-होम सैलरी, PF-ग्रेच्युटी, कार्य अवधि, ओवरटाइम, स्वास्थ्य जांच, नौकरी सुरक्षा और अनुपालन जैसे कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। यह कदम कर्मचारियों, नियोक्ताओं और गिग वर्कर्स—सभी के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।

कर्मचारियों पर बड़ा असर
1. टेक-होम सैलरी में हल्की कटौती, PF व ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी

नई ‘वेज’ परिभाषा के तहत अलाउंस 50% से ज्यादा नहीं हो सकते।

इससे बेसिक वेतन बढ़ेगा और PF व ग्रेच्युटी का योगदान स्वतः बढ़ जाएगा।

कर्मचारियों का मासिक टेक-होम थोड़ा घट सकता है, लेकिन
सेवानिवृत्ति लाभ कई गुना बढ़ जाएंगे।

बढ़ेगा अनुपालन बोझ

वेज स्ट्रक्चर बदलने से कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए रिपोर्टिंग और अनुपालन में अधिक सावधानी की जरूरत होगी।

नियोक्ताओं पर प्रभाव
1. PF व ग्रेच्युटी योगदान बढ़ेगा

नियोक्ताओं को बढ़े हुए बेसिक वेतन पर अधिक PF और ग्रेच्युटी योगदान देना होगा।

2. CTC होगा री-स्ट्रक्चर

लगभग सभी कंपनियों को कर्मचारियों का CTC ढांचा फिर से तैयार करना पड़ेगा।

3. वेजेज की नई परिभाषा 21 नवंबर 2025 से लागू

इस तारीख से सभी कंपनियों को नए वेज नियमों के अनुरूप वेतन संरचना बदलनी होगी।

नौकरी की सुरक्षा (Job Security) मजबूत
1. फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों जैसा लाभ

ग्रेच्युटी का लाभ भी मिलेगा यदि उन्होंने निर्धारित अवधि पूरी की है।

2. विवाद निपटान तंत्र स्पष्ट

मनमाने तरीके से नौकरी से हटाने या अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगेगी।

रोजगार सुरक्षा में सुधार होगा।

3. छंटनी/बंदी की सीमा बढ़ी

अब 300 कर्मचारियों तक की यूनिट छंटनी/बंदी में कुछ राहत ले सकती है।

उद्योगों को HR प्लानिंग में अधिक लचीलापन मिलेगा।

 कार्य अवधि (Working Hours)

पूरे देश में साप्ताहिक 48 घंटे कार्य समय मानकीकृत किया गया।

ओवरटाइम और ब्रेक के नियम अधिक साफ और अनिवार्य होंगे।

12 घंटे दैनिक शिफ्ट संभव, लेकिन साप्ताहिक 48 घंटे की सीमा के भीतर।

कार्यस्थल सुरक्षा और कल्याण

कंपनियों को बेहतर वर्किंग कंडीशंस अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करने होंगे।

फैक्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन आदि में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जायेगा।

 सामाजिक सुरक्षा (Social Security)
1. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को औपचारिक पहचान

फूड डिलीवरी, कैब, ऐप- आधारित काम करने वाले करोड़ों गिग वर्कर्स को पहली बार
सोशल सिक्योरिटी का अधिकार मिला।

2. EPF–ESI–मातृत्व लाभ की पहुंच बढ़ी

अब असंगठित क्षेत्र के मजदूर भी कई योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।

3. डिजिटल रजिस्ट्रेशन आसान

गिग और असंगठित मजदूर एक क्लिक में पंजीकरण करा सकेंगे।

4. प्लेटफॉर्म कंपनियों को योगदान देना पड़ सकता है

स्विगी, जोमैटो, उबर जैसी कंपनियों को इस फंड में योगदान अनिवार्य किया जायेगा।

 अनुपालन (Compliance) हुआ सरल

कंपनियों के लिए रजिस्टर और रिटर्न की संख्या कम की गयी।

कर्मचारियों के अधिकार और लाभ ट्रैक करना आसान।

वेतन को कई भत्तों में बांटकर PF/ESI देनदारी कम करने की पुरानी प्रथा पर लगाम।

 EPS-95 में बड़ा अपडेट

नियोक्ता अब भी 15,000 वेतन पर 8.33% EPS में जमा करेंगे।

शेष योगदान EPF में जाएगा, जिससे
कर्मचारियों का PF बैलेंस और बड़ा होगा।

वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य — सबसे बड़ा बदलाव

सभी कर्मचारियों के लिए हर साल हेल्थ चेकअप अनिवार्य।

खासकर 40+ उम्र वालों के लिए यह प्रावधान अत्यंत महत्वपूर्ण।

कंपनियों को स्वास्थ्य जांच की लागत वहन करनी होगी।

 निष्कर्ष

नया लेबर कोड कर्मचारियों को ज्यादा सुरक्षा, बेहतर सोशल सिक्योरिटी, स्पष्ट कार्य नियम और लंबी अवधि में बड़ा रिटायरमेंट लाभ देने वाला है।टेक-होम भले थोड़ा कम हो, लेकिन फायदे और सुरक्षा कई गुना बढ़े हैं।